बेकरार इस दिल की तू आस बनके ,
कहाँ छिप गया आँखों की प्यास बनके..
में तरासी थी तुझे लाखों मे से चुन के ,
वो कौन जो ले गई तुझे, मुझसे छीन के..?
कुछ तो बोल न तड़पा यूँ चुप रहेके ,
हुई क्या खता जो बदला ले रहा गिन गिन के..
कहाँ छिप गया आँखों की प्यास बनके..
में तरासी थी तुझे लाखों मे से चुन के ,
वो कौन जो ले गई तुझे, मुझसे छीन के..?
कुछ तो बोल न तड़पा यूँ चुप रहेके ,
हुई क्या खता जो बदला ले रहा गिन गिन के..