विजयदशमी पर्व की हार्दिक बधाई ...
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हें राम ! आपके जीवन ने ,
जीने का अर्थ बताया है़ ।
जीवन कैसे जिया जाता ,
ऐसे जी कर दिखलाया है़ ॥
वैराग त्याग औऱ नित्य नियम जीवन गाथा का पन्ना है़ ।
ना जाने, हमने क्या पहना ,
सच मे सच्चा यह गहना है़ ॥
वाणी की मृदुल मधुरता का
सच अर्थ आप ने बतलाया ।
वन गमन सहज स्वीकार किया ,
ऐसा साहस कर दिखलाया ॥
कुलगुरु को पिता तुल्य जाना , सेवक को भी सम्मान दिया ।
केवट से चरण धुलाए जब ,
दिल मे अपने स्थान दिया ॥
ऊँच नीच का भेद नही है़,
राम आप की नजरों मे ।
मतंग शिष्य सब दंग हुऐ ,जब पहुचे शबरी के आश्रम मे ॥
हनुमान राम के नेह मिलन ने
नई कहानी लिख डाली।
जन औऱ वन जीवन निकट हुऐ
मित्रता अनोखी रच डाली ॥
सागर की लहरें शान्त हुईं , जब राघव का सानिध्य मिला ।
मद अहंकार सब लोप हुऐ ,
ज्ञान अनोखा दिव्य मिला ॥
मद औऱ नम्रता खूब लड़े ,
सच औऱ झूठ जब टकराये।
चकराया माथा ,कपिदल का
जब रावण के निकट राम आये ॥
संघार पूर्व सम्मान दिया, क्योकि वह राजा ज्ञानी था।
वध किया राम ने पापों का , क्योकि वह अति अभिमानी था ॥
राघव रावन का युद्ध नही,
अधर्म धर्म से हारा था ।
इस महा युद्ध का सच जानो , सत ने असत्य को मारा था ॥
लंका से चलने के पहले,
अपनी सच्चाई दिखलाई थी ।
विभीषण को जब लंका सौपा,तॊ यह सबसे बड़ी विदाई थी ॥
राम अयोध्या मे आये तब रामराज अवध आया ।
राजधर्म का गूढ़ अर्थ , हे राम आपने बतलाया ॥
🙏 *राजेश*...मेरी एक कविता
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