विषय: बेहद जटिल और गंभीर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से जूझ रहे पीड़ितों की समस्याएं और समाधान के लिए मदद के लिए
महोदय,
उपरोक्त विषयक निवेदन है कि मैं लव कुमार तिवारी पीड़ित ( हम दोनों भाई लव कुमार एवं कुश कुमार) पुत्र श्री जय प्रकाश तिवारी निवासी ग्राम पोस्ट युवराजपुर थाना - सुहवल जिला गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश के निवासी है । पिछले 10 वर्षों से अधिक हम इस गंभीर बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से जूझ रहे है।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से बच्चे और युवा दोनों पीड़ित है, बच्चों में यह बीमारी बचपन में 2 - 3 या 5 साल से और युवाओं में 15 - 16 या 20 वर्ष की उम्र में शुरू होती है और बहुत तेजी से पूरे शरीर की मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं। पीड़ित इस प्रकार दूसरों पर निर्भर हो जाता है कि वह अपने आप हिल - डुल भी नहीं सकता, खाना नहीं खा सकता, पानी नहीं पी सकता, मच्छर नहीं उड़ा सकता, शरीर में कहीं भी खुजली हो तो खुजा नहीं सकता, रोगी बहुत कम आयु में ही बिस्तर पर पहुंच जाता है और कुछ ही समय में पीड़ित की मृत्यु हो जाती है, अगर बीमारी बचपन में शुरू होती है तो पीड़ित मुश्किल से 10 - 12 या 18 साल तक जी पाता है, और अगर युवावस्था में शुरू हो तो पीड़ित 32 -35 या 40 साल तक जी सकता है,
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के शुरुआती लक्षण निम्न हैं,
शुरुआत में पीड़ित एड़ीयों पर चलना शुरू करता है, चलते चलते गिर जाना, घुटनों पर हाथ रखकर उठना, पेट का अत्यधिक आगे निकल आना, रीढ़ की हड्डी का मुड़ना, हाथ - पैर लगातार पतले होते जाना, लगातार तीव्र गति से पूरे शरीर की मांसपेशियों का कमजोर होना, सांस लेने में परेशानी होना,
बीमारी से पीड़ित व्यक्ति जिंदा लाश के समान होता है। अपने आप सभी सामान्य कार्य जैसे- शौचालय, पेशाब, स्नान, कपड़े पहनना, लेटना, उठना - बैठना, आदि भी करने में सक्षम नहीं होता है, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित सभी कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर होता है,
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी कई प्रकार की होती है, कुछ मुख्य प्रकार निम्न हैं,
DMD - Duchene Muscular Dystrophy
BMD - Becker Muscular Dystrophy
LGMD - Limb Girdle Muscular Dystrophy
FSHD - Facioscapulohumeral Muscular Dystrophy
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के सभी टाईप जानलेवा है, प्रतिदिन पीड़ित जान गंवा रहे हैं,
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक बेहद गंभीर, भयानक एवं जटिल बीमारी है, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वर्तमान समय में भारत एवं उत्तर प्रदेश में बड़ी महामारी के रूप में विकसित हो रही है, ध्यान रहे यह एक आनुवंशिक बीमारी है, इसलिए यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है, कई परिवारों में तीन - तीन, चार - चार पीड़ित हो जाते हैं, इस गंभीर बीमारी के कारण परिवार बर्बाद हो चुके हैं, घर और जमीन भी बिकने के कगार पर है, पीड़ित एवं उनके परिवार मानसिक प्रताड़ना से गुजर रहे हैं,
अभी तक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का पूरा इलाज मौजूद नहीं है, हालांकि कुछ दवाएं मौजूद है जो मांसपेशियों में थोड़ा Improvement कर सकती हैं, अमेरिका, जापान, कनाडा, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड अथवा कुछ अन्य देशों में इस बीमारी का इलाज जीन थेरेपी से करने की कोशिश कर रहे हैं तथा इस पर बहुत तेजी से काम कर रहे हैं, कई कंपनियां ह्यूमन ट्रायल कर रही है, जल्द हम इसका पूरा इलाज आने की उम्मीद कर रहे हैं, परंतु भारत में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लिए अभी तक कोई बड़ी रिसर्च नहीं हो रही हैं,
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के इलाज (जीन थेरेपी या अन्य कोई भी इलाज) के लिए तीव्र गति से प्रयास किया जाना चाहिए तथा सरकार द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अब मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों को इलाज के अभाव में अपना जीवन गंवाना नहीं पड़ेगा,
केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के बचाव तथा इलाज के लिए निम्न कार्य करने चाहिए
1. देश और प्रदेश के सभी अस्पतालों में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के सभी टेस्ट फ्री किए जाए, क्योंकि इसके टेस्ट बहुत महंगे होते हैं,
2. माँ के गर्भ में ही मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के टेस्ट किए जाएं जिससे भविष्य में किसी भी बच्चे को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी गंभीर बीमारी से ना जूझना पड़े,
3. इस बीमारी के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है जानकारी के अभाव में भी बहुत से पीड़ित बहुत जल्दी जान गंवा रहे हैं, इसलिए केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार संयुक्त रूप से इसके लिए अभियान चलाएं,
4. जिस रफ्तार के साथ कोरोना वैक्सीन पर काम किया गया है उतनी रफ्तार के साथ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज के लिए काम किया जाए, जिससे सभी पीड़ितों को इस गंभीर बीमारी से हमेशा के लिए राहत और छुटकारा मिल सकें,
5. हमारे देश के वैज्ञानिक दुनिया में नेतृत्व कर रहे हैं इसलिए हम मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज के लिए दूसरों देशों पर निर्भर नहीं रह सकते, चूंकि केन्द्र और राज्य सरकार आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रही हैं इसलिए हमें भी आत्मनिर्भर बनना चाहिए,
हमारी पहली प्राथमिकता यही होनी चाहिए कि पीड़ितों को जल्द से जल्द इलाज मिलें, इसलिए सभी पीड़ितों को गारंटी दी जाए कि दुनिया के किसी भी देश (अमेरिका, कनाडा, जापान, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया) या भारत में जो भी पूरा इलाज आएगा वो सभी पीड़ितों को नि: शुल्क दिया जाएगा,
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित प्रत्यक्ष रूप से सिर्फ स्वयं विकलांग होता है, परंतु परोक्ष रूप से उसका पूरा परिवार विकलांग होता है, क्योंकि जिस परिवार में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित व्यक्ति मौजूद हो उसके परिवार के सदस्य भी उसे अकेला छोड़कर कहीं भी नहीं जा सकते हैं, हम स्वयं कई सालों से क्वारंटीन है आज तक हमनें बाहर की दुनिया नहीं देखी,
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों को विकलांगता में ले लिया गया है, परंतु यह विकलांगता से भी बेहद खतरनाक है, क्योंकि बाकी विकलांगता में एक या दो अंग खराब होते हैं, जबकि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पूरा शरीर काम करना बंद कर देता है, इसलिए हमें कुछ अतिरिक्त सुविधाएं दी जाए,
जब तक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज नहीं है तब तक हमें कुछ मूलभूत सुविधाएं दी जाए, (इलाज होने के बाद सरकार ये सुविधाएं वापस ले लें हमें कोई आपत्ति नहीं होगी)
1. पीड़ितों को Care Taker मुहैया कराया जाए, जिससे पीड़ित को अपने सभी कार्य के लिए किसी और पर निर्भर ना रहना पड़े,
2. जो पीड़ित कुछ करने के लिए सक्षम है उन्हें जरूरी संसाधन उपलब्ध कराएं जाए, जिससे वे आसानी से जीवन यापन कर सकें,
3. जो पीड़ित स्कूल जाने या पढ़ाई करने में सक्षम हैं उनके लिए सभी स्कूलों में फ्री शिक्षा की व्यवस्था कराई जाए,
4. इस बीमारी में पौष्टिक आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं परंतु सभी पीड़ित अच्छा आहार नहीं ले पाते इसलिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था की जाए,
5. फिजियोथेरेपी से कुछ हद तक इस बीमारी को थोड़ा रोका जा सकता है इसलिए फिजियोथेरेपी की व्यवस्था की जाए तथा प्रदेश के सभी जिलों में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के लिए कम से कम एक पुनर्वास केन्द्र बनाया जाए,
6. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों को आर्थिक सहायता जैसे आंध्र प्रदेश सरकार मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों को प्रतिमाह ₹5000 की आर्थिक सहायता दे रही है, कुछ इसी प्रकार सभी पीड़ितों को आर्थिक सहायता दी जाए,
7. जो पीड़ित अच्छी पढ़ाई कर चुके हैं तथा रोजगार करने में सक्षम हैं उनको रोजगार उपलब्ध कराए जो आसानी से किए जा सकें तथा जो पीड़ित नौकरी या रोजगार नहीं कर सकते उनके अभिभावक या जो देखभाल करता हो (माता - पिता या भाई - बहन) उसको किसी भी विभाग में एक सरकारी नौकरी दी जाए,
8. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया जाए तथा सभी पीड़ितों को आयुष्मान कार्ड उपलब्ध कराए जाएँ,
9. सम्बंधित अधिकारी द्वारा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों के Permanent विकलांग सर्टिफिकेट या UDID कार्ड घर पर ही बनाए जाए, क्योंकि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित कहीं भी आने जाने में असमर्थ होता है, क्योंकि मोटरसाइकिल पर तीन लोग जा नहीं सकते और कार सबके घर नहीं होती है।
10. जिस प्रकार कोरोना वायरस पीड़ित की मृत्यु के लिए सरकार चार लाख का मुआवजा देती है, उसी प्रकार मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से होने वाली मृत्यु के लिए भी मुआवजा घोषित किया जाए,
कुछ डाक्टर्स जैसे बड़े बड़े शहरों में स्टेम सेल थेरेपी वाले तथा और भी कोई मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों और उनके परिवार की मजबूरी का फायदा उठाकर, लूटने का काम कर रहे हैं, जबकि इन सबसे पीड़ित को कोई आराम नहीं होता, उन सभी पर स्थानीय पुलिस, ICMR तथा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कड़ी कार्रवाई की जाए, जिससे कोई भी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ितों और उनके परिवार की मजबूरी का फायदा उठाने की कोशिश ना करें,
हमें माननीय प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री महोदय जी से मिलने के लिए समय दिया जाए, जिससे सभी पीड़ित मुख्यमंत्री महोदय के सामने अपनी पीड़ा बता सकें
धन्यवाद
पीड़ित का नाम: लव कुमार
पिता का नाम- जय प्रकाश तिवारी
पूरा पता: ग्राम पोस्ट - युवराजपुर थाना सुहवल ब्लॉक- रेवतीपुर
तहसील - जमानियां जिला- ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश 232332
फोन: 05487960502
+91-9458668566
+91-9555484663
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