" ब्राह्मण " क्या है,,,,? कौन है,,,,,?
भगवान कृष्ण ने क्या कहा है
भगवान कृष्ण ने क्या कहा है
बनिया धन का भूखा होता है।
क्षत्रिय दुश्मन के खून का प्यासा होता है ।
गरीब अन्न का भूखा होता है।
क्षत्रिय दुश्मन के खून का प्यासा होता है ।
गरीब अन्न का भूखा होता है।
पर ब्राम्हण?
ब्राम्हण केवल प्रेम और सम्मान का भूखा होता है।
ब्राम्हण को सम्मान दे दो वो तुम्हारे लिऐ
जान देने को तैयार हो जाऐगा।
ब्राम्हण को सम्मान दे दो वो तुम्हारे लिऐ
जान देने को तैयार हो जाऐगा।
अरे दुनिया वालो आजमाकर
तो देखो हमारी दोस्ती को।
तो देखो हमारी दोस्ती को।
मुसलमान अशफाक उल्ला खान बनकर हाथ बढ़ाता है,हम बिस्मिल बनकर गले लगा लेते है।
क्षत्रिय चंद्रगुप्त बनकर पैर छू लेता है,हम चाणक्य बनकर पूरा भारत जितवा देते है।
सिख भगत सिह बनकर हमारे पास आता है। हम चंद्रशेखर आजाद बनकर उसे बेखौफ जीना सिखा देते है।
कोई वैश्य गाधी बनकर हमे गुरु मान लेता है हम गोपाल कृष्ण गोखले बनकर उसे महात्मा बना देते है।
और
कोई शूद्र शबरी बनकर हमसे वर मागती है, तो हम उसे भगवान से मिलवा देते है।
कोई शूद्र शबरी बनकर हमसे वर मागती है, तो हम उसे भगवान से मिलवा देते है।
अरे एक बार सम्मान तो देकर देखो हमें...........
........ फर्ज न अदा करे तो कहना
जय जय राम!!जय जय परशुराम!!
........ फर्ज न अदा करे तो कहना
जय जय राम!!जय जय परशुराम!!
-- पुराणों में कहा गया है -
विप्राणां यत्र पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता ।
जिस स्थान पर ब्राह्मणों का पूजन हो वंहा देवता भी निवास करते हैं अन्यथा ब्राह्मणों के सम्मान के बिना देवालय भी शून्य हो जाते हैं ।
इसलिए
ब्राह्मणातिक्रमो नास्ति विप्रा वेद विवर्जिताः ।।
ब्राह्मणातिक्रमो नास्ति विप्रा वेद विवर्जिताः ।।
श्री कृष्ण ने कहा - ब्राह्मण यदि वेद से हीन भी तब पर भी उसका अपमान नही करना चाहिए ।
क्योंकि तुलसी का पत्ता क्या छोटा क्या बड़ा वह हर अवस्था में कल्याण ही करता है ।
ब्राह्मणोंस्य मुखमासिद्......
क्योंकि तुलसी का पत्ता क्या छोटा क्या बड़ा वह हर अवस्था में कल्याण ही करता है ।
ब्राह्मणोंस्य मुखमासिद्......
वेदों ने कहा है की ब्राह्मण विराट पुरुष भगवान के मुख में निवास करते हैं इनके मुख से निकले हर शब्द भगवान का ही शब्द है, जैसा की स्वयं भगवान् ने कहा है की
विप्र प्रसादात् धरणी धरोहम
विप्र प्रसादात् कमला वरोहम
विप्र प्रसादात्अजिता$जितोहम
विप्र प्रसादात् मम् राम नामम् ।।
विप्र प्रसादात् धरणी धरोहम
विप्र प्रसादात् कमला वरोहम
विप्र प्रसादात्अजिता$जितोहम
विप्र प्रसादात् मम् राम नामम् ।।
ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मैंने धरती को धारण कर रखा है अन्यथा इतना भार कोई अन्य पुरुष कैसे उठा सकता है, इन्ही के आशीर्वाद से नारायण हो कर मैंने लक्ष्मी को वरदान में प्राप्त किया है, इन्ही के आशीर्वाद सेढ मैं हर युद्ध भी जीत गया और ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मेरा नाम "राम" अमर हुआ है, अतः ब्राह्मण सर्व पूज्यनीय है । और ब्राह्मणों का अपमान ही कलियुग में पाप की वृद्धि का मुख्य कारण है ।
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