मन व्यथीत है आज क्यों कल सुनेगा मेरी कौन।
किसकी खता थी यहाँ, और भरेगा जुर्माना कौन।।
अपनों की पहचान में न काम आई डिग्रियां।
मेरे घर को बर्बाद कर रहा, मैं रहा परेशान मौन।।
गैरो पर खर्च करके घर से हिसाब की चाह है।
हकीकत सबके सामने है और बना अंजान कौन।।
सबको पता है अपनी गलती फिर है नदान सब।
गर्दन पर तलवार है तो अब रहा वफादार कौन।।
जो किया वो सामने है फिर नही सबक जीने की।
जिंदगी किसकी रही, और गया शमशान कौन।।
अनपढों के साथ जिनकी कट गई हो जिंदगी।
वो पढ़ो को क्या समझेंगे बात में महान कौन।।
रचना- लव तिवारी
दिनांक- २६- जून-२०२१
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