लोग बरसों जुदा होके जीते हैं-२
मगर अपना तो ये हाल हैं
ये हाल हैं ये हाल हैं के
एक पल एक दिन
जी सकेंगे ना हम एक दूजे के बिन
जी सकेंगे ना हम एक दूजे के बिन
हम दीवाने हैं इश्क़ करते हैं
बेक़रारी में जीते मरते हैं-२
हम मिले गुल खिले आशियाना बना
दोस्ती का नया एक फसाना बना
दोस्ती का नया एक फसाना बना
ज़ख़्मी दिल को जफाओ से सीखे हैं
लोग बरसों जुदा होके जीते हैं
मगर अपना तो ये हाल हैं
ये हाल हैं ये हाल हैं के
एक पल एक दिन
जी सकेंगे ना हम एक दूजे के बिन
जी सकेंगे ना हम एक दूजे के बिन
इस ज़माने को हम भुलायेंगे
दिल के दर्या में डूब जायेंगे-२
क्या हसीं दिलनशी अब यह आलम लगे
प्यार के वास्ते ज़िन्दगी कम लगे
प्यार के वास्ते ज़िन्दगी कम लगे
अश्क दर्द-इ-जुदाई का पीते है
लोग बरसों जुदा होके जीते हैं
मगर अपना तो ये हाल हैं
ये हाल हैं ये हाल हैं के
एक पल एक दिन
जी सकेंगे ना हम एक दूजे के बिन
जी सकेंगे ना हम एक दूजे के बिन-२
रचना- समीर साहब
गायक - पंकज उदास, कविता कृष्णमूर्ति
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