ये किसान तेरी दुनिया कैसी, और कैसे तेरे काम यहाँ।
कहने को तू अन्न दाता भूखा सोता तेरा जहान यहाँ।।
इस धरा पर कठिन परिश्रम तुमसे अच्छा कौन करे।
मौसम के बेरहमी के कारण बर्बादी का मंजर सहे।।
भूखे शरीर से हल चलाकर करता तू महान काम यहाँ
फिर भी कुदरत और साहूकारों ने तुमको किया परेशान यहाँ
देश की धरती सोना उगले उसमें अद्भुत एहसान तेरा।
हर भूखें को भोजन मिलता इससे बड़ा उपकार कहा।।
तेरी अहमियत को जो न समझे उनको कौन बतलाये।
तू है तो धरती टिकी है तुझसे ही भगवान यहाँ।।
रचना- लव तिवारी
युवराजपुर ग़ाज़ीपुर उत्तरप्रदेश
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