वही पुराने दिन लौटा दो,मेरे ईश्वर मेरे ख़ुदा।
वही गांव की खुशहाली और शहर की रौनकता।।
कैसे दिन है दिखाए यहाँ पर क्या हो गया दुनिया को
सबके पास है भय बना हुआ, आयी जीवन में विषमता।
मजदूरों की मजबूरी को, नही समझता ज़मीदार यहां
देश की पार्टिया राजनीती करती, रही नही कोई मानवता
महामारी के इस चक्कर मे, जो मरते भूखे और चलते नँगे।
हमसब मिलकर मदद करें, और समझे इनकी विवशता।।
रचना-लव तिवारी
दिनांक- 20- मई-2020
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