देख रही जनता चुपचाप :
विचारो की तलवार खींच कर
विकारों की सलवार फींच कर
डटे हुए मझधार में अब तक
नौका और पतवार भींच कर
दलों के सिपहसालार अनहद
दिखा रहे शब्द हुंकार मीच कर
सब देख रही जनता चुपचाप
उगाते खरपतवार सींच कर
वह रस्सी ढूंढ रहे हैं नेता
ला सके जो सरकार घींच कर
डाॅ एम डी सिंह
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