आदमी वास्तविक बातो को जान कर भी अंजान बना फिरता है। मै दुसरो की नही जानता मैं अपने बारे में लिख रहा हूँ। जब कोई व्यक्ति विशेष कोई भी हो चाहे वो अपने परिवार का या फिर कोई सेलिब्रिटी जब हम उनके मृत्यु की खबर सुनते है तो कुछ देर तक हम अपने जीवन की वास्तविकता को पहचानते है और फिर वही भाग दौड़ की जिंदगी में भूल जाते है।
अगर व्यक्ति हर दम अपने जीवन के बारे में न सोच कर वास्तविक सच के बारे में सोचे कि मृत्यु अटल है। और एक न एक दिन सबको इस दुनिया को छोड़ कर जाना है । तो वो प्रसिद्धि प्राप्त करने का प्रयास तो करेगा लेकिन उस प्रसिद्धि के साथ अन्याय या किसी मनुष्य जन को पीड़ा देकर धन अर्जित नही करेगा। इस महान आत्मा से प्रभावित हो कर मै इस पोस्ट को लिख रहा हुँ, था साथ यह भी प्रार्थना करता हु की भगवान इस महान आत्मा को अपने यहाँ स्थान दे। मैं जो बात कहना चाहता हूँ उस बात की पुष्टि आप को नीचे लिखे दिए वाक्यों में हो जाएगी कौन है वो जो वास्तविक जीवन के सत्य को छोड़कर कर अन्यायी बनकर कैसे लोगो को प्रताड़ित और प्रभावित करते है।
बड़े उधमी- एक कहानी से रूबरू करता हु जिससे आप को मेरी बातों में स्पष्ठता दिखाई देगी। एक बार की बात है मैं अपने भाई के साथ नोएडा स्थित एक कवि सम्मेलन में गया था। वहाँ एक बूढ़ा उधमी जो गेट पर खड़ा होकर एक संत जन की पुस्तक और भागवत गीता को फ्री में बाट रहा था। मैंने पूछा बाबू जी ये क्या है तो बोला हरि भक्ति और सामाजिक सेवा में अब अपने जीवन को जिंदगी के बचें समय और अर्जित धन को लगाना चाहता हुँ। उस व्यक्ति की इतनी जानकारी तो नही थी लेकिन ये आभास था मुझे कि जीवन मे इतने लोगो को प्रताड़ित कर कर धन को अर्जित किया है। और जब बृद्ध अवस्था आयी तो इसे जीवन के वास्तविक रहस्य का पता चला है। कई मजदूरों को उनके कंपनी के द्वारा बेतन नही दिया जाता है। और कई मजदूरों को उनके कार्य के अनुसार भी बेतन नही दिया जाता है। अगर मजदूर अपने अधिकार की बात करे या बेतन बढ़ाने की बात करे तो उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ जाता है। इन असहायों को प्रताड़ित कर बने उधमी जब बुजुर्ग हो जाते है या उनके जीवन के कुछ दिन ही शेष रह जाते है तो उन्हें अपने पाप के प्रयाश्चित के लिए गीता और कुरान की मुफ्त किताब के साथ कई धर्मिक कार्यो कलाप में सहभागी बनते देखा है
राजनेता- राजनेता सबसे बड़े चोर उच्चके है। इनकी चोरी तो कई गुनी होती है इनका अन्याय को बताने के लिए शब्द कम पड़ जाते है। करोड़ो के घोटालों का गबन कैसे कर जाते है। और कितने मजदूरों और देश की जनता के पैसों को हड़प जाते है । इसका अंदाजा न आप लगा सकते है न हम । अगर इन्हें भी इस बात की जानकारी हो कि हमे भी दिन वही जाना है जहाँ सब जाते है और जीवन की वास्तविकता से अगर रूबरू हो तो इन्हें भी इस तरह के अन्याय को नही करना चाहिए जिसे वो करके गरीबो की आह लेते है।मैंने ऐसे नेता का नाम भी कम सुना है जिसने अपने सम्पतियों का दान किसी गरीब जन की सेवा में किसी ट्रस्ट एवं समुदाय को दान में दिया हो लेकिन कुछ है जो अपने जीवन के अंत समय मे इस तरह के कार्यो को अंजाम देते है।
3- अधिकारी एवम कर्मचारी गण- किसी भी विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी मैंने अपने जीवन मे देखा है कि करोड़ो रूपये के गबन के साथ कई जगह जमीन जायजाद और अन्य बेशकीमती चीजो में गरीबो के पैसा का दुरुपयोग करते है और गरीबो की आह लेते है। बाद में ये भी अन्य की तर्ज पर अपने जीवन के अंत दौर में अन्याय द्वारा अर्जित धन के कुछ भाग को गरीब जन के लिए ट्रस्ट या समुदाय को दान कर देते है।
भारत देश मे ये कहावत पूर्ण रूप से सत्य प्रदर्शित होती है। किसी को पीने को पानी नही और कोई दूध से नहा रहा है। यही इस कलयुगी जीवन की वास्तविक सच्चाई है। अगर हर व्यक्ति को इस बात का ज्ञान हो कि जीवन मे सबकुछ छोड़ कर यही चले जाना है और म्रत्यु के उस वास्तविक सत्य को समझे तो कभी न वो अन्याय करेगा न कभी कोई गरीब को सताएगा। अगर ऐसा नही होता तो हमारे भारत की तस्वीर ही कुछ और होती।
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