कुँआ ठाकुर का था पर कभी लोग राजतंत्र में प्यासे नहीं मरे, खेत ठाकुर का पर कोई भूखा नहीं मरता था , बैल ठाकुर के हल ठाकुर का हल की मूठ पर हाथ हरवाह का पर हर-वाह आत्महत्या नही करते थे, उनकी हर ज़रूरत पूरी की ठाकुर ने उसके परिवार को पालने का एक मात्र साधन था ठाकुर के बैल और हल
गाँव ठाकुर के, शहर ठाकुर के, देश ठाकुर का, क्योकी मातृभूमि के लिए अपना और अपने बच्चों तक का खून बलिदान देने वाला ठाकुर अपने देश और जनता के लिए ही जीता था,आक्रांताओ के आगे खडा होकर,बलिदान देकर! जिसकी वजह से लोग उनको व उनकी आवाज़ को अपना लक्ष्य बना लेते थे l
जय राजपूताना🙏🚩
राजनीति के भृष्ट ठेकेदारों ने कभी राजपूतों के बलिदानों का जिक्र नहीं किया कि कैसे देश एवं अपनी मात्रभूमि की रक्षा के लिए वह अपने और अपने सुंदर वीर पुत्र का भी बलिदान दे देते थे।
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