मुझे देख मेरी कहानी पर रोई
ये जिंदगी मेरी जिंदगानी पर रोई
क्या था कहाँ था अब क्या हो गया
जुल्मो को सहती जवानी पर रोईं
खायी थी कस्में निभाने को रिश्ता
मेरे प्यार की इस नादानी पर रोई
जहाँ मेरी बसती थी ख्वाबों की बस्ती
देख उजड़े चमन की निशानी पर रोई
रचना- लव तिवारी
संसोधनकर्ता- नृपजीत सिंह पप्पू
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