पाकिस्तान में सांप्रदायिक आधार पर नागरिकता नहीं
द्विराष्ट्र सिद्धांत की व्याख्या करते हुए जिन्ना ने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया था कि नागरिकता का कभी भी सांप्रदायिक आधार नहीं होगा. उन्होंने महात्मा गांधी से ये बात कही थी और पाकिस्तान में विभिन्न समुदायों को नागरिकता के समान अधिकार दिए जाने का वादा किया था. जब आज़ादी का अवसर करीब आ गया और अंतरिम सरकार का गठन हुआ, तो जिन्ना ने काउंसिल की एक मुस्लिम सीट के लिए जोगिंदर नाथ मंडल को नामित किया. आगे चलकर मंडल ने पाकिस्तान संविधान सभा के प्रथम सत्र की अध्यक्षता की और पाकिस्तान के प्रथम विधि मंत्री बने. जिन्ना का 11 अगस्त का भाषण बहुत महत्वपूर्ण है.
दुर्भाग्य जिन्ना के कुछ वर्ष शासन के बाद ही पाकिस्तान को पूर्ण मुस्लिम राष्ट्र बंनाने की मुहिम चालू हो गयी और गैर मुस्लिम लोग जो जिन्ना के इस अधिकार से अपनी धन संपत्ति के मोह में पाकिस्तान में रह गए उंन्हे जबरन धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बनाया गया जो हिंदू है उंन्हे आज भी प्रताड़ित किया जाता है इसका उदाहरण पाकिस्तान में कुल हिन्दू की आबादी का 23 से 3% प्रतिशत का होना है। अब नागरिकता बिल को लेकर तरह तरह के प्रश्न उठ रहे है। मेरे फ़ेसबूक में वो जो मेरे द्वारा लिखे गए बातो का विरोध करते हैं क्या वो पाकिस्तान और बांग्ला देश के गैर मुसलमान के साथ हुए अन्याय का विरोध किया है।
प्रस्तुति-लव तिवारी
दिनांक- 18 दिसंबर 2019
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