आगे-आगे समाज और पीछे-पीछे सरकार चलेगी तभी गोवंश सुरक्षित और किसान खुशहाल होंगे: नीतीश सिंह
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बेसहारा गोवंश की समस्या पूरे प्रदेश में है। गोकशी पर कानूनी रोक लगने के बाद गोवंशों को गांव से निकालना दूभर हो गया। इससे गांवों में सैकड़ों बेसहारा गोवंश जुट गये। बेसहारा और बेकार जानवरों खेती-किसानी के लिए खतरा बन गये। प्रदेश सरकार ने लोक आस्था और अपनी विचारधारा के अनुरुप गोवंश को व्यक्तित्व माना और उनकी हत्या पर कानूनी रोक लगा दी। ऐसे गोवंशों को जीवन जीने के अधिकार मिले और हिंदू आस्था की रक्षा भी हुई। सरकार ने गोवंशों की सुरक्षा, चारा और पानी का इंतजाम करने की बेशक व्यवस्था तो बनाई पर हरेक गोवंश के लिए 30 रुपये प्रतिदिन का मानक व्यवहारिक नहीं सिद्ध हो रहा। सरकारी अमला से लेकर लोग 30 रुपये में गोवंश के पेट भरने की आलोचना करते हैं।वास्तव में इतने कम पैसे में भूसे के अलावा खली, चून्नी और अन्य खाद्य की व्यवस्था नहीं हो सकेगी।
आज सरकार ने सेस लगाकर गोवंश के लिए पैसे जुटाने की पहल तो की है, इससे जरूर कुछ राजस्व आ जाएंगे। लेकिन उत्तर प्रदेश में ही 11 लाख के करीब बेसहारा गोवंश हैं, वहीं अपने जिले में एक हिसाब से 15 हजार के करीब बेसहारा गोवंश होंगे। यदि आप प्रदेश सरकार का बजट देखेंगे तो हर वित्त वर्ष में घाटे का बजट पेश होता है। सरकार की आमदनी से ज्यादा खर्चें रहते हैं। ऐसे में सरकार को समाज के भी सहयोग की जरूरत पड़ती है। एक हिंदू होने के नाते आस्थावश सबको अपनी क्षमता के मुताबिक इस लोक कार्य में सहयोग करना चाहिए।
जनप्रतिनिधि, व्यापारी, युवा और बड़े किसानों को सबसे पहले आगे आना चाहिए। गांव-2 में गोशाला बनाने और उसके संचालन में सहयोग करके इस व्यवस्था को दुरुस्त करनी चाहिए। अन्यथा सरकार के भरोसे न खेती बच पाएगी और न गोशाला टीक पाएंगे।
यह फोटो : पटकनिया गांव के अस्थायी गोशाला की है।
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