तेरी तस्वीर रूबरू करके
चैन पाता हूँ गुफ़्तगू करके
गुल उम्मीदों के खिल नहीं पाये
रह गया दिल को बस नमू करके
तुझको पाकीज़गी से पढ़ता हूँ
आंसुओं से सदा वज़ू करके
गिर गया ख़ुद जहां की नज़रों से
वो मेरा शिकवा चार सू करके
सिर्फ़ रुस्वाइयां हुईं हासिल
बेवफ़ा तेरी आरज़ू करके
मुतमइन सब हुसैन वाले हैं
ज़ेरे खंजर रगे गुलू करके
रूठ कर वो चले गए अहकम
दिल की हसरत लहू लहू करके
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