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जुलाई 2025 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Lav Tiwari On Mahuaa Chanel

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मंगलवार, 15 जुलाई 2025

इस क़दर आइना से वो डरने लगे छुप छुप करके अब तो संवरने लगे

इस क़दर आइना से वो डरने लगे  

छुप छुप करके अब तो संवरने लगे


चांद निकला सफ़र पे लिये रोशनी 

दाग़ उसका दिखाकर वो हंसने लगे


तोड़ना जोड़ना जिनकी फितरत रही 

टूट कर अब तो ख़ुद ही बिखरने लगे


कैसा अंधों का ये तो शहर हो गया 

खोटे सिक्के धड़ल्ले से चलने लगे


खूब कोशिश से वे तो सुधर ना सके 

 वक्त बदला तो "सागर"सुधरने लगे





नाम पाक नापाक इरादा तेरा पाकिस्तान रे भूल रहा है शायद तेरा बाप है हिन्दुस्तान रे

नाम पाक नापाक इरादा तेरा पाकिस्तान रे।

भूल रहा है शायद तेरा बाप है हिन्दुस्तान रे।।


भेष बदलकर धोखा देना आदत तेरी पुरानी है 

मां का दूध पिया है गर तो करता क्यों नादानी है 

दम है प्यारे पास तुम्हारे आजा रण मैदान रे

भूल रहा है शायद तेरा बाप है हिन्दुस्तान रे


याद करो सन् पैंसठ को लाहौर में घुस कर मारे थे 

चरणों में गिर कर तेरे आका रक्षा करो पुकारे थे

दया लगी दे दिये जीत कर फिर से तुझको दान रे

भूल रहा है शायद तेरा बाप है हिन्दुस्तान रे


सन् एकहत्तर में फिर से जो तुमने की मनमानी 

तेरी ऐसी तैसी कर के हमने याद दिला दी नानी 

बांट दिया दो टुकड़ों में, तोड़ दिया अभिमान रे

भूल रहा है शायद तेरा बाप है हिन्दुस्तान रे


पहल गांव में पहल घिनौना तेरी जाति बताता है 

कुत्ते की दुम सीधी करना हमको भी तो आता है 

अबकी "सागर" रेलेंगे मिट जाये नाम निशान रे

भूल रहा है शायद तेरा बाप है हिन्दुस्तान रे



रोइ रोइ करें बेटी फोन अपनी माई के बछिया तोहार अइली घर में कसाई के

 रोइ, रोइ करें बेटी फोन अपनी माई के

बछिया तोहार अइली घर में कसाई के


भेजलू बनाके, सजाके बहू रानी

सासु, ननदिया बनवली नौकरानी

कहिके भिखारिन  मारें झोंटा झोटियाइके

बछिया तोहार अइली घर में कसाई के


माह  छगो बीतल माई अइले गवनवा

मुहंवा से बोलल नाहीं अबले सजनवा

मारेलं लाते, लबदा रोज खिसियाइके

बछिया तोहार अइली घर में कसाई के


डरे नाहीं आवे नीद सुन महतारी

हमरा बा शक कहियो दिहं जारी, मारी

जनवा बचाल माई हमके बोलवाइके

बछिया तोहार अइली घर में कसाई के


 कुछ नाहीं कहब भले आधा पेट खाइब

भउजी के छाड़ी,  पहिनी दिनवा बिताइब

सागर सनेही "माई रोकिल तबाही के

बछिया तोहार अइली घर में कसाई के




सुसुकि सुसिक रोंवे दुअरा पे बाबुल घरवा में रोवताड़ी माई न रे आज होइगइली बिटिया पराई न रे

सुसुकि सुसिक रोंवे दुअरा पे बाबुल

घरवा में रोवताड़ी माई न रे 

आज होइगइली बिटिया पराई न रे।


रहि रहि धधके करेजवा में अगिया

एक ही कोयल बिन सून भइली बगिया    

ना जाने फिर कब चहकी चिरइया,        

         जाने बहार कब आई न रे

आज होइगइली बिटिया पराई न रे


रखलीं जतन से बड़ा रे जोगा के

बहिंया के पलना में झुलना झुलाके

अंखिया से दूर गइली दिल के दुलरुई

केकरा से दुखवा बताईं न रे

आज होइगइली बिटिया पराई न रे


प्रीतिया के रीतिया ह गजबे निराली

कहीं के कली कहीं फूल बन जाली

"सागर सनेही" नेह दूनों ओर बांटे

दूगो परिवार के मिलाई न रे

आज होइगइली बिटिया पराई न रे।



माई महिमा ह जग में अपार बालमा एके मानेला सगरी संसार बालमा

 माई महिमा ह जग में अपार बालमा

एके मानेला सगरी संसार बालमा


मथवा मुकुट सोहे ललकी चुनरिया

कंगना कलाई सोहे अंगुरी मुनरिया

ऊ त शेरवा पर बाड़ी सवार बालमा

माई महिमा ह जग में अपार बालमा


दुर्गति हारिणी कहीं दुर्गा कहइली

कहीं विन्ध्य वासनी के नाम से पुजइली

भरल रहेला उनके दरबार बालमा

माई महिमा ह जग में अपार बालमा


एक बात अउरी सब कहेला सजनवा

दुख दूर होइ जाला कइके दरशनवा

भरे अनधन से ओकर भंडार बालमा

माई महिमा ह जग में अपार बालमा


सागर सनेही राख मनवा में आश हो

मनसा पुरइहें माई कर विश्वास हो

हई आश विश्वास के आधार बालमा

माई महिमा ह जग में अपार बालमा



पीके शराब संइया देलें रोज गरिया करम हमार फूटल बा ए महतरिया

 पीके शराब संइया देलें रोज गरिया

करम हमार फूटल बा ए महतरिया


टोकला पर कहें पीहीं आपन कमाई

देले नाहीं पइसा हमके तोर बाप माई

बोलबी जो ढेर खइबी लबदा के मरिया

करम हमार फूटल बा ए महतरिया


घर में ना बाटे अब एगो बरतनवा

धीरे धीरे बेंचि दिहलस सगरी गहनवा

अब त बेचे की खातिर मांगे मोरी सारिया

करम हमार फूटल बा ए महतरिया


मना अगर करीं त तूरे लागे बक्सा

कहेला कि मारि के बिगाड़ देइब नक्शा

काटे खातिर लेके दउरे फरुहा,कुदरिया

करम हमार फूटल बा ए महतरिया


बलमा बेदर्दी के कइसे समझाईं

"सागर सनेही" कुछ रउयें बताईं

हमरा के सूझे नाहीं कवनो डहरिया

करम हमार फूटल बा ए महतरिया



शनिवार, 12 जुलाई 2025

आजकल के बच्चे नही समझ सकते एक पिता का प्रेम त्याग तकलीफ़ और समर्पण

ट्रेन में समय गुजारने के लिए बगल में बैठे बुजुर्ग से बात करना शुरु किया मेरी पत्नी नें " आप कहाँ तक जाएंगे दादा जी "

" इलाहाबाद तक । "

उसने मजाक में कहा " कुंभ लगने में तो अभी बहुत टाइम है । "

" वहीं तट पर बेठकर इंतजार करेंगे कुंभ का

बेटी ब्याह लिए हैं , अब तो जीवन में कुंभ नहाना ही रह गया है । "

" अच्छा परिवार में कौन कौन है । "

" कोई नहीं बस बेटी थी पिछले हफ्ते उसका ब्याह कर दिया । "

" अच्छा ! दामाद क्या करता है । "

" उ हमरी बेटी से पियार करता है । " कहते हुए उन्होंने नम आंखें पंखे पर टिका दी ।

थोड़ी देर की चुप्पी के बाद जब नीति ने उनके कंधे पर हाथ रखकर धीरे से कहा " दुख बांटने से कम होता है बाबा" तो आंखों से आँसुओ का सैलाब उमड़ पड़ा उनकी । थोडा शांत होने के बाद उन्होंने बताया " बेटी ने कहा अगर उससे शादी नहीं हुई तो जहर खा लेगी । बिन मां की बच्ची थी उसकी खुशी के लिए सबकुछ जानते हुए भी मैंने हां कह दी और पूरे धूमधाम से शादी की व्यवस्था में जुट गया जो कुछ मेरे पास था सब गहने जेवर आवभगत की तैयारियों में लगा दिया । तभी ऐन शादी के एक दिन पहले समधी पधारे और दहेज की मांग रख दी । जब मैंने मना किया तो बेटी ने कहा आपके बाद तो सब मेरा ही है तो क्यों नहीं अभी दे देते । तो हमने घर और जमीन बेचकर नगद की व्यवस्था कर दी । "
" सबकुछ तो उसका ही था बेबकूफ लडकी, आपको मना करना चाहिए था कह देते आपके मरने के बाद सब बेचकर ले जाए " नीति ने कसमसाते हुए कहा
बुजुर्ग मुस्कुरा उठे नीति के इस तर्क पर " कोई बाप अपने सुख के लिए बेटी के गृहस्थी में क्लेश नहीं चाहता बेटा । "

" हद है मतलब उस लडकी के दिल में आपके लिए जरा भी प्यार नहीं
" नहीं ऐसा नहीं है विदाई के वक्त बहुत रोई थी । "
"और आप "
उन बुजुर्ग ने एक फीकी मुस्कान बिखेरी " हम तो निष्ठुर आदमी है हमारी पत्नी सुधा जब उसको हमरी गोद में छोडकर अर्थी पर लेटी थी

उसकी लाश सामने रखी थी और तब भी हम रोने के बदले चुल्हे के पास बैठकर बेटी के लिए दूध गरम कर रहे थे । "

आजकल के बच्चे नही समझ सकते एक पिता का प्रेम त्याग तकलीफ़ और समर्पण 🙏🏻🙏🏻



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