योगेश विक्रान्त
जन्म
तिथि : 26 मार्च 1975 ई0
माता
का नाम : श्रीमती ललिता देवी
पिता
का नाम : श्री मुरलीधर सिंह
जन्म
स्थान : ग्राम व पोस्ट-युवराजपुर, तहसील-जमानिया, जनपद-गाजीपुर
शैक्षिक
योग्यता : स्नातकोत्तर (हिन्दी)
संप्रति
: पटकथा एवं काव्य लेखन
विधाएं
: कविता, कहानी, नाटक आदि।
साहित्यिक
गतिविधियां : काव्यगोष्ठीयों तथा अन्य विभिन्न प्रकार के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक
अवसरों पर काव्यपाठ करना तथा अपनी रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कराते
रहना।
प्रकाशित
कृति : पहली काव्य-कृति प्रकाशन की प्रतीक्षा में।
पुरस्कार
व सम्मान : इंडियन टेली अवार्ड 2009 (शीर्षक गीत 'अगले जनम मोहें बिटिया ही कीजो' के
लिए)
संपर्क
सूत्र : मरीना इनक्लेव एच 1702, जनकल्याण नगर मार्वे रोड मलाड वेस्ट मुंबई 400095 दूरभाष-9004040720
१-
पेट
अलग है, काम अलग तू नाच बसंती।
कला
से नहीं बला गई, ये सांच बसंती।।
छतरी
वाले भीग रहे का दर्द न जाने।
उनकी
गिनती दो और दो है पांच बसंती।।
चकनाचूर
नहीं होता है कोई सपना।
बस
एहसासों में चुभता है कांच बसंती।।
रोज
नई बनती लकीर है हाथों में।
रोज
का करम रोज रोज ही बांच बसंती।।
चूल्हे
का क्या जल जाएगा बीज उगा।
चिनगारी
में दबी रहेगी आंच बसंती।।
२-दोहा
इम्तहान
षड्यंत्र के रचें कोयलें रोज।
कौए
अंडे सेहते, चैत सह रहा सोज।१।
सूरज
तड़के तप रहा, हरियाली गुमसुम।
घायल
मन भाए नहीं, अब रोली कुमकुम।२।
नीम
बहुत तीखा हुआ, सहमे बौर सफेद।
रिश्ते
रोग लिए डरें, कहीं खुले ना भेद।३।
गर्म
हवा हंसके बहे, बीत गया फागुन।
चैत
बेशरम बन गया, है कुत्ते की दुम।४।
थोड़ा-थोड़ा
साथ है, बहुत-बहुत है प्यास।
थोड़े
से भी ना गई, मुई कमीनी आस।५।
जोगी
जहरीला हुआ, नफरत सिर का ताज।
श्रद्धा
में है सिर कटा, अंधा हुआ समाज।६।
धरम
नीति को कोसता, ज्ञान हारता आज।
भक्तिभाव
भारी पड़ा, बना कोढ़ में खाज।७।
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