बुधवार, 20 दिसंबर 2023
मेरे जीवन के विरानियों में सुंदर बगिया की बहार हो तुम- रचना लव तिवारी
ताजमहल की सुंदरता लिए एक अनुपम उपहार हो तुम।
मेरे जीवन के विरानियों में सुंदर बगिया की बहार हो तुम।।
देख कर तुमको आहे भरता औऱ तड़पता तुम्हारी यादों में।
ईश्वर रूपी एक फरिस्ता बन अदभुत पहचान हो तुम।।
एक तम्मना लिए खुदा से मांगता हूं दिन रात तुम्हें।
हो जाती तुम मेरी साजना अमृत घड़ा की प्यास हो तुम।
तुमको पाने की उम्मीद में कैसे कटते है दिन रात मेरे।
ख़ुदा तुमको हमें सौंप दे इस दुनियां की सौगात हो तुम।।
मंगलवार, 19 दिसंबर 2023
तुम्हें पाकर खोने को कुछ नही जिंदगी एक ख़्वाब साजोंने को कुछ नही- रचना लव तिवारी
तुम्हें पाकर खोने को कुछ नही
जिंदगी एक ख़्वाब साजोंने को कुछ नही।
आदमी में भला क्या मांगू ख़ुदा से
मुझको सब मिल गया पाने को कुछ नही।
एक हसरत लिए अब भी बैचेन सा होता है
भर दु मांग तेरा अब पछताने को कुछ नही।
बन के रहना तुम मेरी यही तम्मना है मेरी।
दुनिया मेरी मुस्कुराती रहें अब आज़माने को कुछ नही
दूसरा- ग़ज़ल
कुछ नहीं बस तू ही है जिंदगी मेरे नाम की,
आते जाते ख्वाबों में बस गई एक जान सी।
मुझको मिल गया जो चाहा और ख़ुदा से क्या चाहु।
हसरते पूरी हुई जो ख़्वाब थी अरमान की।
मुझसे करना न फरेब बनकर रहना मेरी दुल्हन।
तुम पर शुरू हुई हैं ख्वाईश जब तक रहे ये प्राण भी।
मुझको और कुछ नही चाहिए तेरे सिवा कुछ और भी।
बन गई हो दिल की धङकन रहना मेरे साथ ही।।
शादीशुदा स्त्री अक्सर कर बैठती है इश्क- अज्ञात
शादीशुदा स्त्री अक्सर कर बैठती है इश्क
मांग में सिंदूर होने के बाबजूद
जुड़ जाती है किसी के अहसासो से
कह देती है उससे कुछ अनकही बाते
ऐसा नहीं कि बो बदचलन है
या उसके चरित्र पर दाग है..
तो फिर वो क्या है जो वो खोजती है
सोचा कभी स्त्री क्या सोचती है
तन से वो हो जाती है शादीशुदा
पर मन कुंवारा ही रह जाता है
किसी ने मन को छुआ ही नहीं
कोई मन तक पहुंचा ही नहीं
बस वो रीती सी रह जाती है
और जब कोई मिलता है उसके जैसा
जो उसके मन को पढ़ने लगता है
तो वो खुली किताब बन जाती है
खोल देती है अपनी सारी गिरहें
और नतमस्तक हो जाती है उसके सम्मुख
स्त्री अपना सबकुछ न्यौछावर कर देती है
जहां वो वोल सके खुद की बोली
जी सके सुख के दो पल
बता सकें बिना रोक टोक अपनी बातें
हंस सके एक बेखौफ हंसी
हां लोग इसे ही इश्क कहते हैं
पर स्त्री तो दूर करती है
अपने मन का कुंवारापन..!!
तकलीफ़ दुनिया मे कम कहा है किसके आगे रोया जाए- रचना लव तिवारी
तकलीफ़ दुनिया मे कम कहा है।
किसके आगे रोया जाए।
हम सल्तनत के राजा नहीँ
कैसे किसी को ढोया जाय।
सत्ता जिसकी है वो बेख़बर है
नेता और अधिकारी जन
मेरा आंसू कौन पोछेगा
किसको हमदर्द कहा जाये।।
इस दुनिया मे जो भी आया
सब कुछ न कुछ दर्द लिए है।
मेरी हालत ऐसी है कि
सबके दर्द को को न सहा जाए
मेरे मालिक तेरी दुनिया मे ऐसा क्यों अन्याय है।
जो तेरा है वही दुःखी है किस किस से निपटा जाय।।
ताजमहल सी खूबसूरत एक फ़रमान हो तुम। मेरे पवित्र प्यार की उमीद वफ़ा यार हो तुम।।रचना लव तिवारी
ताजमहल सी खूबसूरत एक फ़रमान हो तुम।
मेरे पवित्र प्यार की उमीद वफ़ा यार हो तुम।।
रहो सलामत हरदम जले तुम्हारे दुश्मन सब।
आती जाती ठंडी हवा की एक बयार हो तुम।।
मुझपर बस एहसान कर मेरी हो जाओ तुम।
और कुछ नही चाहिये खुदा से मेरी प्राण हो तुम।।
ख़ुद से ज्यादा भरोसा करते है दिन रात तुम्ही पर।
और किसी मत हो जाना मेरी जान हो तुम।।
2- शेर
दिन रात तुझे में देखु बस यही तम्मना सौ बार मेरी।
तुम भी मुझकों देखा करना दिल का है अरमान यही।।
आ जाओ पास मेरे दुनिया के सारे रिश्ते को तोड़कर।
बन जाओ बस मेरी सजाना लेकर हर अरमान यही।
शुक्रवार, 15 दिसंबर 2023
मेरा दर्द क्या है यह मैं दुनिया को दिखला नहीं सकता- रचना लव तिवारी
मेरे सामने बैठे हुए प्यार को मैं अपना नहीं सकता।
इस दुनिया झुठी रिवाज़ से मैं टकरा नही सकता।।
अब तो यही रह गया है इस जमाने की फ़ितरत में ।
पास रखी अपनी ही वस्तु को भी कोई पा नहीं सकता।।
जिसको जो चाहे मिल जाए ऐसा ख़ुदा क्यों नहीं करता।
हर प्यार करने वाला अपने दर्द को ठुकरा नहीं सकता।
एक तुम ही तो हो जो मेरे दिल दिमाग जहन में बैठे हो।
क्या कोई अपने दिल की धड़कनों को धड़का नहीं सकता।।
किस्मत मेरी निक्कमी है जो महबूब के प्यार को पा ना सकूं।
मेरा दर्द क्या है यह मैं दुनिया को दिखला नहीं सकता।।
एक दिन वह दौर आएगा जब तुम मेरी और मैं तेरा रहूंगा।
इस बात की गंभीरता को कोई अब झुठला नहीं सकता।।
बुधवार, 13 दिसंबर 2023
मैं जानता हूं कि तुम मेरी नहीं हो फिर भी तुमको पाने को दिल करता है रचना- लव तिवारी ग़ाज़ीपुर
ये आंखें ये होंठ और सादगी भरा चेहरा इसमें डूब जाने को दिल करता है।
मैं जानता हूं कि तुम मेरी नहीं हो फिर भी तुमको पाने को दिल करता है।।।
यह जमाने के दस्तूर और नियम हमारे लिए नहीं है
ये सब जानकर फिर भी तुमसे दिल लगाने को जी करता है।
तुम मेरी हो कर रहोगी इस बात का यक़ीन मुझे भी है।
फिर भी तुम्हारे याद में दिल को धड़काने का जी करता है।
खुदा तुम्हें हर शोहरत हर ना चीज से नवाजे इस जमाने में
जो तेरे दुश्मन है उनको रास्तों से हटाने को जी करता है।
आदमी में भी बुरा कहां हूं जो बस तुम्हारे बारे में सोचता हूँ।
अब दिल आ ही गया है तुमपर तो साथ मुस्कुराने जी करता है।।
मंगलवार, 12 दिसंबर 2023
देखते देखते सो जाते हैं इन खूबसूरत चेहरे को। रचना लव तिवारी
देखते देखते सो जाते हैं इन खूबसूरत चेहरे को।
मेरे दर्द को तुम क्या जानो नही सोचते किसी औरों को।
तुम ही मेरी दवा दुआए साथ हो मेरे हक़ीम भी।
नहीं समझोगे तो मर जाएंगे दर्द लिए इन जख्मों को।।
चाह के तुमको गुनाह किया हूं तड़प रहा हूं पल पल में
तुम भी मुझको वैसे ही चाहों जैसे चाहत हो वर्षो की
सपने मेरे सच कर जाओ आकर तुम मेरी बन जाओ
इस दुनिया में जो ना हो सका वो करके तुम दिखलाओ।
एक तम्मना हरदम मेरी, तुम्हारा परचम ही लहराये
जो तुम्हारा जानी दुश्मन है वो खाक में मिल जाये।।
रहो सलामत हरदम तुम, मेरी उम्र भी तुमको लग जाये।
करो राज दुनिया पर तुम साथ कोई आये या न आये।।
सोमवार, 11 दिसंबर 2023
आप की याद हमें अक्सर रुलाती है क्या करें आप भी कहा साथ निभाती है रचना लव तिवारी
आप की याद हमें अक्सर रुलाती है।
क्या करें आप भी कहा साथ निभाती है।
दिल मे रखकर दूर है इसका किसे ख़बर
ये दर्द मेरा मुझको दिन रात तड़पाती है।
मारा गया हूं तेरा प्यार का कोई दवा नही
एक चेहरा तेरा देख लू तो सुकून की नींद आती है।
जमाने की तरह तुम भी अब मतलबी न बन जाओ
तुम भी तो मेरा दर्द समझो जिसे दुनिया सताती है।
ख़ुदा का शुक्र देखिए कि आप हमको ही मिल गए रचना - लव तिवारी
नजर में बसते बसते कब दिल में बस गए।
आदमी थे आप गैर कब रूह में उतर गए।।
इतनी मोहब्ब्त किसी से मैंने की नही कभी
आप है जो खुशियों से दामन मेरा भर दिए।
कुछ लोग ने मुझसे आप के बारे में कुछ कहा।
तो फिर क्या है देखिए कि हम ज़माने से भीड़ गए।।
हर शख्स है पागल आप को पाने की चाह में।
ख़ुदा का शुक्र देखिए कि आप हमको ही मिल गए।।
मेरा वजूद बढ़ा है आप शख्शियत को पाने से
कुछ लोग मुझसे कहते है कि आप धन्य हो गए।।
रविवार, 10 दिसंबर 2023
मेरा हक अब किसी को न देना मेरी हो तो बस मेरी ही होना रचना - लव तिवारी
मेरा हक अब किसी को न देना।
मेरी हो तो बस मेरी ही होना।।
मेरी धङकन हो गयी हो जबसे तुम,
अब किसी से क्या लेना देना।।
मेरी अमानत हैं तेरा वो प्यारा दिल
अब किसी को इसे कभी मत देना।
ख़ुदा तुम्हें रखेगा सलामत
इस दुनिया से फिर क्या लेना।
सारी मुरादे हो आप की पूरी
दुनिया मे बस आप का होना
लव तुमको चाहेगा हरदम।
यही तम्मना मरते दम तक देना।।
रचना - लव तिवारी
शनिवार, 9 दिसंबर 2023
तुम्हारी याद ही मुझको हर पल हर वक्त क्यों सताती हैं- लव तिवारी
तुम्हारी याद ही मुझको हर पल हर वक्त क्यों सताती है।
ये दुनिया क्या कोई कम है निगाह तुम पर ही जाती है।
बड़ा दुष्वार है जीना इस दौर में तुम्हारे बिना।
मेरी दुनिया बस तुम हो ये क्यों नही समझ पाती हो।
ये जीवन तुम बिन मुझको बहुत सुना सा लगता है।
जमाने भर की खुशियां मुझे क्यो नही रास आती है।।
मैं मर जाऊँगा तुम बिन जब तुम मेरी हो न पाओगी।
दुनिया की कोई तकलीफ़ मुझे नही दर्द दे पाती है।
कभी आओ मेरी बाहों में लिपट कर अपने गम सारे दे दो।
जब तुम ख़ुश होते हो तभी तो मुझे नींद आती है।।
रचना - लव तिवारी
गुरुवार, 7 दिसंबर 2023
इतिहास गवाह बा क्षत्रिय बल से ना छल से मारल गईल बा -कुमार अजय सिंह गीतकार
🗡️✍️ क्षत्रिय के बलिदान ✍️🗡️
बीरवन के बीर गति होखल,ई इतिहास के बात पुरान बा
अत्याचार के विरोध करे में,क्षत्रिय के भइल बलिदान बा
चाहे लड़ाई आजादी के होखे,चाहे बॉडर के सुरक्षा के
बीना क्षत्रिय के शस्त्र उठइले,वतन के,के करी रक्षा के
क्षत्रिय वंश के त्याग तप के,जानत जगत हिन्दुस्तान बा
अत्याचार के विरोध करे में,क्षत्रीय के भइल बलिदान बा
जब करवट सता लेला,चाहे लाज राखेके होला कानुन के
रणभूमी में कुद जाला,अपने हाथे तिलक लगाके खुन के
ना डेराला लड़े मरे से,ई लिखले अपने हाथ से दास्तान बा
अत्याचार के विरोध करे में,क्षत्रीय के भइल बलिदान बा
पीठ पर वार करे ना जाने,घोंपे भाला सोझा से छाती पर
विश्वासघात ना करेला,ना हाथ लगावे दोसरा के थाती पर
आपन सब कुछ लुटाके,दोसरे के बचावे में ई परेशान बा
अत्याचार के विरोध करे में,क्षत्रीय के भइल बलिदान बा
कफन के आपन पोसाक समझेला,मृत्यु के जानेऽ इयारी
कुर्बानी हॅंस के देला,भारत माता के धरती के हऽ पुजारी
ठोक देबे सोझा सोझी,ठोके ठोकाय में पहिला स्थान बा
अत्याचार के विरोध करे में,क्षत्रीय के भइल बलिदान बा
माथ पर पगरी डाड़ में लंगोटा,हाथ में राखे मोटहन सोटा
कटइब कगरी त पटक के रगरी,धके बांह कबार दी झोटा
रहस अजय अपना संस्कार में,ऐकरा पर बेसी ध्यान बा
अत्याचार के विरोध करे में,क्षत्रीय के भइल बलिदान बा
बीर सुखदेव सिंह गोगामेणी के शहादत,अमर कहानी बा
फिर रामचन्द्र महराणा के वंशज,लिखले नया कहानी बा
खुन के धार से निकलल ज्वाला,धरती पर ई कृतिमान बा
अत्याचार के विरोध करे में,क्षत्रीय के भइल बलिदान बा
सर्वाधिकार सुरक्षित @@
कुमार अजय सिंह गीतकार
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इतिहास गवाह बा क्षत्रिय बल से ना छल से मारल गईल बा !!
बीर शहिद क्षत्रिय के कफन भारत माता के दिहल लहु से खंघारल गईल बा !!
कुमार अजय सिंह गीतकार
नमन एवं विनम्र श्रद्धांजली।
🙏🙏🙏🙏🙏
बुधवार, 6 दिसंबर 2023
तोहरा बीना कतहुं लागे नाही मन रनीया हऊ जिन्दगी के हमरा तुहीं धन रनीया - गीतकार कुमार अजय सिंह
✍️ जिन्दगी के धन हमार रानी ✍️
तोहरा बीना कतहुं लागे,नाही मन रनीया
हऊ जिन्दगी के हमरा,तुहीं धन रनीयाऽ
ओठ चटकार लाल,सुगनी के ठोर बा
चढ़ल जवानी भरल,रस पोरे पोर बा
रह दिल के भीतर इहे,बा खखन रनीया
हऊ जिन्दगी के हमरा,तुहीं धन रनीयाऽ
दिनवा तऽ ऐने ओने,घुम फिरके कटेला
रतिया में बीना तोहके,अंखियां ना सटेला
सट के सुतीले मन होला,टनाटन रनीया
हऊ जिन्दगी के हमरा,तुहीं धन रनीयाऽ
लवकुश तिवारी के,लेलऽ आशीर्वाद तु
गोलु साथे जीवन कटी,रहबु आबाद तु
"अजय" कहस बड़ा लागेलु निमन रनीया
हऊ जिन्दगी के हमरा,तुहीं धन रनीयाऽ
सर्वाधिकार सुरक्षित @@
कुमार अजय सिंह गीतकार
पत्नि भक्त गोलु जी के सेवा में सादर समर्पित भेंट संदेश द्वारा लवकुश तिवारी गाजीपुर उत्तर प्रदेश 🌹❤️🌹❤️🌹
शुक्रवार, 1 दिसंबर 2023
दिल के सच्चे लगते हो तभी तो अच्छे लगते हो आदत तुम्हारी इतनी प्यारी,तभी तो बच्चे लगते हो- रचना लव तिवारी
दिल के सच्चे लगते हो, तभी तो अच्छे लगते हो।
आदत तुम्हारी इतनी प्यारी, फिर क्यों बच्चे लगते हो।
मुझपर अपना प्यार लुटाकर, हमदर्दी की बात जताकर।
हर पल हर क्षण यादों में, अक्सर चलते रहते हो।।
मेरी दुनिया तुमसे है और तुम हो मेरी जाने तम्मना।
करू इबादत तुम्हारी ही बस, मुझकों ख़ुदा तुम लगते हो
सास का क्या कब थम जाये, जीवन अपना कब रुक जाए।
इस दुनिया की आपा धापी में, बस तुम ही सच्चें लगते हो।
गीता और कुरान की बातें, सब अपने जगह पर सब ठीक है।
बातें तुम्हारी खुश रखती है,और तुम मुझको अच्छे लगते हो।
रचना लव तिवारी
ग़ाज़ीपुर उत्तरप्रदेश
हमने भी जिंदगी में क्या हासिल किया रचना ऋषिता सिंह
हमने भी जिंदगी में क्या हासिल किया
अपने ही ग़म में लोगों को शामिल किया
देवता हो न जाए यहाँ हम भी फिर
इस दफ़ा हमने पत्थर को भी दिल किया
मैं तो कमज़र्फ़ हूँ और तू है ज़की
लोगों ने मेरा सच फिर तो बातिल किया
बाख़बर थी मैं भी इश्क़ की चाल से
और फिर इश्क़ ने तेरे ग़ाफ़िल किया
आए भी तुम थे तो चोर दरवाज़े से
ये मिरी ही ख़ता तुमको दाख़िल किया
रचना- ऋषिता सिंह
युवराजपुर गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश
बिना कुछ किये हुए कोई भी काम मुकम्मल नहीं होता- रचना नीरज कुमार मिश्रा बलिया ,
"बिना कुछ किये हुए कोई भी काम मुकम्मल नहीं होता,
बिना किसी प्रयास के किसी समस्या का हल नहीं होता,
ज़रूर उसने अटूट विश्वास किया होगा अपना समझकर,
नहीं तो बिना विश्वास किये किसी के साथ छल नहीं होता,
अगर मिली है ज़िंदगी तो किसी के परमार्थ कुछ अच्छा करो!,
मरणोपरांत जग में नाम नहीं होने पर जीवन सफ़ल नहीं होता,
तुम्हारी सफलताओं पर तुम्हारे कथित अपने ही ज़हर उगलेंगे,
आस्तीन के सांप से ज़्यादा किंग कोबरा में भी गरल नहीं होता,
अपने अधिकारों को पाने लिए तुमको स्वयं ही लड़ने पड़ेगा!,
ज़िंदगी का सफर बहुत मुश्किल होता है यह सरल नहीं होता।"
नीरज कुमार मिश्र
बलिया
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