
चलो चलें अब अपने गाँव, चलो चलें अब अपने गाँवबचपन जहाँ बुलाता है,वह दौर ही मन को भाता है।आज मतलबी इस दुनिया सेजी अपना घबराता है।।याद बहुत आता है मुझको उस बूढ़े पीपल की छाँव।चलो चलें अब अपने गाँव, चलो चलें ------ गाँव।।यही कहानी सब कहते क्या-क्या नहीं दर्द सहते।सड़को औ चौराहो पर कैसे गंवईं जन है रहते ।।याद सताती मातृभूमि कीयहाँ कर लिये खूब पड़ाव।चलो चलें अब अपने गाँव, चलो------ गाँव।।जहाँ बाग में मीठे आमवहाँ की प्यारी होती शाम।मेरे बाबू जी किसान...