
राजनीति भी भीग रही है झूठ के फव्वारे में,
बेइमानों की फ़ौज बन गयी सत्ता के गलियारे में,
कहाँ दिख रहा कोई युधिष्ठिर, दुर्योधन ही सारे हैं,
शकुनि सर पर नाच रहा है,विदुर तो दूर किनारे है,
भीष्म की थी जो भीष्म प्रतिज्ञा उसमे नेक इरादे थे,अब तो मंजिल सिंहासन और खोखले सब वादे हैं,
क्या फिर से होगा महाभारत लोकतंत्र के चौबारे में,बेईमानों की फ़ौज बन गयी सत्ता के गलियारे में,,,,,,,
जनमानस के सुख ख़ातिर वो कितना परित्याग किये,
साधारण जन की शंका पर माँ...