पश्चिमोत्तानासन :
मानव शरीर के संपूर्ण पृष्ठ भाग को समर्पित है यह आसन। आवाहन, आश्वासन एवं आंदोलन की मूल भावना से उत्प्रेरित इस आसन में शरीर के पृष्ठ भाग को आवाहित एवं आश्वस्त कर सिरोपाद अधिकतम उत्तान होने के लिए आंदोलित करते हैं।
यह एक सामान्य सी अवधारणा है, जो प्रत्यक्ष संपर्क में नहीं है उसके हितों की कुछ न कुछ अवहेलना संभव है। इसी बात को ध्यान में रखकर हम अपने संपूर्ण पृष्ठ भाग को आवाहित करते हैं और कहते हैं उठो- जागो- देखो, हमें तुम्हारी भी फिक्र है। फिर आश्वस्त करना होता है कि तुम भी हमारे लिए उतने ही आकर्षक और महत्वपूर्ण हो जितना शरीर के सुदृश्ट अंग। अब पृष्ठ भाग को आंदोलित करना होगा कि वह
अच्छी तरह स्ट्रेच होकर संपूर्ण अग्र भाग को ढक दे।
हठयोग का यह आसन अपार ऊर्जा का उत्सर्जन एवं संरक्षण करता है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव मणिबंध पर है, जो जठराग्नि को उत्तेजित करता है, जिसके कारण अमाशय की कार्य-क्षमता बढ़ जाती है। पाचन की प्रक्रिया संतुलित हो जाने के कारण प्रचुर मात्रा में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। एड़ी से लेकर चोटी तक पृष्ठभाग की समस्त त्वचा, मांसपेशियां एवं तंत्रिकाएं अपार खिंचाव के कारण अचेतन को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहते हैं। जिसके कारण उनके शक्ति,सौंदर्य और
सौष्ठव को पर्याप्त बढ़ावा मिलता है। इसके साथ-साथ यह आसन निर्णय को बल एवं मन को शांति भी प्रदान करता है। इस तरह यदि आप रोग-भय, हाइपोकांड्राइसिस, अनिर्णय की अवस्था और मन की अशांति से जूझ रहे हों तो यह आसन अवश्य करना चाहिए।
जैसा कि प्रत्येक हठयोग में निरंतर प्रयास, कठिन परिश्रम एवं बेहतर संतुलन की आवश्यकता होती है, इसलिए एक योग-गुरु द्वारा प्रारंभिक प्रशिक्षण एवं सहयोग अवश्य लेना चाहिए।
यह आसन होम्योपैथिक औषधियों नक्स वॉमिका, कार्बो वेज, आयोडियम, लाइकोपोडियम, इग्नेशिया, नेट्रम म्यूर, एल्युमीना, फास्फोरस, कास्टिकम, इपिकाक, आर्निका माण्ट, क्यूप्रम मेटालिकम, चेलिडोनियम, कन्डुरैॅगो एवं आरनिथोगलम इत्यादि की कार्यक्षमता को निश्चित रूप से बढ़ाएगा।
(होम्योपैथिक औषधियों का चुनाव और उनकी शक्ति का निर्णय होम्योपैथिक चिकित्सक के ऊपर छोड़ना चाहिए।)
(अपनी पुस्तक समग्र योग सिद्धांत एवं होम्योपैथिक दृष्टिकोण से)
डाॅ एम डी सिंह
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