तमाम कोशिशों के वावजूद हम तुम्हे न भूल पाये।
ये कैसी जिंदगी है कि आज भी न हम संभल पाये।।
मोहब्बत इनायत और वफ़ा ये मेरी तकदीर में नही।
ये बात समझ मे आयी फिर भी न हम बदल पाये।।
उदास मन है तन्हाई में गुजरते है मेरे दिन रात।
ये सफर कैसा था जो एक दूसरे के न हम बन पाये।।
आदते अब भी सुमार तुम्हें सोच कर कुछ लिखने को।
ये मोहब्बत चीज ही ऐसी जिसे हो वो न कुछ कर पाये।।
रचना- लव तिवारी
दिनांक- 12- जनवरी-2020
1 comments:
Kya baat bhiya
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