विश्व में भारत के संबंधों को प्रगाढ़ करती हिंदी
विविध कला शिक्षा अमित,
ज्ञान अनेक प्रकार ।
सब देसन से ले करहूँ,
भाषा माहि प्रचार।
हिंदी भाषा है ऐसी,
पावै लाभ सब कोय ।
इस भाषा की गुन महता,
जाने जगत में सब कोय
आज हिंदी की भागीदारी केवल देश में ही नहीं वरन् पूरे विश्व में लाभकारी है। इस बात का प्रमाण आज के नवीनतम शोध दे रहे हैं। हालाँकि सदियों से हिंदी को अप्रामाणिक और अवैज्ञानिक भाषा कहकर इसकी क्षमताओं को सीमित करने का हर संभव प्रयास किया गया। इसके बावजूद जब इसे विश्व मंच पर अपना साम्राज्य फैलाने का मौका दिया गया तब इसने स्वयं को प्रमाणित कर दिखाया । आज हिंदी विश्व में भारत के संबंधों को प्रगाढ़ करने में अग्रणी भूमिका निभा रही है। इसीलिए आज आवश्यकता है इंटरनेट, वेबसाइट, ब्लॉगिंग नए पोर्टल विभिन्न प्रकार के विमर्शो में हिंदी की भागीदारी बढ़ाने की और विश्व के अन्य भाषाओं के निकट लाने की।
रूपर्ट स्नेल के शब्दों में - हिंदी एक वर्ग, जाति, धर्म, संप्रदाय, देश अथवा संस्कृति की नहीं यह भारत की भाषा है। यह मॉरीशस की, इंग्लैंड की सारी दुनिया की भाषा है। हिंदी आपकी है, मेरी है, हम सबकी है।
मातृभाषा के अमर गायक भारतेंदु हरिश्चंद्र ने भी हिंदी की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहा है-
प्रचलित करहुँ जहान में,
निज भाषा करि जत्न ।
राज-काज दरबार में,
फैलावहु यह रत्न।
आज टेलीविजन, मीडिया, प्रिंट मीडिया, इंटरनेट आदि का प्रयोग यदि उच्च स्तर पर हिंदी के माध्यम से करने से विश्व की विभिन्न संस्कृतियों से भारत के संबंधों की प्रगाढ़ता बढ़ रही है। आज भारतवर्ष की भाषा एवं संस्कृति से पूरा विश्व प्रभावित हुआ है।
इस प्रकार वैश्वीकरण के इस दौर में जो 10 भाषाएंँ जीवंत हैं उनमें से एक भाषा हिंदी है। हिंदी हमारे देश की पूर्णतः राष्ट्रभाषा भले ही न बन पाई हो, किंतु यह एक विश्व भाषा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, चीन, जापान, ब्रिटेन जर्मनी, न्यूजीलैंड, अफ्रीका, यमन, युगांडा, त्रिनीडाड, कनाडा आदि देशों में बड़ी संख्या में हिंदी भाषी हैं। इसके अतिरिक्त इंग्लैंड, अमेरिका, मध्य एशिया में इसे बोलने वालों की अच्छी तादात है।
विश्व में भारत के संबंधों को प्रगाढ़ता प्रदान करती हिंदी की सकारात्मक प्रवृत्तियाँ हमें निम्न रूप में दृष्टिगत हो रही हैं-
1- भौगोलिक रूप से हिंदी किसी एक महाद्वीप में नहीं वरन् हर महाद्वीप में बोली और समझी जाती है।
2- यदि हम जनतांत्रिक आधार की बात करें तो इसे बोलने और समझने वालों की संख्या विश्व में तीसरे स्थान पर है।
3- 132 देशों में लगभग दो करोड़ भारतवासी रोज़गार आदि की वज़ह से देश छोड़कर भले ही विदेश चले गए, किंतु वो वहाँ भी हिंदी में ही अपना कार्य संपादित करते हैं।
4- हिंदी एक ऐसी उच्च कोटि की भाषा है जो एशियाई संस्कृति में अपनी अलग पहचान प्रस्तुत करती है, इस प्रकार यह एशियाई भाषा मात्र न होकर एशिया की एक प्रतिनिधि भाषा जो भारत तथा विश्व के अन्य देशों के मध्य संबंधों में प्रगाढ़ता लाने में महती भूमिका अदा करती है।
5- यह इतनी लचीली एवं सर्वग्राह्य है कि अनेकानेक भाषाओं के शब्द इसमें इस प्रकार घुल-मिल जाते हैं कि वो विदेशी न दिखकर हिंदीमय ही दिखते हैं।
इस प्रकार हिंदी का विश्व में प्रचार-प्रसार देखते हुए हम कह सकते हैं कि हिंदी अपने अंदर पूरे विश्व को स्थापित कर रखी है। आर्य, द्रविड़, आदिवासी, स्पेनी, पुर्तगाली, फ़ारसी, चीनी, जापानी आदि भाषाओं के शब्द इसमें एक अच्छे मित्र की भाँति समाविष्ट हो विश्व में भारत के संबंधों की प्रगाढ़ता की प्रवृत्ति को उजागर करते हैं। इंटरनेट पर हिंदी की स्वीकार्यता भारत और विश्व के संबंधों को प्रगाढ़ करने में सोने पर सुहागा का कार्य करती है। हिंदी के माध्यम से विश्व के संबंधों में प्रगाढ़ता के कारण ही विश्व के 180 से 85 विश्वविद्यालयों में हिंदी का शिक्षण एवं प्रशिक्षण कार्य चल रहा है। मात्र अमेरिका में 100 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है।
ऐनाकाटीर एनसाइक्लोपीडिया के अनुसार- चीनी भाषा के बाद संसार में सबसे अधिक प्रयुक्त होने वाली भाषा हिंदी ही है।
यदि हम व्यापक रूप में विश्व में हिंदी की सहभागिता पर विचार करें तो पाएंँगे कि हिंदी उन सभी प्रक्रियाओं को व्यक्त करती है जिसमें विभिन्न देशों में उपस्थित व्यक्तियों या संगठनों की गतिविधियाँ एक से दूसरे देश में पहुँचती हैं। यदि हम साफ़ शब्दों में कहें तो हिंदी दो देशों के बीच व्यवसाय, पूँजी, निवेश व मानव संसाधन के उन्मुक्त प्रवाह को व्यक्त करती है।
इस तरह पर विश्व के अनेकानेक देशों की अर्थव्यवस्था, शिक्षा, सामाजिक व्यवस्था एवं संस्कृति को प्रभावित करती है, और उसका परिणाम प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में विश्व के अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों को प्रगाढ़ता प्रदान करती है।
दरअसल हमारी भाषा हिंदी का मूलमंत्र ही है *वसुधैव कुटुंबकम* जो संपूर्ण विश्व को एक परिवार की तरह मिलजुल कर रहने और विकास करने की प्रेरणा देती है। जिससे हम सभी एक साथ प्रगति के पथ पर अग्रसर हों, और एक दूसरे के सुख-दुख में परस्पर सहयोग करें। इसमें सीधे-सीधे अपने स्वाभाविक स्वरूप के कारण सहजता से बाकी दुनिया के अनेकानेक देशों से जुड़ने का संदेश निहित है और व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इसमें वैश्वीकरण, भूमंडलीकरण का अर्थ छुपा हुआ है।
हिंदी का महत्व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी दृष्टिकोण से जापान, चीन, फ्रांस, रूस, अमेरिका युगांडा, फ़िजी आदि देशों से कम नहीं है, और विश्व के अनेक क्षेत्रों में योगदान करने की भरपूर क्षमता हिंदी रखती है। सूचना, तकनीक एवं उच्च शिक्षा विज्ञान, चिकित्सा, अध्यात्म, योग आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें हिंदी ने प्रशंसनीय योगदान किया है और आगे भी अनवरत करती रहेगी। यदि इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो पाएंगे कि हिंदी किस प्रकार विश्व के अनेकानेक देशों से अपने संबंध को प्रगाढ़ता प्रदान कर उन्नति के शिखर पर अग्रसर हुई है।
हिंदी भाषा है ऐसी, विज्ञान तकनीकी सभी में रच-बस जाए।
तभी तो यह प्रमाणिक वैज्ञानिक भाषा कहलाए।
सबंधों को प्रगाढ़ करे, रिश्ते मजबूत बनाए।
सौम्य, सरस और रुचिकर भाषा, उन्नति के शिखर पर जाए।
विश्व की राजनीति में भी हिंदी का अपना प्रमुख स्थान है। भारत वर्ष में हिंदी राजभाषा के रूप में जानी जाती है और यह संचार का एक सशक्त माध्यम है। आज पूरा विश्व वैश्वीकरण को स्थापित करना चाहता है। हिंदी इसे सफल बनाने में अपना अमूल्य योगदान देती है और आने वाले वर्षों में भी वैश्वीकरण को और भी अधिक प्रभावशाली बनाने में भी हिंदी अहम भूमिका निभाती रहेगी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, रेडियो, टीवी के विभिन्न चैनलों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विभिन्न कार्यक्रमों में चाहे वो सांस्कृतिक, मनोरंजन के हों, समाचार के हों या धर्म के आध्यात्मिक, खेलकूद अथवा विज्ञान की जानकारी इत्यादि से संबंधित हर क्षेत्र में आज हिंदी की सकारात्मक सहभागिता उपलब्ध है।
इत-उत चारिहुँ ओर मैं देखी, हिंदी रही विराज।
देश- समाज विकास करेगा, हिंदी में करो काज।
विश्व में हिंदी की महत्ता विश्वास रखती है। हिंदी भाषा और इसमें संगीत भारतीय सांस्कृतिक धरोहर इतना सुंदर और समृद्ध है कि इस ओर अधिक प्रयत्न किए बिना ही इसका विकास परिलक्षित हो रहा है। ध्यान, योग, आसन, आयुर्वेद के शब्दों का स्वतः दूसरी भाषा में विलय बड़ी ही आसानी से हो जाता है। आज विदेशों में हिंदी के प्रभाव में अनवरत वृद्धि हो रही है। आज कई विदेशी फ़िल्म निर्माता अपनी फ़िल्म को हिंदी में डब करके प्रस्तुत कर रहे हैं। जुरासिक पार्क जैसी अति प्रसिद्ध फ़िल्म हिंदी के व्यापक प्रभाव को देखते हुए ही हिंदी भाषा में रूपांतरित की गई और इसके हिंदी संस्करण ने अंग्रेजी संस्करण की तुलना में तनिक मात्र भी कम ख्याति अर्जित नहीं की। इस प्रकार हिंदी के माध्यम से भारत वर्ष के संबंध विश्व के अन्य देशों से प्रगाढ़ होते जा रहे हैं। इसीलिए तो कहा जाता है-
यूनान - मिस्र-रोमांँ,
सब मिट गए जहाँ से।
अब तक मगर है बाक़ी,
नामो-निशान हमारा।।
कुछ बात है कि हस्ती,
मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन,
दौरे जहाँहमारा।
सब कुछ छोड़ दें,पर अपनी भाषा कैसे छोड़ेंगे।
यह तो हमारी माता है, इससे रिश्ता कैसे तोड़ेंगे।
जय हिंदी,🙏🙏 जय हिंदुस्तान
साधना शाही, वाराणसी