दुनिया में छा जाएंगे*
जीता वो जिद्दी
दुश्मन तो क्या
हम भी कहां अभी हारे हैं
हार भले पर
हमने कहां स्वीकारे हैं
फिर उठना है
फिर लड़ना है
आंखों में दुश्मन के गड़ना है
लिख लो कहीं तुम
लगने हैं बाकी
हिम्मत के मेरे जयकारे हैं
जग ने हो मानी हार भले पर
हमने कहां स्वीकारे हैं।
बीता बहारों का
मौसम तो क्या
पतझड़ में हम गाएंगे
अंधियारों में किस्मत के
अनुभव के दीप जलाएंगे
अब क्या चहकना
अब क्या बहकना
जज़्बातों में अब
क्या लुढ़कना
सांस की सूरज
ढलने से पहले
दुनिया में में छा जाएंगे।
अंधियारों में किस्मत के
अनुभव के दीप जलाएंगे।
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