ये न सोचे कि, सोचने से सब हो जाएगा।
कुछ करना होगा, तभी मंजिल मिल पायेगा।।
घर मे बच्चा न रोये तो माँ समझें न उसके भूख को।
अगर वो भी कुछ न करे तो भूखा ही सो जाएगा।।
आजका आदमी दिन पर दिन निक्कमा होता जा रहा।
यही हालात रहे तो ज़माना कैसे चल पायेगा।।
देश की हालात पहले से बत्तर नही है अब।
अगर इंसान इंसानियत को जो समझ पायेगा।।
मुझको भी मिला था एक शख्स अजनबी बनकर।
कौम से हटकर शायद ही वो कभी दोस्त बन पायेगा।।
रचना- लव तिवारी
दिनांक- 20-अक्टूबर-2019
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