समाज सेवा साधना स्तर की हो ::--
**************************
समाज में पिछड़े एवं समस्याग्रस्त लोगों को आगे लाने तथा उनकी कठिनाइयों को सुलझाने का नाम समाज सेवा है ।
आज कुछ मनुष्य अच्छे से अच्छे डॉक्टरों से इलाज करवा लेते हैं वहीं बहुत से लोग ऐसे हैं जो एक एक दिन कष्ट मे बिताते हुए मौत के मुँह की तरफ बढ़ते जाते हैं ।
बहुत बच्चे अच्छे से अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं वहीं बहुत बच्चे ऐसे भी हैं जो बिना लक्ष्य के रहते हैं ।
राई और पहाड़ के इस अंतर को पाटने के लिए , पिछड़ेपन को दूर करने के लिए और उन समस्याओं को सुलझाने के लिए जो जीते जी मनुष्य को नरक की यातना में झुलसा देती है - करुणा की आवश्यकता है ।
यहाँ करुणा और दया में अंतर है । दया कमजोरों पर किया जाता है । जबकि करुणा कर्तव्यनिष्ठा से प्रेरित होता है । जैसे जब अपना भाई या बेटा बिमार हो जाता है तो लोग जमीन आसमान एक कर देते हैं । इसका कोई विज्ञापन नहीं करते और इसके बदले में कोई लाभ भी नहीं चाहते ।यही करुणा है , यही सेवा है ।
अब धारणा बदल चुकी है लोग समाज सेवा करने के स्थान पर समाज सेवी कहलाना अधिक पसंद करते हैं । यही कारण है कि लोग इस दिशा में नैष्ठिक प्रयास करने के स्थान पर अपने मुँह से अपनी बहादुरी और अपने पराक्रम का परिचय ज्यादा देते हैं ।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें