गुरुवर तुम्हीं बता दो, किसकी शरण में जायें।
किसकी चरण में गिरकर,अपनी व्यथा सुनायें॥
अज्ञान के तिमिर ने, चारों तरफ से घेरा।
क्या रात है प्रलय की, होगा नहीं सवेरा।
पथ और प्रकाश दो तो, चलने की शक्ति पायें।
गुरुवर तुम्ही बता.....
जीवन के देवता का, करते रहे निरादर।
कैसे करें समर्पित, जीवन की जीर्ण चादर।
यह पाप की गठरिया, क्या खोलकर दिखायें॥
गुरुवर तुम्ही बता दो किसकी...
माना कपूत हैं हम, क्या रुष्टï रह सकोगे।
मुस्कान प्यार अमृत, क्या दे नहीं सकोगे।
दाता तुम्हारे दर से, जायें तो किधर जाय।
गुरुवर तुम्ही बता दो...….
कभी काम क्रोध बनकर कभी माया लोभ बनकर
इन दानवों से कैसे अपना गला छुड़ाये ।।
गुरुवर तुम्ही बता दो
किसकी.........
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