माॅं के हर वस्तु का महत्व
श्वेत वस्त्र जो धारण करती,
मन को जो देता है शांति।
सादगी का यह है प्रतीक,
माॅं से बच्चों लेलो सीख।
माॅं का वाहन हंस है होता,
नीर- क्षीर पृथक कर देता।
सही गलत में फ़र्क बताता,
सत्पथ पर चलना
सिखलाता।
कमल पुष्प माॅं के मन सोहे,
पंक में उपजे, दाग न मोहे।
प्रतिकूलता में अनुकूल बनाता,
ना छवि को है धूमिल करता।
वीणा दायिनी माता सरस्वती,
कला के प्रति जो जागरुक करती।
कला का बीज जो अंकुरित होवे,
दूर्व्यसनों को झटपट खोवे।
माॅं के कर स्फटिक की माला,
एकाग्रता,ध्यान प्रतीक कर डाला।
विद्यार्थी तुम इसे पहन लो,
विद्या अध्ययन तुम कर लो।
यह मन को एकाग्र है करता,
हमारे ध्यान को स्थिर करता।
जिससे मिलता है संतोष,
मिट जाता है सारा दोष।
ज्ञान की देवी वीणापाणि,
माॅं शारदे हैं पुस्तक धारिणी।
ज्ञान का यह देता संदेश,
जिससे मिटते सारे क्लेश।
विद्या- बुद्धि की वरदायिनी,
माॅं के वस्त्राभूषण मोहिनी।
विशेष महत्व देते हैं प्रतीक,
श्रम कर आगे बढ़ना सीख।
साधना शाही,वाराणसी
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें