हुजूर आपका भी एहतराम करता चलूँ।
इधर से गुज़रा था, सोचा सलाम करता चलूँ।।
हुजूर आपका भी एहतराम .......
निगाह-ओ-दिल की यही आखरी तमन्ना है।
तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साये में शाम करता चलूँ।।
हुजूर आपका भी एहतराम .......
उन्हें ये जिद के मुझे देख कर किसी को न देख।
मेरा ये शौक के सबसे कलाम करता चलूँ।।
हुजूर आपका भी एहतराम ......
ये मेरे ख़्वाबों की दुनिया नहीं सही लेकिन।
अब आ गया हूँ तो दो दिन कयाम करता चलूँ।।
हुजूर आपका भी एहतराम .......
हुजूर आपका भी एहतराम करता चलूँ।
इधर से गुज़रा था, सोचा सलाम करता चलूँ।।
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