ये पोस्ट मेरी सोच है , हम लोग करीब एक माह से घरों में बंद हैं, इस बीच हमे घर मे कई सारी मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जब कि हम अपने घरों मे हैं, अपने अनुसार जी रहे हैं ,खा रहे हैं। जरा उन जीवों के बारे में सोचिये की जो आपके शहरों के बीचों-बीच हमारा मनोरंजन करते हैं
अजायबघर,चिड़ियाघर में बन्द हो के।मुझे ऐसा लगता है कि उनका घर जंगल या कोई नेशनल पार्क है,अगर हम प्रकृति के बनाये नियम को अपने हिसाब से नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं।तो किसी न किसी रूप में प्रकृति का गुस्सा भी झेलते है।जितना हक हमारा इस धरती पर है। उतना ही उन जानवरों का भी। हम उनको जानवर समझते हैं, और वो हमें। अपने माथे पर अभिमान का तिलक लगाकर,अपने ताकत के बल बुते, जानवरों को कैद करके उनका प्रदर्शन बंद कर देनी चाहिये।
उनको आज़ाद कर देना चाहिए।
चिड़िया घर बन्द हो जाने चाहिए।।
चलो लौट चलें प्रकृति की ओर।।
लेखक- लव तिवारी
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