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सितंबर 2023 ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

Lav Tiwari On Mahuaa Chanel

we are performing in bhail bihan program in mahuaa chanel

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बुधवार, 27 सितंबर 2023

धरती मइया और गंगा किनारे मोरा गाँव की हिरोइन गौरी खुराना नहीं रहीं- मनोज भावुक

धरती मइया और गंगा किनारे मोरा गाँव की हिरोइन गौरी खुराना नहीं रहीं। नहीं रहीं अभिनेता कुणाल सिंह के साथ सुपरहिट जोड़ी रही गौरी। वह पिछले कई माह से बीमार चल रही थीं। चार बंगला, अंधेरी (वेस्ट) मुंबई स्थित अपने आवास 'सुमेरु' में उन्होंने अंतिम सांस ली। भोजपुरी सिनेमा के पहले और दूसरे दौर में असीम कुमार-कुमकुम, सुजीत कुमार-प्रेमानारायन, राकेश पांडेय-पदमा खन्ना या भोजपुरी सिनेमा के नये दौर में निरहुआ-पाखी हेगड़े/ निरहुआ-आम्रपाली, खेसारी-काजल राघवानी की...

मंगलवार, 26 सितंबर 2023

राजपूतों की बलदानी गाथा- लेखक लव तिवारी

कुँआ ठाकुर का था पर कभी लोग राजतंत्र में प्यासे नहीं मरे, खेत ठाकुर का पर कोई भूखा नहीं मरता था , बैल ठाकुर के हल ठाकुर का हल की मूठ पर हाथ हरवाह का पर हर-वाह आत्महत्या नही करते थे, उनकी हर ज़रूरत पूरी की ठाकुर ने उसके परिवार को पालने का एक मात्र साधन था ठाकुर के बैल और हल गाँव ठाकुर के, शहर ठाकुर के, देश ठाकुर का, क्योकी मातृभूमि के लिए अपना और अपने बच्चों तक का खून बलिदान देने वाला ठाकुर अपने देश और जनता के लिए ही जीता था,आक्रांताओ के आगे खडा होकर,बलिदान...

सोमवार, 25 सितंबर 2023

तू तो करनी का फल ही पाओगे- लाख चाहोगें छुपाना उनसे उनकी नजरो से बच न पाओंगे

तू तो करनी का फल ही पाओगे-२ लाख चाहोगें छुपाना उनसे उनकी नजरो से बच न पाओंगेहां तू तो करनी का फल ही पाओगेअपने हाथों से कुछ न दान कियाअपने ताकत ही अभिमान किया-२ना रहेगा तेरा ये नामो निशांइस तरह तुम मिटायें जाओगेतू तो करनी का फल ही पाओगे-२ लाख चाहोगें छुपाना उनसे उनकी नजरो से बच न पाओंगेएक सुंदर चिता बनायेगाऔर उस पर तुझे सुलायेगा-२जिस तरह जलती हर बरस होलीउस तरह तुम जलाये जाओगेतू तो करनी का फल ही पाओगे-२ लाख चाहोगें छुपाना उनसे उनकी नजरो से...

जोगावें कोई जोगिया जोग जती रे- व्यास जी मौर्या वाराणसी

जोगावें कोई जोगिया जोग जती रे-४जोग जती रे जोग जती रेजोगावें कोई जोगिया जोग जती रे-४जैसे ब्रम्हा वेद जोगावेंवेद जोगावें हो वेद जोगावेंशिव को जोगावें पार्वती रेजोगावें कोई जोगिया जोग जती रे-४जैसे सोनरा सोना जोगावेंसोना जोगावें रामा सोना जोगावेंघट ही न पावें एको रति रेजोगावें कोई जोगिया जोग जती रे-४जैसे नारी पुरुष जोगावेंपुरुष जोगावें हो पुरुष जोगावेंजरत अगन में होत सती रेजोगावें कोई जोगिया जोग जती रे-४कहत कबीर सुनो भाई साधुसुनो...

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए ये मुनासिब नही आदमी के लिए

 कहा चला ए मेरे जोगी, जीवन से तू भाग केकिसी एक दिल के कारण यू सारी दुनिया त्याग केछोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिएये मुनासिब नही आदमी के लिएप्यार से भी जरुरी काम हैप्यार सबकुछ नही जिन्दगी के लिएतन से तन का मिलन हो ना पाया तो क्यामन से मन का मिलन कोइ कम तो नहीखुशबू आती रहे दूर ही से सहीसामने हो चमन कोइ कम तो नहीचांद मिलता नहीं, सब को संसार मेहै दिया ही बहोत रोशनी के लिएकितनी हसरत से तकती ये कलिया तुम्हेक्यो बहारो को फिर से बुलाते नहीएक दुनिया उजाड़...

एक तिनके के जैसा बिखर जाएगा पाप करते हो जिस जिंदगी के लिए - अरुण दुबे ग़ाज़ीपुर

एक तिनके के जैसा बिखर जाएगा पाप करते हो जिस जिंदगी के लिए शाम होते ही सूरज ये ढल जाएगा ऐसा नियम बना है सभी के लिए एक तिनके के जैसा बिखर जाएगाइतने दिन में तू इस मन को धो ना सकाअपने परमात्मा का तू हो ना सका-२भक्ति का लो तू साबुन गुरु से अभी-२मन में फैले हुई गंदगी के लिएएक तिनके के जैसा बिखर जाएगा पाप करते हो जिस जिंदगी के लिएछोड़ सारे अहम को समर्पण करो प्रेम से फूल के नेग अर्पण करो हो कपट मन में तो पूजा लेते नहीं-२मन को निर्मल करो बंदगी के लिए एक तिनके...

ओ पापी मन करले भजन मौका मिला हैं तो कर ले जतन- अरुण दुबे ग़ाज़ीपुर

ओ पापी मन करले भजन मौका मिला हैं तो कर ले जतन बाद में प्यारे पछतायेगा जब पिंजरे से पंछी निकल जाएगा तब तू हाथ मलता ही रह जाएगा।क्यों करता है तेरा मेराना कुछ तेरा ना कुछ मेरा दो दिन का है ये जीवन तेरा फिर क्या तेरा फिर क्या मेरा हो....….........…...क्या तू लेकर आया था क्या तू लेकर जाएगा जैसा किया कर्म तूने वैसा ही फल पाएगा बाद में प्यारे पछतायेगा जब पिंजरे से पंछी निकल जाएगा तब तू हाथ मलता ही रह जाएगाभरी जवानी तू जी भर के सोयाआया बुढ़ापा तो देख के रोयापायेगा...

गुरुवार, 21 सितंबर 2023

हे अतिथि मेरा स्वागत स्वीकार कीजिए-

                                               हे अतिथि मेरा स्वागत स्वीकार कीजिए-2अपने गले मे प्रेम का -2 ये हार लीजिएहे अतिथि...............................-2हम आप के स्वागत मे पलके बिच्छाए है-2भगवान बनके आप मेरे घर मे आए है-2कुछ भी नही भाव का उप हार लीजिएहे अतिथि...............................-2नही साग है बीदूर का, सेवरी का नही...

मैं अहिल्या नहीं बनूंगी- लेखिका ऋषिता सिंह ग़ाज़ीपुर

मैं अहिल्या नहीं बनूंगीकिसी इंद्र की वासनाओं परअपना तिरस्कार, नहीं सहूंगीकल भी मैं शुद्ध, पुनीत, पवित्र थीऔर मैं कल भी रहूंगीकब तक किसी गौतम के श्राप सेयूंही पत्थर बनी रहूंगीक्यों मैं अपने उद्धार के लिएराम की प्रतिक्षा करूंगीकिसी के पद स्पर्श सेकैसे मैं खुद को शुद्ध कहूँगीमैं अपनी निष्कलंकता के लिएकब तक जग से लड़ूंगीअब मैं अहिल्या नहीं बनूंगीऋषिता स...

सोमवार, 18 सितंबर 2023

तू नही तो तेरी याद सही यादो के सहारे जी लेगे- सोनू निगम

तू नही तो तेरी याद सही यादो के सहारे जी लेगेहम ज़हर गमो का पी लेगे खुद चाक ग़रीबा सी लेगे..यू मेरी तरह कोई ना उजड़े ना मीत किसी मन का बिछड़ेतोड़ा है मेरा दिल तूने मगर किसी और के मत करना टुकड़े...इल्ज़ाम वफ़ा के हस कर हम सर देके ना हिलेगेहम ज़हर गमो का पी लेगे खुद चाक ग़रीबा सी लेगे..कभी तुझको चाँदनी रातो मे याद आए जो हम बरसातो मेनफ़रत से ही लेना नाम मेरा कभी ज़िक्र मेरा हो बातो मे..रोयेंगे सदा पर भूले से हम नाम ना तेरा कभी लेगेहम ज़हर गमो का...

शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

निज भाषा के अभिलाषी हैं हम सब तो हिन्दी भाषी है इरशाद जनाब खलीली

निज भाषा के अभिलाषी हैंहम सब तो हिन्दी भाषी हैबचपन से हिन्दी बोले हैंशब्दों से शरबत घोले हैंबड़ी सरलता से आती हैबोलचाल में मन भाती हैसर्वप्रथम ग्यारह स्वर आतेभाषा का प्रारम्भ बतातेअ आ इ ई उ ऊ ए ऐओ औ के संग ऋषि को लेलेअयोगवाह अं अः अक्षर हैंहालांकि ये दोनो स्वर हैंतत्पश्चात व्यंजन छत्तीसअन्य तीन अतिरिक्त हैं मिश्रितकुल उनतालिस व्यंजन सुन्दरमहायोग में बावन अक्षरक ख ग घ ङ बोलोकंठ तनिक कंठव्य के खोलोच छ ज झ ञ लिख लेध्वनि यदि तालव्य से निकलेट ठ ड ढ ण...

किसी से कुछ ना कहना सीखो- बीना राय गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

सबके साथ रहना सीखो।किसी से कुछ ना कहना सीखो।।हाले दिल जो सबको बताओगेतनहा महफ़िल में रह जाओगेदर्द आपना सहना सीखो ।कीसी से कुछ ना कहना सीखो।।चाहत में खुद के ही संवरा करोखुशियों की गली से गुज़रा करोमुकद्दर से लड़ना सीखो।किसी से कुछ ना कहना सीखो।।गुनगुनाते रहो मुसकुराते रहोहंसी ख्वाबों से आंख मिलाते रहोमौजों में बहना सीखो ।किसी से कुछ ना कहना सीखो।।घबराओ नहीं रब साथ है।तुम उसी से कहो जो भी बात है ।।रब के कदमों में ढहना सीखो।किसी से कुछ ना कहना सीखो।।स्वलिखित...

हिंदी है हमारी भाषा गर्व से बताइए जी - लेखिका मधुलिका राय ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

हिन्दी को बढ़ाइए जी,हिन्दी को बचाइए जी,हिंदी है हमारी भाषा ,गर्व से बताइए जी।सहज सरल भाषा,जीवन की अभिलाषा,मिश्री सी मीठी है ये , इसे अपनाइए जी।इसका ना ओर-छोर,बधे सब एक डोर,एकजुटता का पाठ,सबको पढ़ाइए जी।हिन्दी है हमारी शान,इस पर है अभिमान,हिन्दी को शिखर तक ,अब पहुंचाइए जी।मधुलिका ,,,,,,...

गुरुवार, 14 सितंबर 2023

परे है अक़्ल से परवाज़ आरजू ए क़लम हद ए कमाल से आगे है जुस्तजू ए क़लम- अहकम ग़ाज़ीपुरी

परे है अक़्ल से परवाज़ आरजू ए क़लम हद ए कमाल से आगे है जुस्तजू ए क़लम मेरे ख़याल में मज़्मून लेके आते हैं सरोशे इल्म से होती है गुफ़्तगू ए क़लम यही दुआ है कि इल्म ओ अदब के गुलशन में गुलों के ख़ामा से उट्ठे फ़ज़ा में बू ए क़लम अदब की क़द्र जो हैं ना बलद वो क्या जाने कि अहले इल्म ही होते हैं रूबरू ए क़लम ये इल्म एक क़लमकार की एबादत है नमाज़ हर्फ़ है स्याही अगर वज़ू ए क़लममैं आज क़ौम की तारीख़ लिखने बैठा हूं ये इम्तिहान है रह जाये आबरू ए क़लम अमीरे शहर हो अहकम अदब की दुनिया...

कलियों की जो अस्मत लूटे फूलों की तज़लील करे ऐसा वहशी क़ौम का मेरी रहबर होने वाला है -अहकम ग़ाज़ीपुरी

पेश जहां में ऐसा भी इक मंज़र होने वाला हैमोम का पैकर रोते रोते पत्थर होने वाला है कलियों की जो अस्मत लूटे फूलों की तज़लील करे ऐसा वहशी क़ौम का मेरी रहबर होने वाला है शर्म ओ हया के साथ ही अपनी क़दरें भी नीलाम हुई आंख का पानी बहकर सर से ऊपर होने वाला हैजिसके परे परवाज़ में जुर्रत भी है अर्श को छूने कीवक्त के तेवर यह कहते हैं बे पर होने वाला है सारी दुनिया मेरी मुख़ालिफ़ हो जाए अफसोस नहींसारा जमाना इक दिन मेरा लश्कर होने वाला हैशहरे सकूँ में फिर कोई नमरूद...

मेरे ख्वाबों में था तू ही तू रात भर तुझसे होती रही गुफ्तगू रात भर - अहकम ग़ाज़ीपुरी

मेरे ख्वाबों में था तू ही तू रात भर तुझ से होती रही गुफ्तगू रात भर सज्दा ए इश्क़ करता रहा मैं अदा अपने अश्कों से करके वज़ू रात भर मस्त आंखों से तेरी ए जाने वफ़ापी रहा था मैं जामो सबू रात भर डंस रही थी हमें शब की तन्हाईयाँ बस तुम्हारी रही जुस्तजू रात भरज़ख़्म का तूने मुझको जो तोहफ़ा दिया उसको करता रहा मैं रफ़ू रात भर चांद पर जैसे काली घटा छा गई ज़ुल्फ़ बिखरी रही चार सू रात भर पेशे हक़ होगी मकबूल अहकम दुआरखके सज्दे में सर मांग तू रात...

परेशां चांदनी क्यों हो रही है उदासी बाल खोले सो रही है- अहकम ग़ाज़ीपुरी

परेशां चांदनी क्यों हो रही है उदासी बाल खोले सो रही है बहा कर अश्के ग़म चश्मे तमन्नाबड़े अनमोल मोती खो रही है है मेरी चश्मे गिरियां का यह अहसांलहू दामन का तेरे धो रही है महोअंजुम हो या खुर्शीदे ताबाँज़रूरत आपकी सबको रही है खुले सर बेटियां निकली हैं घर सेहया पर्दे के पीछे रो रही है चिराग़ ए दिल जलाया है किसी ने रिदाये शब मुनव्वर हो रही है मैं शाख़े गुल लगाने में हूं अहकम मगर दुनिया तो कांटे बो रही...

वह कोई चाल चल नहीं सकता मेरा मोहरा बदल नहीं सकता - अहकम ग़ाज़ीपुरी

वह कोई चाल चल नहीं सकता मेरा मोहरा बदल नहीं सकता साथ देगा भला वह क्या मेरा दो क़दम भी जो चल नहीं सकता कोई ऐसा नहीं जो दुनिया में ग़म के सांचे में ढल नहीं सकता ख़ुद पे जिसको नहीं भरोसा वोअपने पैरों पे चल नहीं सकता लाख रोके मेरे क़दम कोई मैं इरादा बदल नहीं सकता तिनका तिनका बिखर गया तो क्यामैं चमन से निकल नहीं सकता शायरे ख़ुश बयां हूं मैं अहकम कौन सुनकर मचल नहीं स...

नज़र के एक इशारे पे तूर जल जाए क़दम क़दम पे मोहब्बत का नूर जल जाए - अहकम ग़ाज़ीपुरी

नज़र के एक इशारे पे तूर जल जाए क़दम क़दम पे मोहब्बत का नूर जल जाए लगा दे आग मगर सोच हश्र क्या होगा अगर वतन में कोई बेक़सूर जल जाए फ़साना ए ग़में जाना न सुन सका वॉइज़ वही मैं दार पे कह दूं तो हूर जल जाए चमक उठे जो सितारों में नक़्शे पा तेरे खुदा गवाह फ़लक का ग़रूर जल जाए हर शुक्र अब कोई मूसा नहीं ज़माने में दिखाओ जलवा की खुद कोहे तूर जल जाए हमारे पास है अजदाद का सिला मुज़मीरउसे जो तर्क करूँ तो शऊर जल जाएवो हमको तोड़ के मंदिर बनाने वाले हैं खुदा करे कि ये बएते...

आप हैं क्यों लबों रुख़सार में उल्झे उल्झे लोग हैं गर्मी ए बाज़ार में उल्झे उल्झे- अहकम ग़ाज़ीपुरी

आप हैं क्यों लबों रुख़सार में उल्झे उल्झेलोग हैं गर्मी ए बाज़ार में उल्झे उल्झे उम्र भर हम रहे नाकामी ए पेहम के शिकार मिट गए गैसू ए ख़मदार में उल्झे उल्झे ढूंढते कैसे गुलिस्तां की तबाही का सबब रह गए सुर्खीए अख़बार में उल्झे उल्झे गेसूए ज़ीस्त को सुलझाने की फ़ुर्सत न मिली जिंदगी हम रहे मझधार में उल्झे उल्झे कारवां मंज़िले मक़सूद पे पहुंचे कैसे हैं सभी वक्त की रफ़्तार में उल्झे उल्झे हाय अफ़सोस किसी को नहीं फ़िक्र ए ऊक़बा सब सियासत के हैं बाज़ार में उल्झे उल्झे...

उनसे बिछड़े तो मेरी तकदीर आधी रह गई- अहकम ग़ाज़ीपुरी

दास्तान ए इश्क़ की तहरीर आधी रह गईख़्वाब आधा रह गया ताबीर आधी रह गईमुझसे मिलने का कहाँ वह वलवाला बाकी रहा प्यार का वह जोश वह तनवीर आधी रह गई ऐ मुसाफ़िर ये तो उनका चेहराए ज़ेबा नहीं दिलकशी जाती रही तस्वीर आधी रह गईपहने पहले मुद्दतों से पाव ज़ख्मी हो गए घिसते घिसते पांव की ज़न्जीर आधी रह गई अब कहां वह ख्वाहिशें आराईशें आसाइसेंउनसे बिछड़े तो मेरी तकदीर आधी रह गईइश्क़ की नाकामियों से दिल का ये आलम हुआअब तलाशे यार की तदबीर आधी रह गईअब तो अहकम की दुआएं भी नहीं...

हैरत से अपनी आंख खुली की खुली रही जन्नत से भी हसीन तुम्हारी गली रही- अहकम ग़ाज़ीपुरी

हैरत से अपनी आंख खुली की खुली रही जन्नत से भी हसीन तुम्हारी गली रही माहौल खुशगवार था रक़्सो सरूर से हर चीज अपनी अपनी जगह नाचती रही जाने के बाद सारे मनाज़िर चले गए जब तक थे आप चांद रहा चांदनी रही गुलशन के नाम सारा लहू अपना कर दियाफिर भी मुख़ालिफ़त में मेरी हर कली रही बच्चों को एक बूंद भी पानी न मिल सकाहालांकि घर के पास ही मेरे नदी रहीआने को आप आए मगर हाय रे नसीब जब जिंदगी न अपनी किसी काम की रही पाबंद था कुछ ऐसा मैं अहकम नमाज़ का मरने के बाद भी मेरी नीयत...

खिलता कहां है रात में सूरजमुखी का फूल मैं गम नसीब लाऊं कहां से खुशी का फूल- अहकम ग़ाज़ीपुरी

खिलता कहां है रात में सूरजमुखी का फूल मैं गम नसीब लाऊं कहां से खुशी का फूल बस्ती है आग आग तो सेहरा धुआं धुआं नज़रे शरर हुआ है यहां बेबसी का फूल वह खुशबूओं को ढूंढते गुलशन में रह गए महका गया वजूद मेरा दिलकशी का फूल खुशबू ख़लूस की न लचक प्यार में रही शाख़े वफ़ा पे कैसे खिले दोस्ती का फूल अहले क़लम ही शहर में गुमनाम रह गए अब नाबलद के पास है दानिशवरी का फूल गर आदमी शजर है तो बच्चा गुले मुरादबच्चे को आप क्यों ना कहें आदमी का फूल अहकम हरीमे नाज़ के आदाब सीखियेयूँ...

मैं तसव्वुर में उनसे मिल लूंगा कितनी पाबंदियां लगाओगे - अहकम ग़ाज़ीपुरी

धूप को हमसफ़र बना ओगे छांव का सुख कहां से पाओगे मैं तसव्वुर में उनसे मिल लूंगा कितनी पाबंदियां लगाओगे तुम तो सूरज हो साथ क्या दोगे शाम होते ही डूब जाओगे ऐसे बे चेहरगी के मौसम में कब तलक आईना दिखाओगेमौजे तूफां से मैं निपट लूंगा तुम तो साहिल पे डूब जाओगेउनसे नजरें मिला के ऐ नादाँ नूर आंखों का भी गंवाओगेसारी दुनिया टटोल कर अहकम क्या खुदा को भी आज़...

मेरी वफा मेरी हसरत सलाम करती है चले भी आओ मोहब्बत सलाम करती है- अहकम ग़ाज़ीपुरी

मेरी वफा मेरी हसरत सलाम करती है चले भी आओ मोहब्बत सलाम करती है लुटाओ शौक से तुम राहे हक में आए लोगों लुटाने वालों को बरकत सलाम करती है जिस आईने में नजर आऐं दीन के ग़ाज़ी उस आईने को शुजाअत सलाम करती है अब आदमी को सलाम आदमी नहीं करता अब आदमी को ज़रूरत सलाम करती है दुआ की करते हैं उम्मीद उन फ़क़ीरों से कि जिन फ़क़ीरों को गुरबत सलाम करती हैवो और होंगे जो मोहताज हैं तआरुफ के हमें जमाने की शुहरत सलाम करती हैजरूर आप में कुछ खूबियां हैं ऐ अहकम जो क़ौम आपको हज़रत...

मेरे जीने का यही एक सहारा है फ़क़त मेरे मेहबूब वह पहली सी मुहब्बत दे दे- अहकम ग़ाज़ीपुरी

देख लूं मैं उन्हें जी भर के इजाज़त दे दे ऐ अजल सिर्फ मुझे इतनी सी मोहलत दे दे मेरे जीने का यही एक सहारा है फ़क़त मेरे मेहबूब वह पहली सी मुहब्बत दे दे वह परेशान रहे यह मुझे मंजूर नहीं उसके हिस्से की मुझे सारी मुसीबत दे दे मैं तो फुटपाथ पे भी चैन से सो जाऊंगा उसको साए की ज़रूरत है उसे छत दे दे तख़्ते शाही न ख़ज़ाने की तलब है मुझकोऐ खुदा बस मुझे ईमान की दौलत दे दे मेरी तहरीर को देखे तो जहां रश्क करेए खुदा मेरे क़लम को तू वह ताक़त दे दे देखने वाला यह कह दे कि...

ग़ैर काम आए ना आए ग़ैर फिर ग़ैर है तुम तो अपने थे बताओ क्या किया मेरे लिए- अहकम ग़ाज़ीपुरी

कम नहीं है यह वफ़ाओं का सिला मेरे लिए मांगते हैं आज तो वह भी दुआ मेरे लिए उनकी आंखों की क़सम खाई थी बस इस जुर्म में हो गया है बंद बाबे मयकदा मेरे लिए दैरो काबा से अलग हूं सारे ग़म से बे नियाज़ कम नहीं जन्नत से मेरा मयकदा मेरे लिए वक्त का मन्सूर हूं मैं वक्त का सुक़रात हूं आपने क्या-क्या लक़ब फ़रमा दिया मेरे लिए चारागर महरूम मत कर लज़्ज़ते ग़म से मुझे बाइसे तस्की है दर्दे ला दवा मेरे लिए ग़ैर काम आए ना आए ग़ैर फिर ग़ैर है तुम तो अपने थे बताओ क्या किया मेरे...

सुना है चांद पे दुनिया बसाने जाते हो वहां जमीं पे समुंदर उतार लोगे क्या - अहकम ग़ाज़ीपुरी

हया का क़ीमती ज़ेवर उतार लोगे क्या वफ़ा के जिस्म में नश्तर उतार लोगे क्या किसी को शौक़ कभी मौत का नहीं होता तुम अपने सीने में ख़न्जर उतार लोगे क्या सुना है चांद पे दुनिया बसाने जाते हो वहां जमीं पे समुंदर उतार लोगे क्या यही निशाने तक़द्दुस है एक औरत का हया की आज ये चादर उतार लोगे क्या किसी की चाहे जनख़दाँ में डूबने के लिएनज़र में फिर कोई पैकर उतार लोगे क्या जो रुए हुस्न मिटा दे बस एक ठोकर से तुम आईने में वह पत्थर उतार लोगे क्या ख़ला में आज भी करते हो जुस्तजू...

चमक चेहरे से आंखों के उजाले छीन लेते हैं अमीरे शहर तो मुंह से निवाला छीन लेते हैं- अहकम ग़ाज़ीपुरी

चमक चेहरे से आंखों के उजाले छीन लेते हैं अमीरे शहर तो मुंह से निवाला छीन लेते हैं हमें तो साक़ीए मैंख़ाना आंखों से पिलाता है यह किसने कह दिया हम लोग प्याले छीन लेते हैंहिफ़ाज़त अपने इमाँ की करो इस दौरे हाज़िर में इसे भी तन के उजले मन के काले छीन लेते हैं हवस में मालो ज़र की कुछ नज़र उनको नहीं आताजो कानों से बहू बेटी के बाले छीन लेते हैं मसल देते हैं गुलशन के हंसी फूलों को पैरों से चमन का हुस्न ये नाज़ों के पाले छीन लेते हैं पसीने की कमाई से हमें रोटी जो...

तेरी तस्वीर रूबरू करके चैन पाता हूँ गुफ़्तगू करके- अहकम ग़ाज़ीपुरी

तेरी तस्वीर रूबरू करके चैन पाता हूँ गुफ़्तगू करकेगुल उम्मीदों के खिल नहीं पायेरह गया दिल को बस नमू करकेतुझको पाकीज़गी से पढ़ता हूँ आंसुओं से सदा वज़ू करकेगिर गया ख़ुद जहां की नज़रों सेवो मेरा शिकवा चार सू करकेसिर्फ़ रुस्वाइयां हुईं हासिल बेवफ़ा तेरी आरज़ू करकेमुतमइन सब हुसैन वाले हैं ज़ेरे खंजर रगे गुलू करकेरूठ कर वो चले गए अहकमदिल की हसरत लहू लहू क...

दिल में मेरे जवान है मंजिल की आरज़ू आता नहीं है चलना बड़ी तेज़ धूप है - अहकम ग़ाज़ीपुरी

तपने लगा है सहरा बड़ी तेज़ धूप हैअब ढूंढो कोई साया बड़ी तेज़ धूप है दिल में मेरे जवान है मंजिल की आरज़ूआता नहीं है चलना बड़ी तेज़ धूप है घबरा के पी ना जाए कहीं लालची नज़र बादल का एक टुकड़ा बड़ी तेज़ धूप है अहसास में है रात की ठंडक छुपी हुई उभरेगा क्या अंधेरा बड़ी तेज़ धूप है हमको बचा लो धूप से अब तो किसी तरह जलता है जिस्म सारा बड़ी तेज़ धूप है किसकी बुझाऊँ प्यास किसे सायेबान दूँहर आदमी है प्यासा बड़ी तेज़ धूप है अहकम में हौसले की कमी तो नहीं मगर साथी न...

हिन्दी से ही तो हिन्दुस्तान है लेखिका- अंजली अन्जान प्रतापपुर करंडा गाजीपुर

हिन्दी से सिखा पढ़ना हमनेगाने भी हिन्दी में गाते हैं,फिर अपनी हिन्दी को अपनाने मेंहम इतना क्यों शरमाते हैं?संचारों के माध्यम का एक यही मात्र जंजाल हैहिन्दी से ही तो हिन्दुस्तान है।।दुल्हन के माथे कि बिन्दी,सरल भाषा है यह हिन्दीयही हमारी वेदना, यही हमारा स्वाभिमान हैहिन्दी से ही तो हिन्दुस्तान है।।भाषा जन- जन की हिन्दी, आशा भारत की है यह हिन्दी हिन्दी हमारा ईमान, यही हमारा पहचान हैहिन्दी से ही तो हिन्दुस्तान है।।मां कि ममता जैसे हिन्दीछाया पिता का...

विश्व में भारत के संबंधों को प्रगाढ़ करती हिंदी लेखिका- साधना शाही वाराणसी

विश्व में भारत के संबंधों को प्रगाढ़ करती हिंदीविविध कला शिक्षा अमित,ज्ञान अनेक प्रकार ।सब देसन से ले करहूँ, भाषा माहि प्रचार।हिंदी भाषा है ऐसी,पावै लाभ सब कोय ।इस भाषा की गुन महता, जाने जगत में सब कोयआज हिंदी की भागीदारी केवल देश में ही नहीं वरन् पूरे विश्व में लाभकारी है। इस बात का प्रमाण आज के नवीनतम शोध दे रहे हैं। हालाँकि सदियों से हिंदी को अप्रामाणिक और अवैज्ञानिक भाषा कहकर इसकी क्षमताओं को सीमित करने का हर संभव प्रयास किया गया। इसके बावजूद...