दिल के सच्चे लगते हो, तभी तो अच्छे लगते हो।
आदत तुम्हारी इतनी प्यारी, फिर क्यों बच्चे लगते हो।
मुझपर अपना प्यार लुटाकर, हमदर्दी की बात जताकर।
हर पल हर क्षण यादों में, अक्सर चलते रहते हो।।
मेरी दुनिया तुमसे है और तुम हो मेरी जाने तम्मना।
करू इबादत तुम्हारी ही बस, मुझकों ख़ुदा तुम लगते हो
सास का क्या कब थम जाये, जीवन अपना कब रुक जाए।
इस दुनिया की आपा धापी में, बस तुम ही सच्चें लगते हो।
गीता और कुरान की बातें, सब अपने जगह पर सब ठीक है।
बातें तुम्हारी खुश रखती है,और तुम मुझको अच्छे लगते हो।
रचना लव तिवारी
ग़ाज़ीपुर उत्तरप्रदेश
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