गौरी पूजन को सीता चली ...2
बाग में राम जी मिल गए ...2
आमने सामने जो हुए ....2
चक्षुओं के कमल खिल गए ...2
फूल लोढ़न को जो आए थे....2
सिय की अंखियों में वो खोए थे..... 2
पल व घड़ियों में हो बेखबर
भाव गंगा में वो घुल गये ।
काम-रति नाहि मोहे जिसे
वो दिखे थोड़ा-थोड़ा हँसे
भाव विह्वल हुई जानकी. ..
रघुनंदन भी तो हिल गए
मुस्कुराए थे आधे अधर
चक्षु चंचल हुआ बेसबर
पुतलियों का ये सन्धान है
बाण कामास्त्र के चल गए
नैन से नैन ने कुछ कहा
क्षीरसागर सा फिर वो बहा
शिव धनुहिया को तोड़े प्रभू
साथ परिणय को वो हल किये
थी अवध में गयी सूचना
ब्याह की है हुई अर्चना
चल दिये हैं श्वसुर सीय के
इस खुशी में गुरु बल दिए
सब कहे वाह क्या बात है
ये अयोध्या की बारात है
दोनों समधी गले लग गए
स्नेह के नीर में गल गए
साथ दशरथ के थे और धन
थे लखन व भारत शत्रुघन
उर्मिला,मांडवी,सुतकृती
सूत्र में तीनों ये ढल गए
जब हुई चार कन्या विदा
प्राण खोने लगा वो पिता
कर दिखावे का साहस जनक
रिक्त हो वापसी कर लिए
मधुलिका राय "मल्लिका" गाजीपुर
उत्तर प्रदेश
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें