मोहब्बत की दुकान
सबको आजादी मिली है पूरा ,
खुलकर खोलें खूब दुकान ,
नाम है जिस पर लिखी मोहब्बत,
समझ न आई मुझको सामान ,।।
सोचा समझा गया खरीदने ,
भरकर बटुआ लेकर प्यार ,
विदेश पढ़ा बैठा विक्रेता ,
मंचों का लगता अच्छा यार ,
मौत सनातन वहां था लिखा,
विदेश है बैठा स्वामी बेईमान,
सबको आजादी मिली है पूरा ,
खुलकर खोलें खूब दुकान।।
दूसरे दुकान की चमक देख ,
खुश होकर मैं दौड़ लगाया ,
वहां परदे पर लिखा पड़ा था,
हिंदू धर्म कहां से आया,
हिंदू तो कोई धर्म नहीं है ,
बिक रहा हिन्दू अपमान ,
हिन्दू के दुश्मन खुद हैं हिंदू,
वोटों खातिर सजी दुकान ।।
सुंदर-सुंदर देख के चादर ,
राष्ट्र भाव का आया मोह,
भारत टुकड़े की तस्वीर वहां,
देश के दुश्मन करते द्रोह,
देख सामानों सांस है अटकी,
देश, धर्म का है अपमान,
देश को खतरा इन्हीं दुकान से,
देश बचा लो बस भगवान,।।
जय हिंद जय भारत,
भारत माता की जय
कन्हैयालाल शिक्षक
जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर
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