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2019 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Lav Tiwari On Mahuaa Chanel

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मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

ग़ाज़ीपुर के अग्रिम विकास के लिए एक ही नाम चाहिए माननीय मनोज सिन्हा- लव तिवारी

आप BJP  के समर्थक है या किसी अन्य राजनीतिक दल से BJP के खिलाफ लेकिन आप एक सांसद के रूप में मनोज सिन्हा का विकल्प ग़ाज़ीपुर में नही खोज सकते, मैन हमेशा कहा है कि आप अपने क्षेत्र के किसी विशेष और अच्छा उम्मीदवार चुनिए, जो आपकी समस्याओ को दिल्ली पहुचा सके, आपका विकास कर सके। पूर्वांचल में शायद बनारस के बाद अगर कुछ भी काम हुआ है तो वो ग़ाज़ीपुर शहर है इसका श्रेय पूर्व ग़ाज़ीपुर सासंद माननीय मनोज सिन्हा जी है जिनके द्वारा कई सड़को को नेशनल हाइवे निर्माण के रूप में केंद्र सरकार से प्रयास। और   इसके लिए हम BJP को नही नकार सकते, चाहे देश मे जो भी हो रहा हो ग़ाज़ीपुर में तो चयन बहुत ही आसान है, क्योकि दो ऐसे लोग चुनाव लड़ रहे है जिन्होंने सांसद रहते हुए अपनी सेवाएं दी है, और दोनों के कार्यो का आकलन भी आप कर सकते है।।

जाति की दीवार इतनी मज़बूत नही हो सकती कि यह विकास और क्षेत्र की विकास पर भारी हो।आप मुझ पर जातिवादी होने का आरोप लगा सकते है  क्यो कि मैं ब्राम्हण कुल से हूँ लेकिन आप अगर ग़ाज़ीपुर के वोटर है तो आप कृपया अपने क्षेत्र में खुले मन से जा कर देखिए आप को किसे वोट देना था और जातिवाद के भयानक भर्म में आप ने किसे वोट दिया। 1 वर्ष से ऊपर हो गये और धीरे धीरे कुछ समय बाद 5 वर्ष भी बीत जाएगा और फिर आप सभी को अहसास होगा कि मैंने या हम सब ने जो किया वो वाकई गलत था कि आप अपना वोट किसे देना चाहते थे और किसे दिया ।

प्रस्तुति- लव तिवारी
सम्पर्क सूत्र- +919458668566


प्रत्यक्ष से कई गुना ताकतवर परोक्ष, हमारे पापा की सीख -प्रवीन तिवारी पेड़ बाबा ग़ाज़ीपुर

प्रत्यक्ष से कई गुना ताकतवर परोक्ष, हमारे पापा की सीख ::--
********************************
    सात आठ वर्ष पहले झाड़ू हमारे हथियार हुआ करता था और रोज हमारे साथ चार पाँच घंटे रहता था । बारी बारी से हम किसी न किसी गाँव की गंदी गलियों को खोजते और तबतक साफ करते रहते जबतक वह गली उस गाँव की सबसे साफसुथरी गली न बन जाए ।
उसे दौरान हमारे गाजीपुर स्थिति घर के समीप एक चौराहा भी बहुत ही गंदा हुआ करता था और हमेशा ही हमारा मन होता था कि क्यों न यहाँ भी सफाई अभियान चलाकर लोगों को इतना जागरूक कर दिया जाए कि चौराहा बिल्कुल ही साफसुथरा दिखने लगे ।
    एक दिन हम इसी विषय पर अपने पापा से चर्चा करने लगे और उनसे पूछे कि हम ऐसा क्या करें कि लोगों में चौराहे की सफाई के प्रति जागरूक बढ़े तो हमारे पापा तपाक से बोले कि तुम रोज दो बजे रात में अकेले ही जाकर सफाई में जुट जाया करो और भोर के चार बजे तक वहाँ से वापस आ जाया करो जिससे कि कोई भी तुमको सफाई करते न देख सके ।
    हमें उनकी बातों पर चिढ़ आया कि हम अभियान चलाने की बात कर रहे हैं और यह हमें अकेले ही अंधकार में जाकर सफाई करने को बोल रहे हैं । आखिर सफाई अभियान का प्रचार प्रसार कैसे होगा । उस समय न तो कैमरा होगा न ही लोग होंगे न ही मिडिया होगा ।
   फिर भी हमें उनमें श्रद्धा थी तो हम उनकी बातों को मान लिये ।
    उस वक्त दिसम्बर का महीना था और हम चालिस दिन तक चौराहे की सफाई का संकल्प ले लिए । अगले दिन झाड़ू, तगाड़ी और फावड़ा लेकर हम चौराहा पर रात के दो बजे पहुँच गए और चार बजे तक सफाई करते रहे । गंदगी बहुत ही अधिक था । इसप्रकार हमारे बीस दिनों के लगातार सफाई से चौराहा बिल्कुल ही साफ दिखने लगा । अभी भी शाम को दुकान बंद करने के दौरान दुकानदार अपने दुकान का कूड़ाकचरा अपने दुकान के बाहर ही छोड़ देते थे । लेकिन अगले दिन से वह गंदगी भी साफ । तीस दिन बीते होंगे कुछ लोग चौराहा पर रात्रि जागरण करके सफाई करने वाले को खोजने लगे । हम जब रात्रि के दो बजे पहुँच कर झाड़ू लगाना शुरू किये तो चारपाँच लोग आकर हमें घेर लिए । उस दौरान हम अपने मुँह को मोफलर से ढके थे लह लोग हमारे मोफलर को हटवाकर अस्पष्ट रूप से हमारा चेहरा देखे । फिर क्या था यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई । जब हम अगले दिन पहुँचे तो हमें कहीं भी गंदगी का नामोनिशान नहीं मिला ।
फिर भी संकल्पानुसार हम सफाई करते रहे । उतनी रात में चार पाँच लोग झाड़ू लेकर हमारा साथ देने के लिए आने लगे । धीरे धीरे यह खबर तत्कालीन जिलाधिकारी तक पहुँचा और वह अपने मद से चौराहा का सुंदरीकरण करवाए ।
   इसप्रकार हमारे पापा हमें यह एहसास दिलवाए कि प्रत्यक्ष से अधिक ताकतवर परोक्ष होता है ।
    आज हमारे पापा प्रत्यक्ष रूप से तो हमारे साथ नहीं हैं परंतु अपने दिये हुए सीख से हमें यह एहसास दिलवा रहे हैं कि वह और ताकतवर ढंग से हमारा साथ देंगे ।

रविवार, 29 दिसंबर 2019

मोहब्बत अब नही होगा मुझे कल की तरह- लव तिवारी

मोहब्बत अब नही होगा मुझे कल की तरह।
मिला जो कल मुझे न रहा हमसफ़र की तरह।।

कुछ उसकी यादें है जो जाती नही जहन से।
खुशनसीब वह है जिसका है वो हमदर्द की तरह।।

ख्वाइशें कल भी थी आज भी है और रहेगी ही ।
जाने वाले को याद रखता मैं हरपल की तरह।।

कैसी दुनिया है जो एक ख्वाब मुक्कमल न हुआ।
मेरा होकर भी मुझसे छीना गया उसे बेरहम की तरह।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 29- दिसंबर- 2019




शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

वो छतों पर कई पत्थर जुटाए बैठे हैं- कवि गौरव चौहान इटावा

हम गलियों प्यार के मंज़र जुटाए बैठे हैं
वो छतों पर कई पत्थर जुटाए बैठे हैं

हम यहां उलझे रहे सेकुलर के धागों में,
वो तो अलकायदा लश्कर जुटाए बैठे हैं

हमने रसखान कबीरा की पोथियाँ बाँची,
वो तो भड़काऊ मुनव्वर जुटाए बैठे हैं

हमने तहज़ीबे लखनऊ का भरम रक्खा था,
वो तो लाहौर पिशावर जुटाए बैठे हैं

गंगा जमुनी इलाहाबाद सरीखे थे हम,
वो तो बगदाद का तेवर जुटाए बैठे हैं

हम तो चुपचाप रहे राम की फतह पर भी
वो नागरिकता पे बवंडर जुटाए बैठे हैं

हम हमीदो कलाम की सजाएं तस्वीरें,
वो तो अफ़ज़ल के कलेंडर जुटाए बैठे हैं

----कवि गौरव चौहान इटावा 9557062060

हाँ, हमारे बाप का ही है हिन्दुस्तान - अनिल चौधरी

जी हाँ, हमारे बाप का है हिन्दुस्तान !

शायर राहत इंदौरी ने लिखा था....

"सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है "~

राहत इंदौरी का यह शेर इन दिनों CAA व NRC के नाम पर जेहादियों द्वारा की जा रही हिंसा के समर्थन में खूब लिखा व बोला जा रहा है।

मैं  स्वंय भी यह मानने रहा वाला हूँ कि भले ही कुछ धर्म आक्रमणकारी व आतंकवादी/आतातायी के रूप में यहां आये, बावजूद इसके, हमारी कायरतापूर्ण दरियादिली के कारण खंड खंड होने के बाद बचा भारत अब सभी जाति, धर्म, मत व पंथों का है।

लेकिन यह केवल बोलने मात्र से बात नहीं बनती, अपितु विखंडन के पश्चात बचे राष्ट्र को पुनः विखंडित करने के उद्देश्य से प्रत्यक्ष रूप में आज जो कुछ गलत घट रहा है, आप आँख मूंदकर उससे निरपेक्ष नहीं बने रह सकते।

आज के परिप्रेक्ष्य में राहत इन्दौरी के शेर का यह विस्तार समसामयिक लगता है:

“ख़फ़ा होते हैं हो जाने दो, घर के मेहमान थोड़ी हैं !
जहाँ भर से लताड़े जा चुके हैं , इनका मान थोड़ी है !!

ये कान्हा राम की धरती है, सजदा करना ही होगा !
मेरा वतन ये मेरी माँ है, लूट का सामान थोड़ी है !!

मैं जानता हूँ, घर में बन चुके हैं सैकड़ों भेदी !
जो सिक्कों में बिक जाए वो मेरा ईमान थोड़ी है !!

मेरे पुरखों ने सींचा है लहू के कतरे कतरे से !
बहुत बांटा मगर अब बस, ख़ैरात थोड़ी है !!

जो रहजन थे उन्हें हाकिम बना कर उम्र भर पूजा !
मगर अब हम भी सच्चाई से अनजान थोड़े हैं ?  !!

बहुत लूटा फिरंगी ने, कभी बाबर के पूतों ने !
ये मेरा घर है मेरी ज़ान, मुफ्त की सराय थोड़ी है... !!

बिरले मिलते है धर्मनिरपेक्ष मुसलमां दुनिया में !
हर कोई अब्दुल हमीद और कलाम थोड़ी है  !!

कुछ तो अपने भी शामिल है वतन तोड़ने में !
अब ये कन्हैया और रविश, मुसलमान थोड़ी है !!

नहीं शामिल है तुम्हारा खून इस मिट्टी में !
ये तुम्हारे बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है !!

तस्लीमा नसरीन को सत्य घटनाओं पर आधारित 'लज्जा' उपन्यास की कहानी- अनिल चौधरी

शर्म से डूब मरना चाहिए, अगर लिखने में भी लज्जा आ रही इन घृणित पंक्तियों को पढकर भी कोई CAA का विरोध करता है तो...

तस्लीमा नसरीन को सत्य घटनाओं पर आधारित जिस 'लज्जा' उपन्यास के कारण अपने वतन से निर्वासित होना पड़ा, उसका यह अंश जरूर पढ़ें, और फिर CAA पर अपनी राय तय करें...

बेटियों के बलात्कारियों से जब माँ ने कहा "अब्दुल अली, एक-एक करके करो,,, नहीं तो वो मर जाएंगी "।

यह सच्ची घटना घटित हुई थी 8 अक्टूबर 2001 को बांग्लादेश में।

अनिल चंद्र और उनका परिवार 2 बेटियों 14 वर्षीय पूर्णिमा व 6 वर्षीय छोटी बेटी के साथ बांग्लादेश के सिराजगंज में रहता था। उनके पास जीने, खाने और रहने के लिए पर्याप्त जमीन थी।

बस एक गलती उनसे हो गयी, और ये गलती थी कि एक हिंदू होकर 14 साल व 6 साल की बेटी के साथ बांग्लादेश में रहना। एक क़ाफिर के पास इतनी जमीन कैसे रह सकती है..? यही सवाल था बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिद ज़िया के पार्टी से सम्बंधित कुछ उन्मादी लोगों का।

8 अक्टूबर के दिन..

अब्दुल अली, अल्ताफ हुसैन, हुसैन अली, अब्दुर रउफ, यासीन अली, लिटन शेख और 5 अन्य लोगों ने अनिल चंद्र के घर पर धावा बोल दिया, अनिल चंद्र को मारकर डंडो से बाँध दिया, और उनको काफ़िर कहकर गालियां देने लगे।
 
इसके बाद ये शैतान माँ के सामने ही उस 14 साल की निर्दोष बच्ची पर टूट पड़े और उस वक्त जो शब्द उस बेबस व लाचार मां के मुँह से निकले वो पूरी इंसानियत को झंकझोर देने वाले हैं।

अपनी बेटी के साथ होते इस अत्याचार को देखकर उसने कहा "अब्दुल अली,, एक एक करके करो, नहीं तो मर जाएगी, वो सिर्फ 14 साल की है।"

वो यहीं नहीं रुके,,उन माँ बाप के सामने उनकी छोटी 6 वर्षीय बेटी का भी सभी ने मिलकर ब#लात्कार किया ....उनलोगों को वहीं मरने के लिए छोडकर जाते जाते आस पड़ौस के लोगों को धमकी देकर गए की कोई इनकी मदद नहीं करेगा।

ये पूरी घटना बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी अपनी किताब “लज्जा” में लिखी, जिसके बाद से उनको अपना ही देश छोड़ना पड़ा। ये पूरी घटना इतनी हैवानियत से भरी है परन्तु आज तक भारत में किसी बुद्धिजीवी ने इसके खिलाफ बोलने की हैसियत तक नहीं दिखाई है, ना ही किसी मीडिया हाउस ने इसपर कोई कार्यक्रम करने की हिम्मत जुटाई है।

ये होता है किसी इस्लामिक देश में हिन्दू या कोई अन्य अल्पसंख्यक होने का, चाहे वो बांग्लादेश हो या पाकिस्तान।

पता नहीं कितनी पूर्णिमाओं की ऐसी आहुति दी गयी होगी बांग्लादेश में हिंदुओं की जनसँख्या को 22 प्रतिशत से 8 प्रतिशत और पाकिस्तान में 15 प्रतिशत से 1 प्रतिशत पहुँचाने में।

और हिंदुस्तान में जावेद अख्तर, आमिर खान, नसीरुद्दीन शाह व हामिद अंसारी जैसे हरामखोर लोग कहते है कि हमें डर लगता है,,, जहाँ उनकी आबादी आज़ादी के बाद से लगातार बढ़ रही है।

अगर आप भी सेक्युलर हिंदु (स्वघोषित बुद्धिजीवी) हैं और आपको भी लगता है कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं,, तो कभी बांग्लादेश या पाकिस्तान की किसी पूर्णिमा को इन्टरनेट पर ढूंढ कर देखिये !!!

मूर्खतापूर्ण ढंग से केवल संविधान की दुहाई देते हुए रूदाली रूदन करने की बजाय इन लोगों के बारे में बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की राय भी पढियेगा। 

मर्जी आपकी !

मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

कुआँ और मेरा गांव युवराजपुर ग़ाज़ीपुर - लव तिवारी

गांव और कुआँ का सम्बन्ध बहुत पुराना है। कुँवा या कूप जमीन को खोदकर बनाई गई एक संरचना है जिसे जमीन के अन्दर स्थित जल को प्राप्त करने के लिये बनाया जाता है। इसे खोदकर, ड्रिल करके (या बोर करके) बनाया जाता है। बड़े आकार के कुओं से बाल्टी या अन्य किसी बर्तन द्वारा डौर और हाथ की सहायता से पानी निकाला जाता है। भारी मात्रा में जल की पूर्ति के लिए इनमें जलपम्प भी लगाये जाते है जिससे बड़ी मात्रा में खेतों की सींच कर फसल की पैदावार की जा सके। 

हमारे गांव युवराजपुर में कुआ का एक अलग महत्व था। जैसे कि हम और आप जानते है किसी व्यक्ति का बर्चस्व उसके जमीन जायदाद के साथ उसमे कुआ की प्रमुख भूमिका होती थी। अधिकतर जमीदार के  दौर उसके घर या द्वार के आसपास कुआँ का होना पाया जाता है। इसी प्रकार हमारे गांव में भी जमीदारो द्वारा भिन्न भिन्न जगहों पर कुओ की व्यवस्था की गई थी। अत्याधुनिक संसाधनों और घर मे बढ़ती जरूरतों हैंडपम्प समरसेबुल के होने के बाद इन कुओ को कोई नही पूछता और इन कुँआओ की बहुत दयनीय दसा हो गयी है।  स्वर्गीय मदन मोहन सिंह पूर्व ग्राम प्रधान द्वारा उनके कार्यकाल में गांव के अधिकत्तर कुओं की मरम्मत की गई थी जिससे कुआँ वास्तविक रूप पहले से बेहतर और अच्छी हो गयी थी। लेकिन अत्याधुनिक संसाधनों के दौर में कूआँ भी विलुप्ति  के दौर पर है। गांव में कई कुओं को भर दिया गया और जिससे उनका वास्तविक रूप भी खत्म हो गया है। कुछ कुएं आज भी है लेकिन उनका उपयोग न होने की वजह इनका पानी दूषित और गन्दा हो गया है।  मेरे घर के पास भी एक खूबसूरत कूआँ स्वर्गीय श्री अक्षयलाल बाबा के द्वारा गांव के उपयोग के लिए खोदा गया था । जिसका उपयोग हमने भी अपने बचपन काल मे बहुत किया है। 

#युवराजपुर #ग़ाज़ीपुर #उत्तर_प्रदेश 232332

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

मोदी ने मुस्लिमो के लिए सब कुछ किया फिर विरोध क्यों- लव तिवारी

परन्तु इस बार नही- मोदी है तो मुमकिन है

युद्ध मे कभी नही हारे , हम डरते हैं छलचन्दों से
हर बार पराजय पायी है , अपने घर के ही जयचंदों से

भारत मे मुसलमान को इंसान से ज्यादा वोट बैंक की राजनीति के रूप में देखा जाता है। पिछले 70 वर्ष से मुसलमान के पक्ष में फैसले कर कई राजनीतिक पार्टियों ने मुसलमान को लुभाये है और उनसे वोट बैंक की राजनीतिक भी की है। नागरिकता संसोधन बिल में भारतीय मुसलमान की कोई हानि नही है लेकिन गैर बीजपी पार्टियों को ये लगता है कि जो वोट हिन्दू जाति का हमारे साथ है अब वो भी बीजेपी के साथ होता नजर आ रहा है। क्यो की गैर बीजपी सरकार के जीत में मुस्लिमों के साथ हिन्दू वोट की पूर्ण भागीदारी है। 

उधर 2014 से मोदी सरकार ने मुस्लिमों के लिए कई ऎतिहासिक फैसले लिए जिसका जिक्र नीचे तस्वीर में प्रमाणित है । इससे गैर बीजेपी शासित प्रदेश में  न कोई  दंगा न कोई विरोध प्रकट हो रहा है। इससे ये बात स्पष्ट हो जाती है कि राजनीति के आधार पर ही और राजनीति को लेकर ही सारे काम किये जा रहें है। इन सब बातों को भारत के सभी लोग और वो मुसलमान जिन्हें भृमित किया जा रहा है उंन्हे समझना चाहिए।

एक रचना- 

2019 की 

एक अकेला पार्थ खडा है 
भारत वर्ष बचाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं 
केवल उसे हराने को।।
भ्रष्ट दुशासन सूर्पनखा ने 
माया जाल बिछाया है।
भ्रष्टाचारी जितने कुनबे 
सबने हाथ मिलाया है।
समर भयंकर होने वाला 
आज दिखाईं देता है।
राष्ट्र धर्म का क्रंदन चारों 
ओर सुनाई देता है।।
फेंक रहें हैं सारे पांसे 
जनता को भरमाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं 
केवल उसे हराने को।
चीन और नापाक चाहते 
भारत में अंधकार बढ़े।
हो कमजोर वहां की सत्ता 
अपना फिर अधिकार बढे।।
आतंकवादी संगठनों का 
दुर्योधन को साथ मिंला।
भारत के जितने बैरी हैं 
सबका उसको हाथ मिला।।
सारे जयचंद ताक में बैठे 
केवल उसे मिटाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं 
केवल उसे हराने को।
भोर का सूरज निकल चुका है
 अंधकार घबराया है।।
कान्हा ने अपनी लीला में 
सबको आज फंसाया है।
कौरव की सेना हारेगी 
जनता साथ निभायेगी।
अर्जुन की सेना बनकर के 
नइया पार लगायेगी।
ये महाभारत फिर होगा 
हाहाकार मचाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं 
केवल उसे हराने को।।
अज्ञात

प्रस्तुति- लव तिवारी
दिनांक- 21 दिसम्बर 2019

बुधवार, 18 दिसंबर 2019

पाकिस्तान में सांप्रदायिक आधार पर नागरिकता नहीं फिर क्यो हिंदू 23 से 3 प्रतिशत हो गये - लव तिवारी

पाकिस्तान में सांप्रदायिक आधार पर नागरिकता नहीं
द्विराष्ट्र सिद्धांत की व्याख्या करते हुए जिन्ना ने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया था कि नागरिकता का कभी भी सांप्रदायिक आधार नहीं होगा. उन्होंने महात्मा गांधी से ये बात कही थी और पाकिस्तान में विभिन्न समुदायों को नागरिकता के समान अधिकार दिए जाने का वादा किया था. जब आज़ादी का अवसर करीब आ गया और अंतरिम सरकार का गठन हुआ, तो जिन्ना ने काउंसिल की एक मुस्लिम सीट के लिए जोगिंदर नाथ मंडल को नामित किया. आगे चलकर मंडल ने पाकिस्तान संविधान सभा के प्रथम सत्र की अध्यक्षता की और पाकिस्तान के प्रथम विधि मंत्री बने. जिन्ना का 11 अगस्त का भाषण बहुत महत्वपूर्ण है.

दुर्भाग्य जिन्ना के कुछ वर्ष शासन के बाद ही पाकिस्तान को पूर्ण मुस्लिम राष्ट्र बंनाने की मुहिम चालू हो गयी और  गैर मुस्लिम लोग जो जिन्ना के इस अधिकार से अपनी धन संपत्ति के मोह में  पाकिस्तान में रह गए उंन्हे जबरन धर्म परिवर्तन कर  मुसलमान बनाया गया  जो हिंदू है उंन्हे आज भी प्रताड़ित किया जाता है इसका उदाहरण पाकिस्तान में कुल हिन्दू की आबादी का 23 से 3% प्रतिशत का होना है। अब नागरिकता बिल को लेकर  तरह तरह के प्रश्न उठ रहे है। मेरे फ़ेसबूक में वो जो मेरे द्वारा लिखे गए बातो का विरोध करते हैं क्या वो पाकिस्तान और बांग्ला देश के गैर मुसलमान  के साथ हुए अन्याय का विरोध किया है। 

प्रस्तुति-लव तिवारी
दिनांक- 18 दिसंबर 2019

रविवार, 15 दिसंबर 2019

नोटबंदी और दारू का ठेका - लव तिवारी

एक प्रश्न की वास्तविकता क्या है
क्या राहुल गांधी और मोदी जी की मां दोबारा बैंक आएंगे ? या अभी 4 हजार खत्म नहीं हुए ।
#राजनीति #कूटनीति 

दूसरी तरफ हम तो न मोदी है न राहुल हमें जब भी जरुरत पड़ती है हम पैसे के लिए लाइन में लगते है और पैसे निकलते भी है , आज थोड़ी देर पहले ही एक रोचक घटना को अंजाम मिला ,लंबी लाइन लाइन में कुछ लोग ये कहने लगे की जाइये भाई आप पहले निकल ले हम बात समझ नहीं पाये लेकिन बाद में इस बात की पुष्टि हुई की सभी लोग 12 बजने का इंतेजार कर रहे थे लेकिन सबसे रोचक घटना तो तब घटित हुयी जब एटीएम में लम्बी लाइन लगाकर पैसे निकालते हुए एक भाई साहब ने लगभग 11.30 मिनट पर यह पूछ दिया की भैया यहाँ ठेका कहा है और अभी खुला होगा की नहीं , हमने भी तुरंत जबाब दिया भाई अशोक नगर जाओ वहाँ मिल जाएगा अनुभवहीन व्यक्ति समझ कर उसने मुझे कहा 10 बजे के बाद अशोक नगर का ठेका बन्द हो जाता है आप यूपी के ठेके की जानकारी दीजिये

कुछ तो बात है साहब अपनी #यूपी में जो पूरी होती नजर आ रही है अब यह सब बात करके दोस्त का खुद ही 2 3 मिनट समय नष्ट हो गया था, बाइक स्टार्ट किये निकल लिए , हम आशा करते है कि दोस्त को उनकी मदिरा जरूर मिल गयी होगी, #भारत सरकार और मोदी जी से अनुरोध है ठेके के समय में भी परिवर्तन करे ताकि मदिरापान वाले व्यक्ति को उस तरह के दिक्कत का सामना न करना पड़े, देश में जहाँ लोग अपनी दैनिक जीवन को निर्वहन करने के लिए पैसे की किल्लत से जूझ रहे है वही कुछ लोगो को मदिरापान, अय्याशी एवम फ़िजूल के  कार्य एवं कई अन्य कारकों ने पैसे का दुरुपयोग हो रहा है, धन तो धनी आदमी का ही है वो उसे जैसे प्रयोग करे, जहा 500 रूपये के पुराने नोट के चलन का अंतिम दिवस है वही एटीएम वाली तस्वीर गूगल से ली गयी है रात्रि में तस्वीर लेने का कोई अवचित्य नहीं है

वही मदिरापान वाले दोस्त को जलोटा साहब की ग़ज़ल की चंद लाइन
#आँखों से पी #रुत #मस्तानी हो गयी
#जाम से पीना #रश्म #पुरानी हो गयी

धन्यबाद- #लव_तिवारी

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

क्या मैं पागल हुँ तुम्हें सोचकर या तुम्हें भी मेरे सपने आने लगे- लव तिवारी

तन्हाई ने क्या करवट ली तुम फिर मुझको याद आने लगे।
कोई भाता नही है तुम्हारे सिवा दिल को तुम मेरे धङकाने लगे।।

एक बात बताओ तुम मुझको जो मुझे हुआ क्या तुम्हें हुआ।
क्या मैं पागल हूँ तुम्हें सोचकर या तुम्हें भी मेरे सपने आने लगे।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 13- दिसंबर-2019

सोमवार, 9 दिसंबर 2019

राजनिति में सक्रिय होना कोई बुरी बात नहीं , लेकिन हार कर निष्क्रिय होना ये गलत बात है- लव तिवारी

राजनिति में सक्रिय होना कोई बुरी बात नहीं , लेकिन हार कर निष्क्रिय होना ये गलत बात है, किसी भी गांव का एक ही प्रधान होता है और प्रत्याशी अनेक ,तो क्यों नहीं हारे प्रत्याशी विपक्ष का काम करके, आने वाले नए प्रधान को उसके कार्यो में सहयोग और अगर वो कार्यो के प्रति असंवैधानिक, धोखा धड़ी करता है ,तो इन कार्यो को रोके , यहाँ सब उल्टा होता है प्रत्याशी चुनाव से पहले उत्तेजित होकर गांव के विकास की राजनीती करता है और हार जाने पर द्वेष और बदले की भावना की राजनीति, और हर एक प्रत्याशी को चाहिए की वो सक्रीय होकर राजनिति में सहयोग करके गांव को विकास की एक नयी राह दे , और किसी भी छेत्र के नव निर्मित प्रधान को ये चाहिए को उन प्रत्याशी से मिले जिनकी सामाजिक गरिमा ,कार्य अनुभव, योग्यता हो ,और उनके सहयोग की भी जरुरत गांव के विकास में उपयोगी हो , साथ में ये भी पुराने प्रधानो के द्वारा किये गए अनैतिक कार्य और संसाधनों का दुरपयोग का हिसाब ले, पुरे प्रदेश और देश राजनितिक व्यवस्था चरमरा सी गयी , और नए निर्मित प्रधान केवल अपने कार्यकाल के बारे में सोचते और यह प्रक्रिया निरतंर चलती जाती है, इस प्रकार की राजनिति से केवल गांव के विकास में ही नहीं रुकावट आती है बल्कि आगे आने वाली पढ़ी भी इस प्रकार के राजनितिक दल दल में फसती जाती है, इसका दुस प्रभाव निरतंर देखने को मिलाता है ,इस पोस्ट को किसी राजनितिक पार्टी या किसी प्रत्याशी के गरिमा को आहत करने के लिए नहीं लिखा गया है ,इसका उद्देश्य जागरूकता और सामजिक ब्यवस्था को सही करना है
प्रस्तुति- लव तिवारी
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शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

ओवरलोड वाहनों के कारण बार बार क्षतिग्रस्त वीर अब्दुल हमीद सेतु ग़ाज़ीपुर - लव तिवारी

वीर अब्दुल हमीद सेतु गाज़ीपुर का यह पक्का पुल जो पूर्व प्रधानमंत्री श्री मति इंदिरा गांधी जी के द्वारा ग़ाज़ीपुर की जनता को सौगात के रूप में दिया गया था। 10 सितम्बर 1965 में परमवीर चक्र विजेता स्वर्गीय श्री वीर अब्दुल हमीद जी के पूर्ण तिथि इस पुल का नाम वीर अब्दुल हमीद सेतु रखा गया जिसकी लंबाई लगभग 810 मीटर है । इस पक्की पुल की विशेषता (नेशनल हाईवे 97) को मुख्यरूप ग़ाज़ीपुर और बिहार के सीमा को NH 97 के माध्यम से जोड़ना । ग़ाज़ीपुर सैयदराजा मार्ग इसी हमीद सेतू की मदद से जुड़ा हुआ है । वर्तमान में आलाधिकारियों के आदेश ताक पर सुहवल एवं रजागंज पुलिस की मिली भगत से धडल्ले से जारी है ओवरलोड वाहनों का संचालन सेतु पर एक बार फिर खतरा मडरा रहा है, इस खतरा से कभी भी कोई बड़ी दुर्धटना हो सकती है और पूल क्षतिग्रस्त हो सकता है। ऐसा यह पहली बार नही है इस ओवर लोड के चक्कर मे पुल कई बार क्षतिग्रस्त चुका है। इसका दुष्परिणाम सबसे ज्यादा समीपवर्ती गांवों को जैसे- युवराजपुर पटकनिया, बवाडे मेदनीपुर रेवतीपुर सुहवल के लोंगो होता है। किसान की खेती भी इस दुष्परिणाम से कई बार प्रभावित हो चुकी है । आलू के खेती के समय पुल के क्षतिग्रस्त होने से किसानों को सही समय पर आलू को कोल्डस्टोरेज में न रखने से बहुत बड़ा नुकसान का सामना करना पड़ा था।

इस सब समस्यायों का सबसे बड़ा पुलिस थाना सुहवल और राजगंज चौकी ग़ाज़ीपुर के  कारण है। इनकी लूट खसोट के चक्कर से स्थानीय नागरिकों को बहुत नुकसान के साथ दुर्घटना का भी शिकार होना पड़ता है। इस विषय पर सरकार एवम जिले के आला अधिकारियों को इस समस्या का पूर्ण निदान अवश्य ढूढना चाहिए। और पुलिस के इस लापरवाही के प्रति उचित कार्यवाही करनी चाहिए।।

लेखक- लव तिवारी
+91-9458668566
ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

बहुत खूबसूरत जवां एक लड़की न जाने कहा से - लव तिवारी

बहुत खूबसूरत जवां एक लड़की ।
न जाने कहा से ख्यालो में आयी।।

तकल्लुफ़ की बातें बनावट नही।
न जाने वो कैसे मेरे दिल को भाई।।

वो चेहरा गुलाबी वो आँखे शराबी।
मगर उसके होंठो पर लाली थी ऐसी

न जाने कहाँ से ख्यालो में आयी 
बहुत खूबसूरत जवां एक लड़की।।

परी तो ये मैंने ये देखी नही है ।
यू लगती है मुझको परी से भी प्यारी।।

मेरे दिल की ख्वाईश तमन्ना है ऐसी।
हो जाये वो मेरे सपनों की रानी ।।

बहुत खूबसूरत.......
तकल्लुफ़= दिखवाया, बनावटी
रचना- लव तिवारी
पहली ग़ज़ल - वर्ष 2005


  

शनिवार, 30 नवंबर 2019

चारों वर्णों के उदय ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र - लव तिवारी

ब्राह्मण 

              एक ऐसा शब्द जिसे सुनकर वामपंथी विचारधारा और भीमवादी ईर्ष्या से भर उठते हैं, मुस्लिम समुदाय ब्राह्मण शब्द उच्चारण से भी कतराते हैं, आखिर ये शब्द ब्राह्मण है, क्या।क्यों इतनी नफ़रत इस एक नाम से?व्यवहार पटल और सामाजिक परिदृश्य से उक्त प्रश्न की समीक्षा:-

उत्पत्ति:-
                 मनुष्य योनि में सर्वप्रथम ब्राह्मण की उत्पत्ति होती है।यानी ब्राह्मण के सिवाय कोई और वर्ग नहीं था,उस समय और सृष्टि के आरम्भ में मनुष्यों की संख्या भी अत्यल्प थी,तब आवश्यकता भी उनकी सीमित ही थी,इसके पीछे दो कारण प्रयुक्त थे,मंत्र शक्ति और संख्या में अत्यल्पता। 

                जैसे जैसे आबादी बढ़ी,आवस्यकता में भी वृद्धि हुई,और आबादी का विस्तार ही उन्नत व्यवहार क्रम के पालन का सबसे बड़ा बाधक बना, जिससे संस्कार हीनता उत्पन्न हुई,और संस्कारहीनता ने अविद्या को जन्म दिया,जिसका परिणाम यह हुआ,की मंत्र शक्ति से मंत्र और भौतिक दोनों युक्ति का इस्तेमाल किया जाने लगा,मंत्रशक्ति के अवनमन और भौतिकता के उदय ने संचय को जन्म दिया,यही से संचय संरक्षण की आवश्यकता महसूस की जाने लगी।जिसके परिणाम स्वरूप एक मजबूत वर्ग का निर्माण हुआ,जिसे क्षत्रिय वर्ण के नाम से जाना जाता है।

                        क्षत्रिय समाज के उदय से जहाँ एक ओर भौतिकता को आरक्षण मिला,वही सत्ता नाम की दुर्व्यवस्था का भी उदय हुआ,और यही से शक्ति प्रदर्शन आरम्भ हुआ,जिसके कारण ज्यादा संचय और डर की भावना का जन्म हुआ,संचय और रक्षण के परिणाम स्वरूप क्षत्रियों को दिया जाने वाला कर ही वैश्य वर्ण का जन्मकारण बना।क्योंकि हम आपसे सेवा लेगा,तो हमारा कर्तव्य बनता है,की आपकी आवस्यकता की पूर्ति हम करें।यही आवस्यकता और आबादी विस्तार वैश्य वर्ण का जन्मकारण हुआ।

                     वैश्य समाज की उत्पत्ति से जहाँ एक ओर ब्राह्मण हासिये पर जाने लगे,वही भौतिकता के चरम के कारण वैश्य वर्ण निरन्तर आगे बढ़ता गया।परन्तु सभी की एक निश्चित सीमा होती है, उस सिमा के बाद अन्य का उदय निश्चित ही होता है।उसी प्रकार वैश्य में कार्यभार वृद्धि शुद्र या श्रमिक वर्ग की उत्पत्ति का कारण बना।एक ओर जहाँ संस्कार के अवनमन के कारण ही समस्त वर्गों का निर्णय हुआ,वही इन वर्णों में जटिलता और उपवर्ग विस्तार भी हुआ।

                   इस प्रकार चारों वर्णों के उदय का एकमात्र कारण संस्कार हनन ही था,जो जनसंख्या वृद्धि के परिणाम स्वरूप आरम्भ हुआ।और अन्य वर्णों में भी यही संस्कारजन्य अवनमन अनेक वर्गों का निर्माण का कारण बना।
                    उपर्युक्त आधार पर देखने से ज्ञात हो जाता है,की ब्राह्मण निश्चित ही संस्कर ही है, न यह कोई वर्ण है,न जाति है,न ही कोई पदवी।संदर्भ:-श्रुति।
अब प्रश्न यह उठता है,की जिस प्रकार यह तर्क दिया जाता है, की कर्म से सभी ब्राह्मण और शूद्र बनते हैं, वे कृपया यह बताने का कष्ट करें, की #ब्राह्मण_का_कर्तव्य_क्या_है? क्योंकि संस्कार का कोई व्यवहार कर्म तो लक्षित नहीं होता,और कर्म प्रकार से  देखा जाय तो कर्म सप्तभूमिका अनुसार ही होता है,जो उन्नत और उत्तम संस्कारजन्य ब्राह्मण होगा,वह उत्तम भूमिका में ही कर्म करेगा।और जो निम्न संस्कारजन्य होगा,वह निम्न।
                         यह प्रश्न यही पर दम तोड़ देता है,की कोई भी कर्म से ब्राह्मण या शूद्र होता है।अगर इस तर्क को स्वीकृति दी जाय, तो यह प्रमाणित करने की सामर्थ्य किसी मे भी नहीं, की ब्रह्मविद्या की ग्रहणशीलता अनेकों जन्मों के उत्तम संस्कार का परिणाम ही होती है।जो उसके पूर्वजन्मों के उत्तम कर्मों के फलस्वरूप उसे प्राप्त होती है।संदर्भ:-गीता,गरूण पुराण।

#दण्ड_विधान_से_ब्राह्मण:-
                                आजकल वामी और भीमवादियों से अक्सर सुनने को मिलता है, की #मनुस्मृति में वर्णित दंडविधान में सबसे कम या नगण्य सजा ब्राह्मण को ही बताई गई है, जबकि सर्वाधिक सजा शुद्र वर्ण को।उनके लिए एक सामान्य से तर्क जो मनुष्य उत्तम संस्कारजन्य वर्तन करने वाला हो,जिसके #समस्त_कर्म_अकृतक अवस्था के हों,भला वह किस प्रकार किसी को हानि पहुंचा सकता है,अगर दुर्भाग्यवश उससे किसी को कोई क्षति हो भी जाती है,तो वह उस क्षति का कारक स्वयं को ही स्वीकार कर स्वयं को नष्ट करना ज़्यादा उचित समझेगा।क्योंकि संस्कारजन्य हनन एक बार हुआ,तो उसकी भरपाई कठोर तप से ही पूरी की जा सकती है।जो कोई भी राजा या समाज उतनी कठोरतम सजा नहीं दे पाएगा।
          फिर भी मनुस्मृति में शुद्र की सज़ा का दुगना वैश्य,वैश्य का दुगना क्षत्रिय और क्षत्रिय का चार गुना सज़ा का प्रावधान ब्राह्मण के लिए किया गया है।राजकरण से सजा में चूक होने पर न केवल राजा का सिंहासन च्युत होना कहा गया है,बल्कि ब्राह्मण का तत्काल वानप्रस्थ जीवन का उल्लेख मिलता है।
                           इस प्रकार जो ब्राह्मण रूपी संस्कार को धारणा करने वाला है, वही ब्राह्मण है,वह जन्म से ही ब्राह्मण है,और अपने कर्म से ब्रह्मपद को पाने का अधिकारी बनता है।वरना गरूण पुराण के उल्लेख से अत्यंत नीच योनि को प्राप्त करने वाला बन चौरासी में ही भ्रमण करता है।

             ★★★ ★जय पशुराम- +919458668566 ★★★★





शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

कल एक छलावा है, आज पर यकीन कर- लव तिवारी

कल एक छलावा है, आज पर यकीन कर ।
जिंदगी का क्या भरोसा, इस पल को अजीज कर।।

रास्ते कई अनजाने है, चलना यहाँ संभल कर ।
हैं जमाना दुश्मन यहाँ, न कोई ऐसी तक़सीर कर ।।

मुझको मिला एक राही, रास्ते मे जो छोड़ गया ।
मैं किस पर भरोसा करू, मिला ऐसा तकदीर गर ।।

तक़सीर - भूल 
रचना- लव तिवारी
दिनांक - 29- नवम्बर-2019



दिन रात रहो मेरे पास तुम- लव तिवारी

कुछ दूर चलो मेरे साथ तुम ।
दिन रात रहो मेरे पास तुम ।।

तेरे बिना मुझे चैन कहाँ ।
आते रहो मुझे याद तुम ।।

ये जिंदगी नही अब तेरे बिना ।
बन जाओ मेरे हमराज़ तुम ।।

तुम बिन कोई मेरा नही ।
मिलते रहो हर बार तुम ।।

ये मौत का अब क्या भरोसा ।
आ जाओ मेरे अब पास तुम।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 28 नवंबर 2019

गुरुवार, 21 नवंबर 2019

मुझे बहुत प्रिय था साथ तुम्हारा- लव तिवारी

 बहुत प्रिय था बस साथ तुम्हारा।
आते जाते तुम देखा करते थे जो चेहरा हमारा ।।

बड़ी हसीन दौर था और तुम्हारा साथ भी।
नरज किसकी लगी जो सबकुछ बिखर गया हमारा ।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 20- नंवबर- 2019

बुधवार, 20 नवंबर 2019

मैंने तुम्हें चाहा कहने दो मुझे- लव तिवारी

मैंने तुम्हें चाहा, कहने दो मुझे ।
अब तो अपने दिल मे रहने दो मुझे।।

मेरे जज्बात मेरे दिल की तम्मना हो तुम ।
कब से नही देखा तुम्हे मिलने दो मुझे।।

आओ करीब तुम रखो न फासला मुझसे ।
करो रहम मुझ पर अब न बिछड़ने दो मुझे।।

तुम्हे छोड़ कर रही न कोई ख्वाईश अब तो
अगर बिछड़े तुम  तो मौत ही मिले मुझसे।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 19- नंवबर-2019



शनिवार, 16 नवंबर 2019

आप की घुड़सवारी किसी की जिंदगी है- लव तिवारी

आपकी घुड़सवारी,किसी की जिंदगी हैं। हर एक जीव जीव होता है दर्द सबको होता हैं,चोट सबको लगती हैं,खून सबको आता हैं,लेकिन ये बेजुबान हैं,ये अपना दर्द आपकी नही बता सकते। एक घुड़सवारी के पीछे इनका दर्द शायद ही कोई जानता हो,जीतता तो सिर्फ इंशान हैं,इस बेजुबान की आँखों पर पट्टी बंधी होती हैं,इसे हार जीत का पता नही,बस आपके इशारों पर दौड़ता हैं,और आपको जीता भी देता हैं, आपकी जीत के पीछे इनका कितना दर्द हैं वो कभी नही सोचा? 

ग़ाज़ीपुर के समाज सेवी प्रवीण तिवारी पेड़ बाबा - लव तिवारी

मेरे पैतृक गांव युवराजपुर ग़ाज़ीपुर से गहरा तालुकात है माननीय श्री प्रवीण तिवारी पेड़ बाबा जी का ननिहाल मेरे गांव मेंं है। आदरणीय गुरू जी श्री प्रवीण तिवारी  का आशीर्वाद हम दोनों भाइयों के छात्र जीवन पर रहा है । आदरणीय गुरु जी को समर्पित ये चार लाइन की कविता

खुद की कश्ती का खुद ही पतवार बनो ।
हो सके निर्बलों के जीवन का मददगार बनो।।

जिंदगी में एक तमन्ना एक ख्वाईश रखो तुम।
मिल जाये दुखिया कोई उसका तुम फरमान बनो।।

नही खुदा इस धरती पर ना कोई भगवान यहाँ।
किसी गरीब की सेवा कर धरती का वरदान बनो ।।

रचना- लव_तिवारी
दिनांक- 15 नंवबर 2019
युवराजपुर ग़ाज़ीपुर
232332





बुधवार, 6 नवंबर 2019

जीव हत्या पाप है -लव तिवारी

भीष्म पितामह कुरुक्षेत्र में शरशैया पर पड़े थे..कृष्ण उनसे मिलने आये तो भीष्म बोले कृष्ण मैंने ऐसे कौनसे पाप किये हैं जिनकी इतनी बड़ी सजा मिली. मेरा पूरा शरीर तीरों से बिंधा पड़ा हैं. प्राण निकल नहीं रहे हैं....दर्द इतना हैं की शब्दों में नहीं कहा जा सकता..कृष्ण ने कहा सब पूर्व जन्मो का फल हैं. भीष्म ने कहा मैं पिछले जन्म देखने की कला जानता हूँ...मैंने पिछले 100 जन्म देख लिए हैं कृष्ण मैंने कोई कर्म ऐसा नहीं किया जिसका फल ये हो..कृष्ण ने कहा 101 वां भी देख लो...भीष्म ने देखा की वो अपने रथ से जा रहे थे..आगे सिपाही थे...एक सैनिक आया और बोला महाराज मार्ग में एक सर्प (सांप) पड़ा हैं. रथ उसपर से गुज़र गया तो वह मर जायेगा. भीष्म ने कहा नहीं वह मरना नहीं चाहिए...एक काम करो उसे किनारे फेंक दो. सैनिक ने उसे भाले से उठा कर खाई में फेंक दिया. वह सर्प खाई के एक कंटीले वृक्ष में उलझ गया. जितना प्रयास उससे निकलने को करता उतने ही कांटे उसके शरीर में घुस जाते. कई दिनों टाक उन्ही कांटो में फंसे रहने के बाद उसके प्राण निकले...तब कृष्ण ने कहा पितामह ये तो आपके द्वारा किया वह पाप था जो अनजाने में हुआ...उसका परिणाम इतने जन्मो बाद भी आपको भोगना पड़ रहा हैं...सोचिये जो लोग जान बूझ कर जीव हत्या करते हैं उनकी क्या दशा होगी??

कोई धर्म नहीं कहता की जीव हत्या करो...क़ुरबानी/बलि से आशय जीव की हत्या से नहीं अपितु अपनी किसी प्रिय वस्तु का त्याग अल्लाह, इश्वर के प्रति करने से हैं...धर्म पाप का पर्यावाची नहीं विलोम हैं. हत्या से बचें...छुरी चलते वक़्त उस जीव की तड़प को महसूस करें...उसकी वेदना, पीड़ा, कराह, बद्दुआ ही दे सकती हैं आपको दुआ नहीं...
-लव तिवारी

रविवार, 20 अक्टूबर 2019

ऐसे तो मर जायेंगे हम। तेरे बिन न रह पाएंगे हम- लव तिवारी

ऐसे तो मर जायेंगे हम।
तेरे बिन न रह पाएंगे हम।।

चाहे दुनिया कुछ भी करले।
एक दूजे के हो जायेगे हम।।

आओ मिलकर साथ चले हम।
जीवन को सफल बनायेगे हम।।

कभी तुम्हारा साथ न छूटे।
उम्र भर साथ निभायेंगे हम।।

दुनिया की इस कश्मोकश में।
 प्रेम के गीत गायेंगे हम।।

ऐसे तो मर...

रचना- लव तिवारी
दिनाक- 20-अक्टूबर-2019


ये न सोचे कि सोचने से सब हो जाएगा। कुछ करना होगा तभी मंजिल मिल पायेगा- लव तिवारी

ये न सोचे कि, सोचने से सब हो जाएगा।
कुछ करना होगा, तभी मंजिल मिल पायेगा।।

घर मे बच्चा न रोये तो माँ समझें न उसके भूख को।
अगर वो भी कुछ न करे तो भूखा ही सो जाएगा।।

आजका आदमी दिन पर दिन निक्कमा होता जा रहा।
यही हालात रहे तो ज़माना कैसे चल पायेगा।।

देश की हालात पहले से बत्तर नही है अब।
अगर इंसान इंसानियत को जो समझ पायेगा।।

मुझको भी मिला था एक शख्स अजनबी बनकर।
कौम से हटकर शायद ही वो कभी दोस्त बन पायेगा।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 20-अक्टूबर-2019
मो नो +91-9458668566






शनिवार, 19 अक्टूबर 2019

दो दिन जा जग में मेला सब चला चली- अनूप जलोटा

चलती चक्की देख के दिया कबीरा रो
दो पाटन के बीच में साबुत बचा ना कोई

दो दिन का जग में मेला सब चला चली का खेला
दो दिन का जग में मेला सब चला चली का खेला

कोई चला गया कोई जावे,कोई गठरी बांध सी भावे-2
कोई खड़ा तैयार अकेला रे कोई खड़ा तैयार अकेला
चला चली का खेला रे खेला रे खेला रे
दो दिन का जग मे मेला सब चला चली का खेला
दो दिन का जग .......

मात-पिता सूत नारी भाई अंत सहायक नाही-2
फिर क्यो भरता पाप का ठेला रे
फिर क्यो भरता पाप का ठेला
चला चली का खेला रे खेला रे खेला रे
दो दिन का जग मे मेला सब
चला चली .........

ये तो है नश्वर संसारा भजन को करले ईश का प्यारा-2
ब्रह्मानंद कहे सुन चेला रे ब्रह्मानंद कहे सुन चेला
चला चली का खेला रे खेला रे खेला रे
दो दिन का जग मे मेला सब चला चली का खेला

दो दिन का जग.....चला चली......4



बुधवार, 16 अक्टूबर 2019

छुपते फिरते हो तुम क्यो न जाने मुझसे। कोई उलझन है तुमको बताओ न मुझसे- लव तिवारी

छुपते फिरते हो तुम क्यो न जाने मुझसे।
कोई उलझन है तुमको बताओ न मुझसे।।

हक़ीक़त क्या है ये पता तो मुझे भी चले।
जो तुम पास थे मेरे,अब क्यो दूर हो मुझसे।।

मैं हर वक़्त जुबान पर नाम जो तेरा लेता हूं।
पता नही बन गए तुम मेरे ख़ुदा कबसे ।।

कई हसीन रुख आज भी फिदा है मुझपर।
मेरी निगाह तुमको ढूढ़ती है हर जगह तबसे।।

कभी आना तो न छोड़ कर जाना कभी मुझको।
मैं आशिक हुँ तुम्हारा और बस दीवानी है तुमसे।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 16-अक्टूबर-2019















रविवार, 13 अक्टूबर 2019

मैं नाम उसका लूँ कैसे जिस नाम से बदनाम हुँ- लव तिवारी


अब कोई नही गिला तुमसे,अपनी जिंदगी से हैरान हूं।

न हो सका कोई अपना, इस बात से परेशान हुँ।।


मिलता नही हर किसी को, उसके मनमाफ़िक हमसफ़र।

मिला एक शख़्स मुझे बेवफ़ा, इस बात से हैरान हुँ ।।


कोई आकर मुझे पूछे, क्या दवा है तेरे दर्द की।

मैं नाम उसका लूं कैसे, जिस नाम से बदनाम हुँ।।


मैं अपने हाथ की लकीरों में, ढूढता हूं नाम उसका।

अब क्या है उसके दिल मे, इस बात से मैं अंजान हूँ।।


रचना- लव तिवारी

दिनांक- 13- अक्टूबर-2019


गुरुवार, 26 सितंबर 2019

जरा देर से आते हो, दिल सहम सा जाता है। पल भर के इस दौर को, बरसों की तरह लग जाता है- लव तिवारी

जरा देर से आते हो, दिल सहम सा जाता है।
पल भर के इस दौर को, बरसों की तरह लग जाता है।।

इतनी बेचैनी न थी,और पागलपन भी कभी नही।
तुमसे मिलने के थोड़े देर से, जान निकल सा जाता है।।

क्या जानो तुम मेरे दर्द को,ना समझो इस बिरहन को।
आते जाते तेरे ख़यालो में, बस दिन गुजर सा जाता है।।

अपनी बेताबी किससे कहे, तुम ही तो हो मेरे साजन।
सजनी की इस बात को समझो, जीवन फिर नही आता है।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 26-सिंतम्बर-2019


बुधवार, 18 सितंबर 2019

बहुत तलाश किया तुम्हें तुम्हारे जाने के बाद मिलता नही कोई फिर बिछड़ जाने के बाद- लव तिवारी

बहुत तलाश किया तुम्हें, तुम्हारे जाने के बाद।
मिलता नही कोई फिर, बिछड़ जाने के बाद ।।

मुझको भी चाहिए हमेशा, तुम्हारे रुख का दीदार हो ।
सफर ऐसे ही गुजर जाती है, बसअफ़साने के साथ ।।

क्या खता हुई जो तुम, इतना बदल गए ।
छोड़कर जाना था, तो जाते मेरे मरने के बाद ।।

आदमी हूँ मुझको भी, मोहब्बत की जरूरत है।
क्यो बदले तुम एकाएक, मुझें इतना चाहने के बाद।।

अब नही होगा किसी गैर से, मुझको मोहब्बत।
बदन ओढ़ लेगा कफ़न, तुम्हारे हसरतों के बाद।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 18-सितम्बर-2019
ब्लॉग- www.lavtiwari.blogspot.com




रविवार, 15 सितंबर 2019

क्यो हिंदू और मुसलमान बना फिरता है इंसान की आड़ में हैवान बना फिरता है - लव तिवारी

क्यो हिंदू और मुसलमान बना फिरता है ।
इंसान की आड़ में,हैवान बना फिरता है ।।

कुछ नहीं होगा इस जहाँ में मजहबी बनकर ।
शहर के गलियारों में, शैतान बना फिरता है ।।

राजनीति किसी की नही, जो तेरे साथ होगी ।
क्यों नेताओं का तू, फ़रमान बना फिरता है ।।

अब भी वक़्त है चलो, एक होकर मिलकर रहे ।
क्यों तू अपने कौम की भगवान बना फिरता है ।।

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 15- सितंबर-2019
संपर्क सूत्र- +91-9458668566


शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

समुद्र की कहानी - लव तिवारी

समुद्र की गहराइयों से हटकर समुद्र की एक प्रेरणा युक्त कहानी , समुद्र के किनारे जब एक लहर आया तो एक बच्चे का चप्पल ही अपने साथ बहा ले गया| बच्चा रेत पर अंगुली से लिखता है "समुद्र चोर है"| उसी समुद्र के एक दूसरे किनारे कुछ मछुआरे बहुत सारे मछली पकड़ लेते  और उनसे उनका व्यवसाय एवम धन अर्जित करते हैं|  वह उसी रेत पर लिखता है "समुद्र मेरा पालनहार है"| एक युवक समुद्र में डूब कर मर जाता है| उसकी मां रेत पर लिखती है "समुद्र हत्यारा है"| एक दूसरे किनारे एक गरीब बूढ़ा टेढ़ी कमर लिए रेत पर टहल रहा था| उसे एक बड़े सीप में एक अनमोल मोती मिल गया| वह रेत पर लिखता है "समुद्र दानी है"| अचानक एक बड़ी लहर आता है और सारे लिखा मिटा कर चला जाता है| लोग जो भी कहे समुद्र के बारे में लेकिन विशाल समुद्र अपनी लहरों में मस्त रहता है| अपने उफान और शांति वह अपने हिसाब से तय करता है| अगर विशाल समुद्र बनना है तो किसी के निर्णय पर अपना ध्यान ना दें| जो करना है अपने हिसाब से करें| जो गुजर गया उसकी चिंता में ना रहे| हार जीत, खोना पाना, सुख-दुख, इन सबके चलते मन विचलित ना करें| अगर जिंदगी सुख शांति से ही भरा होता तो आदमी जन्म लेते समय रोता नहीं| जन्म के समय रोना और मरकर रुलाना इसी के बीच के संघर्ष भरा समय को जिंदगी कहते हैं|



वाहन चलान से पीड़ित व्यक्ति की अभिव्यक्ति -लव तिवारी

इसका जुर्म का जुर्माना कौन भरेगा
धरती पर हो रहे अन्याय कौन सहेगा

अगर मौत मिल जाये खराब सड़कों से
खूबसूरत जिंदगी का हरजाना कौन भरेगा

चालान ऐसा की वेतन भी शर्मा जाये
घर मे भूखे बच्चो का निवाला कौन भरेगा

रचना- लव तिवारी
दिनांक- 06- सितंबर-2019




शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

मेरे ख़ुदा तूमने मुझको क्यो ऐसे ख्वाब दिखाए- लव तिवारी

कहा चले जाते हो तुम, दिल मे तड़प जगा के
बरसो की प्यासी धरती पर, थोड़ी बूँद बरसा के

मुझको मिले नही तुम फुरसत के चंद लम्हो में
चाहत देखो ऐसी है बस मुझको तुम तड़पाते

ख्वाब जो देखा तुमको लेकर और न पुरे हो सके सपने
बड़ी खुसनशीब होती जिंदगी, जीवन मे जो तुम आते

इस जिंदगी में मुक्कमल, न हो सकी जो अपनी चाहत
मेरे ख़ुदा तुमने मुझको, क्यो ऐसे ख्वाब दिखाये

रचना - लव तिवारी
दिनांक- 30- अगस्त-2019








मंगलवार, 27 अगस्त 2019

वंशवाद से हटकर है भारतीय जनता पार्टी- प्रोफेसर डॉ दीपक कुमार शर्मा

अरुण जेटली अब नहीं रहे। पर उनका बेटा कहाँ है?और स्वर्गीय सुषमा स्वराज की बेटी कहाँ है? स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर, जिन्होंने अपने अंतिम दिनों में एक सार्वजनिक कर्तव्य के साथ नाक में ट्यूब डालकर काम करते रहे , उनके नथुने कहाँ हैं या उनका कोई बच्चा राजनैतिक गद्दी संभालने के दावे का साथ आगे आया?

स्वर्गीय पूर्व पीएम वाजपेयी, क्या उन्होंने अपनी विरासत को हासिल करने के लिए किसी उत्तराधिकारी को छोड़ा था? क्या आप नोटिस करते हैं? हम उनके बेटों और बेटी का नाम भी नहीं जानते।
हमारे मौजूदा प्रधान मंत्री, भगवान न करे, वह जिस दिन जाते हैं , क्या वो अपनी जगह कोई भाई भतीजा बिठाकर जाएंगे ?
बीजेपी में कई खामियां हो सकती हैं, लेकिन उन्होंने एक ऐसी व्यवस्था बनाई है, जहां वे वंशवादी राजतंत्र नहीं बनाते हैं।
इसकी तुलना अन्य पार्टियों से करें जहाँ नेतृत्व एक वंश है और पार्टी एक पारिवारिक व्यवसाय की तरह है।
प्रोफेसर डॉ दीपक कुमार शर्मा




शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

तुम से ही जीवन अपनी कैसे इसे बर्बाद करेगे - लव तिवारी

अब नही याद करेंगे न कोई फ़रियाद करेगे
तुम से ही जीवन अपना कैसे इसे बर्बाद करेगे

तुमको शायद मालूम न हो बिछड़ते हो जब ख्वाबों में तुम
दिल सहम जाता हो जैसे,  सोचते किसको प्यार करेगें

मुझको पता तुम मेरी न हो, हो अमानत गैरो की
जान कर इन सच्ची बातो को, फिर कैसे इनकार करेगे

रखे सलामत ख़ुदा तुम को, और सारी खुशियां मिले 
मरते दम तक यही तमन्ना और दुआ हर बार करेगें

रचना- लव तिवारी
दिनांक -02- अगस्त-2019