तर्ज – कसमें वादे प्यार वफा सब..........
गुरु को न पहचान सका तो, जग जाना तो जाना क्या २
धन दौलत तू पा भी लिया गर, चैन नहीं पाया तो क्या
गुरु को ना पहचान............. २
बाहर से आडंबर कुछ है ,भीतर रूप न निखारा है २
गुरु गुरु में सीस गुरु ने, गुरु बनने का झगड़ा है १
ऐसे गुरु २ भला बोलो क्या शिष्य को राह दिखाएगा
गुरु को ना पहचान सके...............2
कहलाने को, भक्त बहुत है, लेकिन खोटा धंधा है २
माया ऐसे घेर लिया है रहते आंख भी अंधा है १
ऐसे भक्तो २ को प्रभु का दर्शन, कहो कैसे हो पाएगा
गुरु को ना पहचान सके...............२
डाल पकड़कर झूल रहा है, दुख का कहा निवारण है २
जगत गुरु को भूल ही जाना, सभी दुखो का कारण है
सोच समझ कर २ गुरु करो तुम ,नही तो धोखा खाएगा
गुरु को ना पहचान सके...............२
जो करना, वो खुद ही करना, ना कहना नाइंसाफी है २
भजन में शब्द नही है काफी ,भाव का होना काफी है
गाया नही २ गुरु का महिमा राग रसीला गाया क्या
गुरु को ना पहचान सके...............२
गुरु को न पहचान सका तो, जग जाना तो जाना क्या २
धन दौलत तू पा भी लिया गर २ चैन नहीं पाया तो क्या
गुरु को ना पहचान............. २
जग जाना तो जाना........ ३
गीतकार –श्री फणिभूषण चौधरी
गायक – धीरजकांत
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