कहवाँ उड़ उड़ जाली चिरईया कहाँ उनकर गांव रे
जब जब करेलें सोन पिजरवा लागे हिया में घांव रे-२
पता न केवना देश से कब ई बगीया में आ गईली
वोही चदरिया कया के उन मनही मन मुस्कइली
जा से खेलली ओल्हा पाती आ जिनगी के दाव रे
जब जब करेलें सोन पिजरवा लागे हिया में घांव रे-२
देखी बदरिया ऊपर सूरज चांन बड़ा हरसैली
परदेशी परदेश में आ के आपन पता भुलइली
पवन बसन्ती के सुख पवली सहली धूप अ छांव रे
जब जब करेलें सोन पिजरवा लागे हिया में घांव रे-२
ना जाने एक दिन काहे के परमल नी खिसियली
मुहवा मोड़ के नेहिया तोड़ के खोतवा से उड़ गईल
केहू ना जाने उड़त चिरईया जईहे कौंन ठावँ रे
जब जब करेलें सोन पिजरवा लागे हिया में घांव रे-२
कहवाँ उड़ उड़ जाली चिरईया कहाँ उनकर गांव रे
जब जब करेलें सोन पिजरवा लागे हिया में घांव रे-२
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