मन ही जमीर होला,मनवे त बड़का अमीर होला
मन के बात मनवे जाने,मनवा मस्त फकीर होला
मन के तरासल बात के,मन ही बनेला गवाह
मनवे के मनावे खातिर,मनवे भईल बा तबाह
मनवे कभी लालची बनेला,कबहू गंभीर होला
मन के बात मनवे जाने,मनवा मस्त फकीर होला
मन सपना के महल सजावे,मनवे करे रखवाली
मनवे मन के पानी पटावे,बनके बाग के माली
कबहु मनवा शैर करेला,कबहु पीर से अधीर होला
मन के बात मनवे जाने,मनवा मस्त फकीर होला
ई मनवा ह चंचल चिरईया,उड़त रहेला हर दम
कबो फसेला कबो धसेला,कबो रोऐला भर दम
कबो सचेत कबो अचेत,तबही मन में पीर होला
मन के बात मनवे जाने,मनवा मस्त फकीर होला
कभी करेला आना कानी,कभी गुरूर देखावेला
कबो केहु के दुर भगावे,कभी नजदीक बोलावेला
मनवे अजय जीवन पथ के,जीत हार के लकीर होला
मन के बात मनवे जाने,मनवा मस्त फकीर होला
शब्दकार:-
सर्वाधिकार सुरक्षित @@
कुमार अजय सिंह,गीतकार
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