छुपते फिरते हो तुम क्यो न जाने मुझसे।
कोई उलझन है तुमको बताओ न मुझसे।।
हक़ीक़त क्या है ये पता तो मुझे भी चले।
जो तुम पास थे मेरे,अब क्यो दूर हो मुझसे।।
मैं हर वक़्त जुबान पर नाम जो तेरा लेता हूं।
पता नही बन गए तुम मेरे ख़ुदा कबसे ।।
कई हसीन रुख आज भी फिदा है मुझपर।
मेरी निगाह तुमको ढूढ़ती है हर जगह तबसे।।
कभी आना तो न छोड़ कर जाना कभी मुझको।
मैं आशिक हुँ तुम्हारा और बस दीवानी है तुमसे।।
रचना- लव तिवारी
2 comments:
बहुत ही भावपूर्ण रचना 👌👍
Beautiful lines 👌
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