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अक्तूबर 2021 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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गुरुवार, 21 अक्टूबर 2021

एक तुम्ही आधार सदगुरु एक तुम्ही आधार पंडित श्री राम शर्मा आचार्य शांति कुंज हरिद्वार

एक तुम्ही आधार सदगुरु एक तुम्ही आधार,

जब तक मिलो न तुम जीवन में,
शांति कहा मिल सकती मन में,
खोज फिरा संसार सदगुरु,
एक तुम्ही आधार सतगुरु एक तुम्ही आधार।।


कैसा भी हो तेरन हारा,
मिले न जब तक शरण सहारा,
हो न सका उस पार सद्गुरु,
एक तुम्ही आधार,
एक तुम्ही आधार सतगुरु,
एक तुम्ही आधार।।


हम आये है द्वार तुम्हारे,
अब उद्धार करो दुःख हारे,
सुनलो दास पुकार सदगुरु,
एक तुम्ही आधार,
एक तुम्ही आधार सतगुरु,
एक तुम्ही आधार।।


छा जाता जग में अधियारा,
तब पाने प्रकाश की धारा,
आते तेरे द्वार सदगुरु,
एक तुम्ही आधार,
एक तुम्ही आधार सतगुरु,
एक तुम्ही आधार



सोमवार, 11 अक्टूबर 2021

साथ छूटेगा कैसे मेरा आपका। जब मेरा दिल ही घर बन गया आपका- पयाम सईदी गायक- जनाब चंदन दास

साथ छूटेगा कैसे मेरा आपका।
जब मेरा दिल ही घर बन गया आपका।।

आप आये बड़ी उम्र है आपकी।
बस अभी नाम मैंने लिया आपका ।।

डर है मुझको न बदनाम कर दे कहीं।
इस तरह प्यार से देखना आपका।।

आप की इक नज़र कर गई क्या असर।
मेरा दिल था मेरा हो गया आपका।।






शनिवार, 9 अक्टूबर 2021

देख कृष्ण के नील वदन को, नीलगगन मुस्कुरा रहा था l केशव के सिर मोरमुकुट लख, कामदेव भी लजा रहा था - राजेश कुमार सिंह


देख कृष्ण के नील वदन को,
नीलगगन मुस्कुरा रहा था l
केशव के सिर मोरमुकुट लख,
कामदेव भी लजा रहा था l

अधरों की लाली को लख कर,
लाल कमल मुश्काया है l
मुरलीघर की मुरली धुन सुन,
स्वर सरगम संग गाया है ll

श्री कृष्णा का पीत बसन भी,
मां का आँचल सजा रहा था l
देख कृष्ण के नील वदन को,
नीलगगन मुस्कुरा रहा था l

गोकुल मथुरा दोनों मिलकर ,
बरसाने को रिझा रहे थे l
वृन्दावन के कदम वृक्ष पर,
धूम कन्हैया मचा रहे थे ll

झूम रहीं थीं, राधा रानी,
प्यारा बंसी बजा रहा था l
देख कृष्ण के नील वदन को,
नीलगगन मुस्कुरा रहा था l

गोपी के संग रास रचाता,
ग्वाल बाल संग गाता है l
दूध दही और मख्खन, मिश्री,
बड़े चाव से ख़ाता है ll

गोप गोपियों का पागलपन,
बनवारी को नचा रहा था ll
देख कृष्ण के नील वदन को,
नीलगगन मुस्कुरा रहा था l

ठुमुक ठुमुक और घूम धूम कर,
मोहन कोलाहल करते l
मा यशुदा को कृष्ण कन्हैया
गोदी आ आलिंगन करते ll

लाला के कदमो को छू कर,
पायल खुद को बजा रहा था ll
देख कृष्ण के नील वदन को,
नीलगगन मुस्कुरा रहा था ll

©®राजेश कुमार सिंह "श्रेयस"
लखनऊ, उप्र


वैसे मै अगेय कविताएं लिखता हुँ.. लेकिन मेरी यह रचना लयबद्ध और गेय है.ऐसा मुझे लगता है..



गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021

चल चली माई के मन्दिरवा ये धनिया की पूरा होई आस- मनोज तिवारी मृदुल

चल चली माई के मन्दिरवा ये धनिया की पूरा होई आस-2
पूरी मन के मुरदिया कि पूरा हाई आस।।

मैया की चुनरी चंडावल जाई ललकी।
चढ़ल मिल पहड़ावा की पूरा होई आस।।

सपरत दिनवा बीतल जात धनिया-2
बढ़ल जात दिने दिन बड़ी परशानिया-2
सबका के पहले शीतला भवनवा कि पूरा होई आस
पूरी मन के मुरदिया कि पूरा हाई आस।।

जइबे बिहार जहवा धावे सिवनवा 2
थावे भवानी के सुंदर भवनवा 2
थावे भवानी के सूंदर भावना
जुटे ला पूर्वांचल बिहार के अंगनवा कि पूरा होले आस।
पूरी मन के मुरदिया कि पूरा हाई आस।।

मन कामशेवर इलाहाबाद जइबो 2
भोला स्वरूप देखी मनसा पुरइबो 2
मैहर विंध्याचल वैष्णो करत दर्शनवा कि पूरा होई आस
होइहे मन के मुरदिया कि पूरा हाई आस।
पूरी मन के मुरदिया कि पूरा हाई आस।।

मईया के कोढ़िया पुकारे ली सखिया कि पूरा होई आस
मईया के अधंरा पुकारे ली सखिया कि पूरा होई आस
मईया दिहे सूंदर काया की पूरा होइ आस।।

चल चली माई के मन्दिरवा ये धनिया की पूरा होई आस-2
पूरी मन के मुरदिया कि पूरा हाई आस।।



बुधवार, 6 अक्टूबर 2021

गुरुवर तुम्हीं बता दो, किसकी शरण में जायें। किसकी चरण में गिरकर,अपनी व्यथा सुनायें॥

गुरुवर तुम्हीं बता दो, किसकी शरण में जायें।
किसकी चरण में गिरकर,अपनी व्यथा सुनायें॥

अज्ञान के तिमिर ने, चारों तरफ से घेरा।
क्या रात है प्रलय की, होगा नहीं सवेरा।
पथ और प्रकाश दो तो, चलने की शक्ति पायें।
गुरुवर तुम्ही बता.....

जीवन के देवता का, करते रहे निरादर।
कैसे करें समर्पित, जीवन की जीर्ण चादर।
यह पाप की गठरिया, क्या खोलकर दिखायें॥
गुरुवर तुम्ही बता दो किसकी...

माना कपूत हैं हम, क्या रुष्टï रह सकोगे।
मुस्कान प्यार अमृत, क्या दे नहीं सकोगे।
दाता तुम्हारे दर से, जायें तो किधर जाय।
गुरुवर तुम्ही बता दो...….

कभी काम क्रोध बनकर कभी माया लोभ बनकर
इन दानवों से कैसे अपना गला छुड़ाये ।।

गुरुवर तुम्ही बता दो
किसकी.........



शनिवार, 2 अक्टूबर 2021

भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्म दिवस विशेष- अज्ञात

याद रखियेगा ,
2 अक्टूबर को चरित्रवान निष्ठावान देशभक्त... पूर्व प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री जी.. की जयन्ती है।
जन्म 2 अक्टूबर 1904
जन्म भूमि मुग़लसराय, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 11 जनवरी, 1966
मृत्यु स्थान ताशकंद, रूस (अब उज़बेकिस्तान) मृत्यु कारण अज्ञात
अभिभावक श्री शारदा प्रसाद और श्रीमती रामदुलारी देवी
पति/पत्नी ललितादेवी
संतान 6 (चार पुत्र- हरिकृष्ण, अनिल, सुनील व अशोक और दो पुत्रियाँ- कुसुम व सुमन) नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि भारतीय राजनेता व देश के दूसरे प्रधानमंत्री
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस
पद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री
कार्य काल 9 जून, 1964 से 11 जनवरी, 1966
शिक्षा स्नातकोत्तर
विद्यालय काशी विद्यापीठ
भाषा हिंदी, अंग्रेज़ी
पुरस्कार-उपाधि भारत रत्न
अन्य जानकारी इनके पिता प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। अत: सब उन्हें 'मुंशी जी' ही कहते थे। बाद में उन्होंने राजस्व विभाग में लिपिक (क्लर्क) की नौकरी कर ली थी। लालबहादुर की माँ का नाम 'रामदुलारी' था। परिवार में सबसे छोटा होने के कारण बालक लालबहादुर को परिवार वाले प्यार से नन्हें कहकर ही बुलाया करते थे। जब नन्हें अठारह महीने का हुआ तब दुर्भाग्य से पिता का निधन हो गया। उसकी माँ रामदुलारी अपने पिता हजारीलाल के घर मिर्ज़ापुर चली गयीं। कुछ समय बाद उसके नाना भी नहीं रहे। बिना पिता के बालक नन्हें की परवरिश करने में उसके मौसा रघुनाथ प्रसाद ने उसकी माँ का बहुत सहयोग किया। ननिहाल में रहते हुए उसने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद की शिक्षा हरिश्चन्द्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ में हुई। काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलते ही प्रबुद्ध बालक ने जन्म से चला आ रहा जातिसूचक शब्द श्रीवास्तव हमेशा के लिये हटा दिया और अपने नाम के आगे शास्त्री लगा लिया। इसके पश्चात् 'शास्त्री' शब्द 'लालबहादुर' के नाम का पर्याय ही बन गया।
लाल बहादुर शास्त्री किसानों को जहां देश का अन्नदाता मानते थे, वहीं देश के सीमा प्रहरियों के प्रति भी उनके मन में अगाध प्रेम था जिसके चलते उन्होंने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया। लाल बहादुर शास्त्री एक प्रसिद्ध भारतीय राजनेता, महान् स्वतंत्रता सेनानी और जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। वे एक ऐसी हस्ती थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में देश को न सिर्फ सैन्य गौरव का तोहफा दिया बल्कि हरित क्रांति और औद्योगीकरण की राह भी दिखाई। शास्त्री जी किसानों को जहां देश का अन्नदाता मानते थे, वहीं देश के सीमा प्रहरियों के प्रति भी उनके मन में अगाध प्रेम था जिसके चलते उन्होंने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया।