घर दुवार खेत बारी दीहल अलगाई
केकरा में बाबू रहीहें केकरा माई-५
जर जर बढूउती आईल थाक गईल जांगर
चलल जाला राह नाही,काँपे दुनु टागर-२
बढूउती चली के हई अंगूरी धराई-२
केकरा में बाबू रहीहे केकरा माई-२
का होई खेत बारी, के जोती के बोई
थाकल शरीर हमसे,कौन काम होई-२
उठल न बइठल जाला, चलता दवाई-२
केकरा में बाबू रहीहें केकरा माई-२
अखियों से कमे लउके, कमे सुनाला
बिगड़े ला काम घर के, बहुते बुझाला-२
चले नाई चारा कौनो, केतनो छटपटाई-२
केकरा में बाबू रहीहें केकरा माई-२
पालन पोषण कइनी तोहके कोड़ अकामके
ई दिन देखतानी बढूउती में आके
बहुते कम जिनगी बाटे, कैसे ई ओराई
केकरा में बाबू रहीहें केकरा माई-२
घर दुवार खेत बारी दीहल अलगाई
केकरा में बाबू रहीहें केकरा माई-५
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