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रुस्तमे हिंद भारत के प्रसिद्ध पहलवान मंगला राय ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश ~ Lav Tiwari ( लव तिवारी )

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शनिवार, 17 जून 2023

रुस्तमे हिंद भारत के प्रसिद्ध पहलवान मंगला राय ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

भारत के प्रख्यात पहलवान -5
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मंगला राय भारत के एक प्रसिद्ध पहलवान थे। मंगला राय का जन्म 24 जून 1916 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद के जोगा मुसाहिब गांव में क्वार महीने में हुआ था। उनके पिता का नाम रामचंद्र राय था। रामचंद्र राय और उनके छोटे भाई राधा राय अपने जमाने के मशहूर पहलवान थे। उन्ही की तरह मंगला राय और उनके छोटे भाई कमला राय ने भी कुश्ती में काफी नाम और यश प्राप्त किया। रामचंद्र राय और राधा राय दोनों अपने जवानी के दिनों में जीविकोपार्जन के चलते म्यांमार (बर्मा) के रंगून में रहते थे जहाँ दोनों एक अखाड़े में रोजाना अभ्यास और कसरत करते थे। दोनो भाइयों में राधा राय ज्यादा कुशल पहलवान थे और उन्होंने ही अपने दोनों भतीजों को कुश्ती की पहली तालीम दी और दाव-पेंच के गुर सिखाए।
महान पहलवान रुस्तम-ए-हिंद मंगला राय का जन्म अक्टूबर, 1916 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के जोगा मुसाहिब गांव के एक भूमिहार ब्राह्मण किसान परिवार में हुआ था।. उनके पिता रामचंद्र राय और उनके चाचा राधा राय भी प्रसिद्ध पहलवान थे। 16 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद वे सिपाही के रूप में पुलिस सेवाओं में शामिल हुए लेकिन उनकी नियति कुछ अलग और महत्वपूर्ण की प्रतीक्षा कर रही थी। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और बर्मा (म्यांमार) चले गए जहां उनके पिता और चाचा रह रहे थे और अपने पेशेवर करियर का पीछा कर रहे थे। रंगून में मंगला ने कुश्ती सीखना शुरू किया। उन दिनों बनारस के महान पहलवान शिव मूरत तिवारी भी रंगून के एक अखाड़े में अभ्यास कर रहे थे। उन्होंने इस युवा आकांक्षी की काया को देखा और उसे प्रशिक्षित करना शुरू किया। शिव मूरत तिवारी ने मंगला को कुश्ती की दक्षिण-पूर्व एशियाई चालों का मास्टर बना दिया। कुछ वर्षों के बाद मंगला राय अपनी मातृभूमि वापस आ गए लेकिन वे अपने पहले गुरु को कभी नहीं भूले। उन्होंने अपने गुरु के प्रति आभार प्रकट करते हुए अपनी बड़ी पुत्री का नाम 'शिव मूरत' रखा।
मंगला राय ने व्यायाम के कठिन नियम का पालन किया। 9 किलोमीटर पैदल चलने के बाद वे चार हजार स्क्वैट्स और दो हजार पांच सौ पुशअप्स करते थे। कभी-कभी वे रोप ट्रेनिंग भी किया करते थे। मंगला राय की लंबाई 6 फीट 3 इंच और वजन 160 किलोग्राम था।
रंगून में फत्ते सिंह और ईशा नट के साथ अपनी पहली बाउट के ठीक बाद मंगला राय लोगों के ध्यान में आए। उन्होंने अपने मशहूर मूव 'गदाहलेट' से दोनों चैंपियंस को रिंग में धूल चटाई। 1933 में वे भारत वापस आए और इलाहाबाद के मुस्तफा पहलवान को चुनौती दी। मुस्तफा ने उन्हें नौसिखिए के तौर पर लिया लेकिन 5 मिनट में ही फिदा हो गए जब मंगला राय ने पूरी ताकत से बाहराली का इस्तेमाल किया। इस प्रसिद्ध मुकाबले के बाद भारत में कुश्ती के एक सितारे का जन्म हुआ।

फख्र-ए-हिंद और रुस्तम-ए-पाकिस्तान गुलाम ग़ौस को हराने के बाद उन्होंने रुस्तम-ए-हिंद की उपाधि अर्जित की। अपने कैरियर के तीन दशकों में उन्होंने पचानवे प्रतिशत मुकाबलों में जीत हासिल की, जो लगभग एक जीवित मिथक बन गया। कुश्ती का यह दिग्गज इतना करिश्माई खिलाड़ी था कि वह पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहा। दुख हरण झा कुश्ती में परास्त होने के बाद इनके अनन्य भक्त हो गए ।
बनारस में गुलाम गौस को हराने के बाद भारत नरकेसरी मंगला राय ने जार्ज कांस्टेनटाइन की चुनौती स्वीकार की। रोमानियाई पहलवान जॉर्ज को 'यूरोप का टाइगर' कहा जाता था। यूरोप में अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को हराने के बाद उन्होंने कलकत्ता ( कोलकाता ) में डेरा डाला कि कोई भी उन्हें रिंग में चुनौती दे सकता है। उनकी चुनौती को स्वीकार करने के लिए प्रसिद्ध पूरन सिंह और केसर सिंह आगे आए। लेकिन महामल्ल मंगला राय ने न केवल उनका सामना किया बल्कि उन्हें धूल चटाई।
1963 के वर्ष में मंगला राय ने प्रसिद्ध पहलवान मेहरदीन के साथ कुश्ती के अपने अंतिम मुकाबले का सामना किया। मंगला राय 47 साल के थे जबकि मेहरदीन केवल 27 साल के थे, हालांकि मंगला राय ने अपने प्रसिद्ध बहारल्ली दाव का इस्तेमाल किया और मेहरद्दीन को रिंग से बाहर कर दिया गया। लेकिन बुढ़ाते रुस्तम-ए-हिंद की सहनशक्ति कम होने के कारण लड़ाई ड्रा घोषित कर दी गई। इस लड़ाई के बाद मंगला राय ने कुश्ती के कैरियर से संन्यास की घोषणा कर दी। उन्होंने अपने पैतृक गाँव में एक शांतिपूर्ण किसान का जीवन व्यतीत करना शुरू कर दिया। उन्होंने व्यायाम के कठिन आहार को बंद कर दिया और दुर्भाग्य से उन्हें मधुमेह हो गया। उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। मल्टी ऑर्गन फेलियर के कारण उन्होंने 24 जून 1976 को वाराणसी शहर में अंतिम सांस ली । मंगला राय का शरीर कितना बलिष्ट था उतना उनका शरीर सौष्टौ अद्भुत था । वे आपवादिक तौर पर खूबसूरत थे । लंबाई और गठा कसरती देह के कारण कही भी अलग से पहचाने जाते थे। इसी कारण इन्हें रुस्तमे हिंद कहा जाता था।