रुख़सत गम की अब तन्हाई क्या करेंगी
आप का साथ है तो रुस्वाई क्या करेंगी
मेरा तो साथ है तुमसे जन्मों जन्मों तक
साथ हो तुम तो मौत की परछाई क्या करेंगी
आदमी किसको भला और बुरा कहु इस वक्त,
दोस्त ही साथ न दे तो दर्द की दवाई क्या करेंगी
तुम रहो मेहरबान मुझपर यही चाहत है मेरी
दुनियां की इस भीड़ रूपी लड़ाई हमपर क्या करेंगी।।
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