हिन्दी से सिखा पढ़ना हमने
गाने भी हिन्दी में गाते हैं,
फिर अपनी हिन्दी को अपनाने में
हम इतना क्यों शरमाते हैं?
संचारों के माध्यम का एक यही मात्र जंजाल है
हिन्दी से ही तो हिन्दुस्तान है।।
दुल्हन के माथे कि बिन्दी,
सरल भाषा है यह हिन्दी
यही हमारी वेदना,
यही हमारा स्वाभिमान है
हिन्दी से ही तो हिन्दुस्तान है।।
भाषा जन- जन की हिन्दी,
आशा भारत की है यह हिन्दी
हिन्दी हमारा ईमान, यही हमारा पहचान है
हिन्दी से ही तो हिन्दुस्तान है।।
मां कि ममता जैसे हिन्दी
छाया पिता का है यह हिन्दी,
हिन्दी हमारा मान, यही हमारी शान है,
हिन्दी से ही तो हिन्दुस्तान है।
हिन्दी से ही तो हिन्दुस्तान है।।
अंजली अन्जान
प्रतापपुर -करंडा, गाजीपुर ( उत्तर प्रदेश)
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