कैकई तूने लूट लिया दशरथ के खजाने को,
तू तरस जाएगी रानी, मांग अपनी सजाने को।
कैकेयी तूने.......
भाल तरसेगा बिंदिया को,आंख तरसेगी कजरे को,
हाथ तरसेगी कंगना को, बाल तरसे गजरे को।
तूं तरस जाएगी रानी, सब से मिलने मिलाने को।।
कैकेयी तूने.......
मार पाई न तूँ मन को, तूने जाना है धन जन को,
रघुकुल के जीवन को, राम भेजे हैं वन को।
तूने रास्ता चुना रानी, सीधे नरक में जाने को।।
कैकेयी तूने.......
राम प्राणों से प्यारें मेरे, नैनों के है तारें मेरे,
तूने वर मांगा मुझसे, ये उम्मीद न थी तुमसे।
रानी बन में न तुम भेजों, रघुकुल के घराने को।।
कैकेयी तूने.......
कैकई तूने लूट लिया दशरथ के खजाने को,
तू तरस जाएगी रानी, मांग अपनी सजाने को।
कैकेयी तूने.......
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