गुनहगार आँखों की सज़ा दिल को मिला।
न जाने कौन सी आदत में मैं जाकर फंसा।।
कभी कहती थी तुम्हारा साथ दूँगी हरदम।
पता नही क्या हुआ जो आज वो बिछड़ गया।।
कुछ तो बात है इस दौर में जो वफ़ा न रही।
सख्सियत सबकी ऊँची है औऱ बेईमान है जहाँ।।
नसीब सबके नही होते हरदम एक से लव।
न जाने क्यों में किसी बेवफा से जा मिला।।
रचना- लव तिवारी
दिनांक- 20-अप्रैल- 2020
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें