वर्ष 2012 में जिला सरकारी अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर श्री प्रेम प्रकाश उपाध्याय एवम ग़ाज़ीपुर जिले के प्रसिद्ध डॉक्टर एवं पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी आदरणीय श्री आर पी शर्मा जी के कथनानुसार मुस्कूलर डिस्ट्रॉफी के सन्देह पर हम दोनों भाई इस क्षेत्र के बड़े अस्पताल काशी हिन्दू विश्वविधालय में अपने अगले इलाज के लिए गए। वहाँ पर न्यूरो मेडिसिन की चिकित्सक डॉ दीपिका जोशी एवं न्यूरो सर्जन डॉक्टर विवेक शर्मा सर और उनकी टीम ने कुछ प्रारम्भिक परिक्षण के बाद हमे मुस्कुलर डिस्ट्रॉफी के परीक्षण के दिल्ली स्थित आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ( एम्स) के लिए रेफर किया गया। फरवरी 2013 में मेरे शरीर के मांस के टुकड़े को मसल बॉयोप्सी के लिए भेजा गया कुछ दिनों बाद हमे इस बात की पूर्ण पुष्टि हुई कि हम दोनों भाई एक भयंकर बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित है, और इस बीमारी का विश्व मे कही पर इलाज नही है। इलाज न होने की वजह से एम्स के चिकित्सक समूह ने हमे कैल्शियम की चन्द खुराक के साथ हमे अपने घर भेज दिया।।
पिछले 8 वर्षों में हमने कई राज्यो में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति, होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के साथ अन्य कई छोटे उपचार जैसे विशेष तेल की मालिश, अन्य क्षेत्रीय वैद्यों के दवा और उनके सुझाव को अपने ऊपर लागू करने के बावजूद भी हमे किसी भी प्रकार सफलता नही मिली। पिछले वर्ष हम दक्षिण भारत के प्रसिद्ध अस्पताल CMC क्रिसचयन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर तमिलनाडू भी गया वहा भी हमें निराशा ही हाथ मिली। इन आठ वर्षों के बाद शरीरिक विकलांगता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है और हमे कई तरह के दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
1- दीवारों के सहारे जमीन पर चलना
2- सोते समय करवट लेने में परेशानी एवम किसी विशेष सहारे के बदौलत बिस्तर से उठना।
3 - हाथ और पैरों की कमजोरी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।
4- जमीन से उठते समय जमीन पर हाथ से सहारा लेना।
इस बीमारी से व्यक्ति जिंदा लाश बन कर जीता है दैनिक एवम व्यवहारिक कार्य जैसे पेशाब स्नान कपड़े पहनना लेटना उठना बैठना आदि कार्यों को करने में असक्षम होता है। पिछले 12 महीने पुरानी बीमारी पर सरकार इतनी सुविधायें एवं व्यवस्था को अंजाम दे रही है तो मुस्कुलर डिस्ट्रॉफी पर क्यों नही हम अपने राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार से इस बिमारी पर बचाव,आर्थिक सहयोग, विशेष पेंशन स्कीम या सरकारी नौकरी और इलाज के लिए विनम्र निवेदन करते है।
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