झूम के जब रिन्दों ने पिला दी
शेख़ ने चुपके चुपके दुआ दी
झूम के जब रिन्दों...
एक कमी थी ताज महल में
हमने तेरी तस्वीर लगा दी
झूम के जब रिन्दों..........
आप ने झूठा वादा कर के
आज हमारी उम्र बढ़ा दी
झूम के जब रिन्दों............
तेरी गली में सजदे कर के
हमने इबादतगाह बना दी
झूम के जब रिन्दों.............
-कैफ़ भोपाली
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