सरस्वती महामाता वीणा पुस्तक धारणे।
मम कण्ठह वसः देवी विद्या दान करो ममः।।
प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।(ऋग्वेद)
जो परम चेतना सरस्वती के रूप में हमारी मेधा, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। ऐसी कल्याणी माँ पराम्बा ,वाग्देवी' सरस्वती' के आराधना के पर्व बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।💐💐💐🙏🙏🙏
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