मोहब्बत से इनायत से वफा से चोट लगती है
बिखरता फूल हूं मुझको हवा से चोट लगती है
मोहब्बत से..........
मैं इस शबनम की जबां से फूल की आवाज सुनता हूं
अजब एहसास है अपनी सदा से चोट लगी है
बिखरता फूल हूं मुझको हवा से चोट लगती है
मोहब्बत से..........
मेरी आंखों में आंसू की तरह एक रात आ जाओ
तकल्लुफ से बनावट से अदा से चोट लगती है
बिखरता फूल हूं मुझको हवा से चोट लगती है
मोहब्बत से..........
तुझे खुद अपनी मजबूरी का अंदाजा नहीं शायद
ना कर अहदे वफा, अहदे वफा से चोट लगती है
बिखरता फूल हूं मुझको हवा से चोट लगती है
मोहब्बत से..........
मोहब्बत से इनायत से वफा से चोट लगती है
बिखरता फूल हूं मुझको हवा से चोट लगती है
मोहब्बत से..........
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