अपनी मोहब्बत की फ़रियाद किससे करे।
तुम हो उदास अब हम बात किससे करे।।
कह दो न कि तुम आयी हो दुनिया मे मेरे लिए।
वर्ना इस तड़पते दिल की हालात किससे कहे।।
आदमी मैं भी बुरा नही तुमको चाहने वाला।
इस बेचैन अरमानों की दास्तान अब किससे कहे।।
मुझपर रहम करो तुम ही तो अब मेरे मसीहा ।
तुम्हारे दर को छोड़कर ये फ़रियाद किससे करे।।
रचना - लव तिवारी
ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश
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